विजय दिवस: 21 दोस्तों ने देनी थी अनोखी सलामी, 20 ही रह गए तो बोले- खेत्रपाल खड़ा तो है हमारा इक्कीसवां साथी
वेस्टर्न कमांड में मंगलवार को विजय दिवस मनाया गया। भारतीय सेना में सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता सेंकड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को उनके 20 दोस्तों ने अनोखे अंदाज में सलामी दी।
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विजय दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय सेना में सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता सेंकड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के आईएमए और एनीडी के बैच मैट साथियों ने योजना बनाई थी कि इस बार 21 दोस्त मिलकर वेस्टर्न कमांड पहुंचकर अरुण के स्टेच्यू को सैल्यूट करेंगे। यह योजना इसलिए बनाई गई, क्योंकि इसी माह 25 दिसंबर को खेत्रपाल पर आधारित बॉलीवुड फिल्म ‘इक्कीस’ रिलीज हो रही है। अभिनेता धर्मेंद की मरणोपरांत यह आखिरी फिल्म है, जिसमें वे अरुण खेत्रपाल के पिता के रोल में नजर आएंगे, जबकि अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा अरुण खेत्रपाल का किरदार निभा रहे हैं।
इसी योजना के तहत मंगलवार (16 दिसंबर) को विजय दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न शहरों व राज्यों से सभी दोस्त वेस्टर्न कमांड पहुंचने के लिए अपने-अपने घरों से रवाना हुए। सभी 21 साथियों ने वेस्टर्न कमांड में लगी अरुण खेत्रपाल की प्रतिमा के समक्ष खड़े होकर एक साथ सलामी देनी थी। वेस्टर्न कमांड में पहुंचने के बाद मालूम चला कि खेत्रपाल के 20 ही दोस्त जुट पाए हैं, एक साथी किसी कारणवश नहीं आ पा रहे हैं। उधर वेस्टर्न कमांड की ओर से भी पूरी तैयारी कर ली गई थी। वेस्टर्न कमांड के एक अफसर बताते हैं कि इस पर साथी थोड़े मायूस हो गए, लेकिन तभी उनमें से एक साथी भावुक अंदाज में उत्साह से बोला- ‘कोई बात नहीं...बीस ही चलो... अरे वहां खड़ा तो है खेत्रपाल, हमारा इक्कीसवां साथी...वो आज भी अपनी शहादत के बाद जीवंत ही है और वही यह कमी पूरी करेगा।’ यह सुनकर अन्य साथियों में भी जोश आ गया और वे खेत्रपाल की प्रतिमा के समक्ष पहुंच गए।
सभी ने पहले तो व्यक्तिगत रूप से अरुण खेत्रपाल को पुष्पांजलि अर्पित की और फिर एक कतार में खडे़ होकर एक साथ अपने दोस्त की लासानी शहादत को सैल्यूट किया। इस दौरान खेत्रपाल पर एक शार्ट मूवी भी रिलीज की गई। जिसमें खेत्रपाल समेत एक अन्य परमवीर चक्र विजेता मेजर होशियार सिंह व अन्य शहीदों की कुर्बानियों को दर्शाया गया। यह शाॅर्ट मूवी बसंतर युद्ध पर आधारित है। वेस्टर्न कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल पुनीत आहूजा ने भी राष्ट्र सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी मोर्चे पर वेस्टर्न कमांड ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। शकरगढ़ सेक्टर के बसंतर व जरपाल, खेमकरण, खालरा सेक्टर, सेहजरा सैलियंट, चंब–जौरियां, पुंछ और सियालकोट सेक्टर में लड़ी गई भीषण लड़ाइयों ने शत्रु प्रतिरोध को निर्णायक रूप से तोड़ने में अहम योगदान दिया। युद्ध के दौरान पश्चिमी कमान की यूनिटों को एक थिएटर ऑनर व 11 बैटल ऑनर प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त, दो परम वीर चक्र, 46 महावीर चक्र व अनेक अन्य वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
वो इक्कीस का था, इक्कीस का ही रहेगा
अरुण खेत्रपाल के पिता बिग्रेडियर एमएल खेत्रपाल सेना में कोर ऑफ इंजीनियर्स के अधिकारी थे। खेत्रपाल जब शहीद हुए तो वे 21 साल के थे। शहादत के बाद खेत्रपाल के पिता ने कहा था, ‘वो इक्कीस का था, इक्कीस का ही रहेगा।’ इसीलिए खेत्रपाल पर बनी इस फिल्म का नाम ‘इक्कीस’ रखा गया है। खेत्रपाल के परदाद सिख सेना में कार्यरत थे और 1848 में उन्होंने चिलियांवाला क्षेत्र में ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। अरुण के दादा पहले विश्व युद्ध के सैनिक थे और 1917 से 1919 तक उन्होंने इसमें हिस्सा लिया था। खेत्रपाल के साथी मेजर जनरल तेजपाल सिंह बख्शी, कर्नल जसपाल सिंह संधू और कर्नल एपीएस संधू कहते हैं कि उन्हें अपने मित्र खेत्रपाल की कुर्बानी पर नाज है और वे उस पर आधारित फिल्म इक्कीस देखने को भी खासे उत्साहित भी हैं।