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Sukhbir Badal: हमले के वक्त गुरुद्वारे के बाहर क्या कर रहे थे सुखबीर बादल? जानें क्यों मिली थी 'सेवा' की सजा

अमर उजाला नेटवर्क, अमृतसर Published by: शाहरुख खान Updated Wed, 04 Dec 2024 10:36 AM IST
सार

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष्र सुखबीर बादल पर पंजाब के अमृतसर में गोली चली है। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में बादल पर एक हमलावर ने गोली चलाई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। वारदात सुबह नौ बजे के करीब उस समय हुई जब सुखबीर सेवादार की भूमिका निभाने के लिए मेन गेट पर थे। 

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fire on Shiromani Akali Dal leader Sukhbir Singh Badal at Golden Temple Amritsar Punjab
sukhbir singh badal - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पंजाब के अमृतसर में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष्र सुखबीर बादल पर जानलेवा हमला हुआ है। हमले में बादल बाल-बाल बच गए। स्वर्ण मंदिर में बादल पर गोली चलाई गई है, गनीमत रही कि वहां मौजूद लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया। सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से दी गई धार्मिक सजा भुगतने के लिए श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे। आइए जानते हैं कि बादल को किन चार मामलों में धार्मिक सजा मिली है। 
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पूर्व शिअद-भाजपा सरकार के दौरान उप मुख्यमंत्री रहे सुखबीर बादल समेत 17 अकाली मंत्रियों के खिलाफ श्री अकाल तख्त साहिब ने सोमवार को धार्मिक सजा का एलान किया था। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रखवीर सिंह ने हजारों लोगों की मौजूदगी में अकाल तख्त की गैलरी से पढ़ कर सजा सुनाई। 
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यह सजा सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और सिख युवाओं की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को उच्च पदों पर आसीन करने समेत कई पंथक गलतियों के लिए सुनाई गई। 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई थी।

इसमें इन गलतियों के लिए 15 दिन के अंदर सुखवीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। 30 अगस्त को सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त ने तनखाहिया (पंधक गलतियों का दोषी) घोषित किया था। 24 जुलाई को सुखबीर ने बंद लिफाफे में अकाल तख्त को स्पष्टीकरण दिया था। 



सोमवार को सुखबीर पांव में चोट लगी होने के कारण व्हील चेयर पर बैठकर अकाल तख्त के समक्ष पेश हुए। इस दौरान ज्ञानी रघवीर सिंह ने सुखबीर व पूर्व मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा को श्री दरबार साहिब के बाहर घंटाघर प्रवेश द्वार के समक्ष दो दिन के लिए एक-एक घंटा सेवादार की पोशाक पहन बरछा हाथ में लेकर सुबह नौ से दस बजे तक बैठना होगा। 

इस दौरान उन्हें अपने गले में अकाल तख्त की ओर से दी गई तख्ती भी पहननी होगी। उन्हें तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री दमदमा साहिब, गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब, गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में एक-एक घंटा संगत के बर्तन व जूते साफ करने होंगे। 

 

इन गुरुद्वारों में उन्हें एक-एक घंटे तक कीर्तन का श्रवण भी करना होगा। सजा पूरी होने के बाद उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर 11 हजार रुपये की कड़ाह प्रसाद की देग और 11 हजार रुपये गुरु की गोलक में डालने की हिदायत दी गई है। जत्थेदार ने आदेश दिया कि सुखबीर का शिअद अध्यक्ष पद से दिया गया इस्तीफा तीन दिन में स्वीकार किया जाए। छह माह के भीतर पार्टी का पुनगर्ठन कर पार्टी के संविधान और लोकतांत्रिक ढंग से नए पदाधिकारियों का चयन किया जाए। 

हम अपराधी, तुम बख्शाते
सभी दोषियों के गले में तख्तियां डाली गई। इन पर लिखा था- निरवैर पुरख सतगुरु प्रभ दाते, हम अपराधी को तुम बख्शाते, जिस पापी मिले ना ढोई, शरण आवे ता निर्मल होई।। यानी हे वाहेगुरु हम अपराधी हैं और तुम बख्शने वाले हो। हम जैसे पापी तेरी शरण में आकर पवित्र पावन हो जाते हैं।

 

राम रहीम को माफी के समर्थन में 90 लाख से अधिक की राशि के विज्ञापन का खर्च ब्याज सहित लौटाना होगा
सिंह साहिबान ने एसजीपीसी की तत्कालीन कार्यकारिणी की ओर से गुरमीत राम रहीम को माफी देने के समर्थन में 90 लाख से अधिक की राशि के विज्ञापन का खर्च सुखबीर व एसजीपीसी के कार्यकारिणी सदस्यों से ब्याज सहित वसूलने का आदेश दिया। राम रहीम को माफी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से दिए गए फख्र-ए-कौम खिताब वापस लेने के आदेश दिए गए। पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह के राम रहीम को माफी संबंधी स्पष्टीकरण पर उनसे एसजीपीसी को दी गई समस्त सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए। उनके विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने और भाषण देने पर भी रोक लगाई गई है। तख्त श्री केसगढ़ साहिब के पूर्व सिंह साहिबान जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख सिंह का गुरुनगरी से किसी अन्य जगह तबादला करने के आदेश जारी किए गए हैं। वह अभी श्री अकाल तख्त साहिच के हेडग्रंथी हैं।
 

इन चार मामलों में सुनाई सजा

1. राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस ली

2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उनकी तरह कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। राम रहीम पर केस दर्ज किया था, लेकिन बादल सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।

2. डेरा सिरसा मुखी को माफी दिलवाई
अकाल तख्त ने राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राम रहीम को माफी दिलवा दी थी। अकाली दल व एसजीपीसी के नेतृत्व को सिखों के गुस्से का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस लिया।

3. बेअदबी की घटनाओं की जांच सही नहीं हुई
बादल सरकार में 12 अक्तूबर, 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए और बाहर फेंक दिए। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे।


 

4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को इंसाफ नहीं
शिअद सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया था। उन्हें राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने का दोषी माना जाता था। पूर्व डीजीपी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
 

अकाली दल के बागी गुट में नेता भी शामिल
सजा पाने वालों में बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, परमिंदर सिंह दौडसा, सिकंदर मलूका, सुरजीत रखाड़ा, कोणी जागीर कौर, किरणजीत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप बडाला, चरणजीत चराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत चरनाला शामिल हैं।
 
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