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Delhi Elections: दिल्ली में हार के बाद भगवंत मान के लिए ये हैं बड़ी चुनौतियां, AAP को बदलनी होगी रणनीति
विशाल पाठक, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Sun, 09 Feb 2025 08:22 AM IST
सार
दिल्ली चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत और आम आदमी पार्टी की करारी हार से पंजाब की राजनीति में भी हलचल बढ़ गई है। क्योंकि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। इसलिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए पंजाब में दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए कई चुनौतियों से पार पाना होगा।
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भगवंत मान
- फोटो : X @BhagwantMann
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विस्तार
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की हार का सीधा असर अब पंजाब की सियासत पर पड़ेगा। पंजाब इकाई में आने वाले दिनों में बड़े फेरबदल भी देखने को मिलेंगे।
मान सरकार को दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए अपने इस कार्यकाल के बचे हुए दो वर्षों में जनता से किए वादे जो अधूरे रह गए हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना होगा, जिसमें सबसे बड़ा चुनावी वादा महिलाओं को हर माह एक हजार रुपये आर्थिक मदद देना है। जो सत्ता को संभाले तीन साल में मान सरकार पूरा नहीं कर पाई है।
सीएम मान को 2027 के चुनाव से पहले इन चुनौतियों से पाना होगा पार
प्रदेश पर इस समय 3.75 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। सरकार के कामकाज, 2022 में किए अपने चुनावी वायदों को पूरा करने, विकास का पहिया चलाते रहने और रंगला पंजाब से जुड़े नए बुनियादी ढांचे खड़े करने के लिए सरकार को मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी 28 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है। प्रदेश पर लगातार बढ़ते कर्ज का बोझ सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। विपक्षी दल भी सरकार को इस मुद्दे पर समय-समय पर घेरते नजर आते हैं। ऐसे में मान सरकार को अपने कार्यकाल के बचे हुए दो साल में सरकार की आर्थिक स्थिति को पहले के मुकाबले बेहतर करना होगा। कर्ज लेने की सीमा को कम करना होगा और आय के नए स्रोत के जरिए राजस्व को बढ़ावा होगा। सरकार के सामने दूसरी बड़ी चुनौती है केंद्र के साथ अपने रिश्तों में सुधार करना, जिसकी वजह से प्रदेश के करीब 10,500 करोड़ रुपये के फंड रुके हुए हैं। तीसरी बड़ी चुनौती प्रदेश इकाई को जमीनी स्तर पर अपने संगठनात्मक मजबूती के लिए कई बड़े बदलाव करने होंगे। बीते वर्ष के अंत में पंजाब आप प्रधान के रूप में कार्यभार संभालने वाले कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा के नेतृत्व में नगर निगम चुनाव हुए, लेकिन आप को अपना मेयर बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काफी जद्दोजहद तक करनी पड़ी, आप को निगम चुनाव में पूर्ण बहुमत का अंदेश अधूरा दिखाई पड़ा।
पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट व्यू
आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा गढ़ दिल्ली ही था जहां पार्टी का जन्म भी हुआ। लगातार तीन चुनाव में आप दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब रही। दिल्ली के बाद जिस इकलौते राज्य में आप को सफलता मिली वह पंजाब है। इस दृष्टि से दिल्ली में आप की हार का सीधा असर पंजाब की राजनीति पर पड़ना लाजिमी है। पंजाब में सरकार के गठन के बाद से सीएम मान ने लगातार दिल्ली मॉडल को अपनाने के दावे किए। खास तौर पर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्र में। अब दिल्ली की असफलता के बाद इस मॉडल पर भी मान सरकार को नए सिरे से सोचना होगा। एक रोचक बात यह भी होगी कि दिल्ली से फ्री होने के बाद आप के बड़े नेताओं का पंजाब में दखल और बढ़ेगा या नहीं । पहले से ही आरोप लगते रहे हैं कि पंजाब की सरकार दिल्ली से चलती है। - प्रोफेसर गुरमीत सिंह, राजनीतिक विशेषज्ञ, पंजाब विश्वविद्यालय
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मान सरकार को दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए अपने इस कार्यकाल के बचे हुए दो वर्षों में जनता से किए वादे जो अधूरे रह गए हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना होगा, जिसमें सबसे बड़ा चुनावी वादा महिलाओं को हर माह एक हजार रुपये आर्थिक मदद देना है। जो सत्ता को संभाले तीन साल में मान सरकार पूरा नहीं कर पाई है।
सीएम मान को 2027 के चुनाव से पहले इन चुनौतियों से पाना होगा पार
प्रदेश पर इस समय 3.75 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। सरकार के कामकाज, 2022 में किए अपने चुनावी वायदों को पूरा करने, विकास का पहिया चलाते रहने और रंगला पंजाब से जुड़े नए बुनियादी ढांचे खड़े करने के लिए सरकार को मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी 28 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है। प्रदेश पर लगातार बढ़ते कर्ज का बोझ सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। विपक्षी दल भी सरकार को इस मुद्दे पर समय-समय पर घेरते नजर आते हैं। ऐसे में मान सरकार को अपने कार्यकाल के बचे हुए दो साल में सरकार की आर्थिक स्थिति को पहले के मुकाबले बेहतर करना होगा। कर्ज लेने की सीमा को कम करना होगा और आय के नए स्रोत के जरिए राजस्व को बढ़ावा होगा। सरकार के सामने दूसरी बड़ी चुनौती है केंद्र के साथ अपने रिश्तों में सुधार करना, जिसकी वजह से प्रदेश के करीब 10,500 करोड़ रुपये के फंड रुके हुए हैं। तीसरी बड़ी चुनौती प्रदेश इकाई को जमीनी स्तर पर अपने संगठनात्मक मजबूती के लिए कई बड़े बदलाव करने होंगे। बीते वर्ष के अंत में पंजाब आप प्रधान के रूप में कार्यभार संभालने वाले कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा के नेतृत्व में नगर निगम चुनाव हुए, लेकिन आप को अपना मेयर बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काफी जद्दोजहद तक करनी पड़ी, आप को निगम चुनाव में पूर्ण बहुमत का अंदेश अधूरा दिखाई पड़ा।
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पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट व्यू
आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा गढ़ दिल्ली ही था जहां पार्टी का जन्म भी हुआ। लगातार तीन चुनाव में आप दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब रही। दिल्ली के बाद जिस इकलौते राज्य में आप को सफलता मिली वह पंजाब है। इस दृष्टि से दिल्ली में आप की हार का सीधा असर पंजाब की राजनीति पर पड़ना लाजिमी है। पंजाब में सरकार के गठन के बाद से सीएम मान ने लगातार दिल्ली मॉडल को अपनाने के दावे किए। खास तौर पर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्र में। अब दिल्ली की असफलता के बाद इस मॉडल पर भी मान सरकार को नए सिरे से सोचना होगा। एक रोचक बात यह भी होगी कि दिल्ली से फ्री होने के बाद आप के बड़े नेताओं का पंजाब में दखल और बढ़ेगा या नहीं । पहले से ही आरोप लगते रहे हैं कि पंजाब की सरकार दिल्ली से चलती है। - प्रोफेसर गुरमीत सिंह, राजनीतिक विशेषज्ञ, पंजाब विश्वविद्यालय