सब्सक्राइब करें
Paramvir:The soldier who got the Param Vir Chakra in 19 years
परमवीर

परमवीर: 19 साल में परमवीर चक्र पाने वाला वो फौजी

19 June 2023

Play
5:32
Follow Us
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना किसी भी कीमत पर सेक्टर द्रास की टाइगर हिल पर अपना कब्ज़ा चाहती थी. इसी के तहत 4 जुलाई ,1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के एक प्लाटून को टाइगर हिल के बेहद अहम तीन दुश्मन बंकरों पर कब्ज़ा करने का दायित्व सौंपा गया था

परमवीर: 19 साल में परमवीर चक्र पाने वाला वो फौजी

1.0x
  • 1.5x
  • 1.25x
  • 1.0x
10
10
X

सभी 21 एपिसोड

13 अक्टूबर, 1948. ये वो तारीख़ है, जब पाकिस्तान ने टिथवाल की रीछमार गली से हमला कर भारतीय सेना को पीछे धकेलने की कोशिश की. मगर मौके पर मौजूद सिख रेजिमेंट के एक जवान ने उनकी इस कोशिश को सफल नहीं होने दिया...

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना किसी भी कीमत पर सेक्टर द्रास की टाइगर हिल पर अपना कब्ज़ा चाहती थी. इसी के तहत 4 जुलाई ,1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के एक प्लाटून को टाइगर हिल के बेहद अहम तीन दुश्मन बंकरों पर कब्ज़ा करने का दायित्व सौंपा गया था

13 कुमायूं बटालियन की 'सी' कम्पनी चुशूल सेक्टर में तैनात थी. बटालियन में 120 जवान थे, जिनके पास इस पिघला देने वाली ठंड से बचने के लिए कुछ भी नहीं था. वो इस माहौल के लिए नए थे

कौन थे वो कबाइली जिन्होंने स्वतंत्र भारत पर पहला हमला किया, और कैसे मिला हमें हमारा पहला परमवीर... इस खास श्रृंखला में हम जानेंगे कहानी उन शहीदों की जो कहलाए परमवीर...

13 अक्टूबर, 1948. ये वो तारीख़ है, जब पाकिस्तान ने टिथवाल की रीछमार गली से हमला कर भारतीय सेना को पीछे धकेलने की कोशिश की. मगर मौके पर मौजूद सिख रेजिमेंट के एक जवान ने उनकी इस कोशिश को सफल नहीं होने दिया...

1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान 3 और 4 दिसंबर की रात पाकिस्तानी सेना अगरतला के अंदर घुसपैठ की कोशिश में थी, जिसे भारतीय सेना के कुछ जवानों ने अपना बलिदान देकर बेकार कर दिया. लांस नायक अल्बर्ट एक्का इन्हीं में से एक थे
 

पॉइंट 4875 और फ्लैट टॉप, इन दोनों चौकियों को शत्रु से मुक्त कराने का 17 जाट रेजीमेंट का एक प्रयास असफल रहा था, अब भारतीय सेना के सामने बड़ी चुनौती थी। तब जैक राइफल को इन दोनों चौकियों को जीतने का दायित्व सौंपा गया।

हार से बौखलाए विरोधी ने 6 फरवरी को टैनधार पर हमला कर दिया. जहां पाकिस्तान का मुकाबला जदुनाथ सिंह से हुआ, वही जदुनाथ सिंह, जिन्होंने मुठ्ठीभर साथियों के साथ विरोधियों पर जमकर गोलियां बरसाई और अंतत: भारत की जीत सुनिश्चित करते हुए शहीद हो गए..

3 दिसंबर, 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत के बाद अहम रक्षा ठिकानों पर हमलों का खतरा बढ़ गया था, मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने पाकिस्तानी वायुसेना के छह-छह लड़ाकू विमानों का अकेले सामना किया

1948 की गर्मियों में जम्मू-कश्मीर ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सेना और कबाइलियों ने संयुक्त रूप से टीथवाल सेक्टर में भीषण आक्रमण किया. इस हमले में दुशमन ने भारतीय सेना को किशनगंगा नदी पर बने अग्रिम मोर्चे छोड़ने पर मजबूर कर दिया...

एप में पढ़ें

Followed