{"_id":"67ad5b7a128461e80703fb54","slug":"akali-dal-troubles-increased-due-to-dismissal-of-jathedar-giani-harpreet-singh-2025-02-13","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"आलोचना: मजबूत होगी पार्टी या नई पार्टी का आधार बनेंगे ज्ञानी, जत्थेदार बर्खास्तगी से बढ़ी अकाली दल की परेशानी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
आलोचना: मजबूत होगी पार्टी या नई पार्टी का आधार बनेंगे ज्ञानी, जत्थेदार बर्खास्तगी से बढ़ी अकाली दल की परेशानी
सुशील कुमार, अमर उजाला, सुनाम
Published by: शाहरुख खान
Updated Thu, 13 Feb 2025 08:31 AM IST
सार
जत्थेदार बर्खास्तगी मामले से अकाली दल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सुखबीर सिंह बादल सवालों में घिरे हैं। चौतरफा आलोचना हो रही है। सूबे की अकाली सियासत पटरी पर आती नजर नहीं आ रही है।
विज्ञापन
Akali Dal
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
दमदमा साहिब तख्त के जत्थेदार पद से ज्ञानी हरप्रीत सिंह के निलंबन ने पंजाब की अकाली सियासत में भूचाल ला दिया है। मामले में सुखबीर सिंह बादल एक बार फिर सवालों में घिर गए हैं और उन्हें चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
अकाली दल के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ती दिख रहीं हैं। सूबे की अकाली सियासत पटरी पर आती नजर नहीं आ रही है । हालांकि 2 दिसंबर को अकाल तख्त साहिब के हुक्म के बाद अकाली नेताओं में सुलह होने का आस जगी थी लेकिन इस पर पानी फिरता ही नहीं दिख रहा है बल्कि कड़वाहट बढ़ गई है।
अकाल तख्त साहिब के दखल से उम्मीद बंधी थी कि अकाली सियासत को धार मिलेगी। अब एसजीपीसी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। सिख विद्वान मांग उठा रहे हैं कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों की नियुक्ति और हटाने के लिए कोई ठोस व्यवस्था होनी चाहिए।
एसजीपीसी का अकाल तख्त साहिब को चुनौती देना उचित नहीं है। सियासी गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अकाली दल एकजुट होकर मजबूत हो पाएगा या ज्ञानी हरप्रीत सिंह नई पार्टी का आधार बनेंगे।
Trending Videos
अकाली दल के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ती दिख रहीं हैं। सूबे की अकाली सियासत पटरी पर आती नजर नहीं आ रही है । हालांकि 2 दिसंबर को अकाल तख्त साहिब के हुक्म के बाद अकाली नेताओं में सुलह होने का आस जगी थी लेकिन इस पर पानी फिरता ही नहीं दिख रहा है बल्कि कड़वाहट बढ़ गई है।
विज्ञापन
विज्ञापन
अकाल तख्त साहिब के दखल से उम्मीद बंधी थी कि अकाली सियासत को धार मिलेगी। अब एसजीपीसी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। सिख विद्वान मांग उठा रहे हैं कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों की नियुक्ति और हटाने के लिए कोई ठोस व्यवस्था होनी चाहिए।
एसजीपीसी का अकाल तख्त साहिब को चुनौती देना उचित नहीं है। सियासी गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अकाली दल एकजुट होकर मजबूत हो पाएगा या ज्ञानी हरप्रीत सिंह नई पार्टी का आधार बनेंगे।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह को जत्थेदार पद से हटाने को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचनाएं हो रही हैं। लोगों के तीखे कामेंट अकाली दल के लिए मुसीबत बन सकते हैं। दल खालसा समेत बागी अकाली नेता इसे सुखबीर बादल का अहंकार बता रहे हैं।
पूर्व सांसद प्रो प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरजीत सिंह रखडा आदि जत्थेदार को हटाए जाने की घोर निंदा कर रहे हैं। दूसरी तरफ सुखबीर सिंह बादल के समर्थक इस बर्खास्तगी का पक्ष लेकर बचाव कर रहे हैं।
नेताओं ने आरोप लगाए कि सुखबीर बादल सिख परंपराओं, मर्यादा का उल्लंघन कर रहे हैं। निजी हित के लिए सिख पंथ को आघात पहुंचा रहे हैं। सिख पंथ इसे कदाचित बर्दाश्त नहीं करेगा।
विश्वसनीयता का आधार बनेगा ज्ञानी रघबीर का रुख
अब निगाहें विदेश यात्रा पर गए ज्ञानी रघबीर सिंह पर टिक गई हैं। वे पहले कई बार स्पष्ट कह चुके हैं कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ ऐसी जांच करना एसजीपीसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और जत्थेदार के खिलाफ कोई भी शिकायत अकाल तख्त के अधिकार क्षेत्र में आती है। ऐसे में ज्ञानी रघुवीर सिंह का रूख केवल इस मामले तक सीमित नहीं है बल्कि सिख पंथ में उनकी विश्वसनीयता का आधार भी बनेगा।- अकाल तख्त साहिब, ज्ञानी हरप्रीत सिंह।
अब निगाहें विदेश यात्रा पर गए ज्ञानी रघबीर सिंह पर टिक गई हैं। वे पहले कई बार स्पष्ट कह चुके हैं कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ ऐसी जांच करना एसजीपीसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और जत्थेदार के खिलाफ कोई भी शिकायत अकाल तख्त के अधिकार क्षेत्र में आती है। ऐसे में ज्ञानी रघुवीर सिंह का रूख केवल इस मामले तक सीमित नहीं है बल्कि सिख पंथ में उनकी विश्वसनीयता का आधार भी बनेगा।- अकाल तख्त साहिब, ज्ञानी हरप्रीत सिंह।