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Chandigarh: 22 दिसंबर को होगी किसान-मजदूर मोर्चे और सरकार की बैटक, शंभू बॉर्डर के मुआवजे पर फंसा पेंच
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sat, 20 Dec 2025 12:01 PM IST
सार
किसानों ने प्री-पेड बिजली मीटरों और निजीकरण का विरोध दोहराया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को विरोध-पत्र भेजने की कॉपी किसानों के साथ साझा की जानी चाहिए ताकि लोगों के सामने आ सके कि सरकार ने केंद्र के समक्ष अपना क्या रुख रखा है।
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किसान मजदूर मोर्चा की पत्रकारवार्ता
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
किसान-मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि पंजाब सरकार के साथ वार्ता हुई है और अगली बैठक के लिए सरकार की ओर से पत्र जारी कर दिया गया है। अब 22 दिसंबर को दोबारा बैठक होगी।
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन बिल पर पंजाब सरकार के रुख के चलते रेल रोको आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है लेकिन बातचीत शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हुए नुकसान को लेकर अटकी हुई है। आरोप है कि ट्रैक्टर-ट्रॉली, स्टेज, टेंट, लंगर का सामान, एसी-कूलर सहित बड़े स्तर पर तोड़फोड़ हुई है। सिर्फ शंभू में करीब 3.77 करोड़ रुपये का नुकसान का किसान दावा कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि दोनों मोर्चे पर पूरा गांव बसाया गया था और मोर्चे को हटाने के दौरान उनका भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है, आए दिन गोली चलने जैसी घटनाएं हो रही हैं जबकि किसानों के सिर्फ प्रदर्शनों पर ही सरकार सवाल उठा रही है।
किसान नेता बलदेव सिंह जीरा ने कहा कि बिजली संशोधन बिल के खिलाफ संघर्ष का ऐलान पहले ही किया जा चुका है। शंभू-खनौरी मोर्चों पर ट्रॉली चोरी के मुआवजे, शहीद किसानों को श्रद्धांजलि, दूसरे देशों से मुक्त व्यापार समझौतों और पराली संबंधी पर्चे रद्द करने जैसी मांगें रखी गई हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बिजली संशोधन बिल का विरोध करने की बात स्पष्ट कर दी है। खनौरी-शंभू बॉर्डर के मुआवजे पर बनाई गई सरकारी कमेटी का मोर्चों ने विरोध किया है। शहीदी जोड़ मेले के कारण फिलहाल रेल रोको कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि आंदोलन और पराली जलाने से जुड़े दर्ज केस वापस लेने पर सरकार ने सकारात्मक रवैया अपनाया है। बाढ़ से हुए नुकसान पर अधिक मुआवजे की मांग अगली बैठक में रखी जाएगी। आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को नौकरी पर भी सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है।
किसानों ने प्री-पेड बिजली मीटरों और निजीकरण का विरोध दोहराया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को विरोध-पत्र भेजने की कॉपी किसानों के साथ साझा की जानी चाहिए ताकि लोगों के सामने आ सके कि सरकार ने केंद्र के समक्ष अपना क्या रुख रखा है। मोर्चे का कहना है कि शंभू-खनौरी बॉर्डर के नुकसान के मुआवजे पर ठोस निर्णय न बनने के कारण फिलहाल सहमति नहीं बन पाई है। किसान बाढ़-पीड़ित किसानों का पूरा कर्ज माफ करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा लैंड-पूलिंग नीति को लेकर मोर्चा स्थिति स्पष्ट करने की भी मांग की है। मोहाली के पांच गांवों में जारी नए नोटिसों को रद्द करने की मांग की गई है। टोल पर सैटेलाइट सिस्टम का विरोध और कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन भी घोषणा की गई है।
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चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन बिल पर पंजाब सरकार के रुख के चलते रेल रोको आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है लेकिन बातचीत शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हुए नुकसान को लेकर अटकी हुई है। आरोप है कि ट्रैक्टर-ट्रॉली, स्टेज, टेंट, लंगर का सामान, एसी-कूलर सहित बड़े स्तर पर तोड़फोड़ हुई है। सिर्फ शंभू में करीब 3.77 करोड़ रुपये का नुकसान का किसान दावा कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि दोनों मोर्चे पर पूरा गांव बसाया गया था और मोर्चे को हटाने के दौरान उनका भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है, आए दिन गोली चलने जैसी घटनाएं हो रही हैं जबकि किसानों के सिर्फ प्रदर्शनों पर ही सरकार सवाल उठा रही है।
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किसान नेता बलदेव सिंह जीरा ने कहा कि बिजली संशोधन बिल के खिलाफ संघर्ष का ऐलान पहले ही किया जा चुका है। शंभू-खनौरी मोर्चों पर ट्रॉली चोरी के मुआवजे, शहीद किसानों को श्रद्धांजलि, दूसरे देशों से मुक्त व्यापार समझौतों और पराली संबंधी पर्चे रद्द करने जैसी मांगें रखी गई हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बिजली संशोधन बिल का विरोध करने की बात स्पष्ट कर दी है। खनौरी-शंभू बॉर्डर के मुआवजे पर बनाई गई सरकारी कमेटी का मोर्चों ने विरोध किया है। शहीदी जोड़ मेले के कारण फिलहाल रेल रोको कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि आंदोलन और पराली जलाने से जुड़े दर्ज केस वापस लेने पर सरकार ने सकारात्मक रवैया अपनाया है। बाढ़ से हुए नुकसान पर अधिक मुआवजे की मांग अगली बैठक में रखी जाएगी। आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को नौकरी पर भी सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है।
किसानों ने प्री-पेड बिजली मीटरों और निजीकरण का विरोध दोहराया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को विरोध-पत्र भेजने की कॉपी किसानों के साथ साझा की जानी चाहिए ताकि लोगों के सामने आ सके कि सरकार ने केंद्र के समक्ष अपना क्या रुख रखा है। मोर्चे का कहना है कि शंभू-खनौरी बॉर्डर के नुकसान के मुआवजे पर ठोस निर्णय न बनने के कारण फिलहाल सहमति नहीं बन पाई है। किसान बाढ़-पीड़ित किसानों का पूरा कर्ज माफ करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा लैंड-पूलिंग नीति को लेकर मोर्चा स्थिति स्पष्ट करने की भी मांग की है। मोहाली के पांच गांवों में जारी नए नोटिसों को रद्द करने की मांग की गई है। टोल पर सैटेलाइट सिस्टम का विरोध और कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन भी घोषणा की गई है।