Punjab: मांग के सिंदूर की तलाश में महिला पहुंची रूस; केस लड़ा तब मालूम चला यूक्रेन युद्ध में मारा गया पति
पंजाब के अमृतसर की महिला परमिंद्र कौर का पति तेजपाल 2024 में रूस गया था। उसके बाद वह कभी वापस नहीं लौटा। परमिंद्र कौर पति की तलाश में रूस पहुंची। वहां उसे पति चला कि पति की मौत रूस-यूक्रेन जंग के दौरान हो चुकी है।

विस्तार
जनवरी 2024 में मेरे पति तेजपाल वर्क वीजा पर रूस गए थे। मार्च में पति ने वीडियो कॉल कर बताया कि उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया है। उसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं चला और न ही उनकी कोई कॉल आई।

अपनी दर्द भरी दस्तां सुनाते हुए अमृतसर निवासी तेजपाल की पत्नी परमिंद्र कौर ने बताया कि परिवार वालों को जब गड़बड़ी की आशंका हुई तो उन्होंने भारतीय और रूसी दूतावास से संपर्क कर तेजपाल की तलाश के लिए बहुत धक्के खाए। कुछ नहीं बना तो वह रूस गई और वहां भी दूतावास कार्यालयों में भटकती रही। इस पर रूस ने उन्हें उनके पति के संदर्भ में ‘लापता’ के दस्तावेज थमा दिए, लेकिन उसने अपने पति की तलाश और न्याय के लिए संघर्ष जारी रखा।
अंतत: उसने रूस जाकर वहां प्राइवेट वकील के जरिये रूसी सरकार के खिलाफ केस लड़ा। अब तीन महीने पहले रूसी सरकार ने उन्हें पति का डेथ सर्टिफिकेट बनाकर थमा दिया है लेकिन पति का शव अभी तक नहीं मिला है और अब उम्मीद भी कम है।
बारूदी सुरंगों से करवाते हैं यूक्रेन के वॉर जोन में एंट्री
महज 25 दिन की ट्रेनिंग के बाद भारत से रूस गए युवाओं को यूक्रेन वॉर में धकेला जा रहा है। 15 दिन की ट्रेनिंग एक शहर में करवाई जाती है जबकि 10 दिन यूक्रेन बॉर्डर पर तैनात कर वहां हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उसके बाद बारूदी सुरंगों से बॉर्डर क्रास करवा यूक्रेन के वार जोन में झोंक दिया जाता है।

कूरियर कंपनी में काम का दिया झांसा
यह खुलासा वॉर जोन से सुरक्षित लौटे अमृतसर के सरबजीत ने किया। सरबजीत विधायक परगट सिंह के साथ चंडीगढ़ पहुंचे हुए थे। इनके साथ कुछ अन्य लोग भी थे, जो रूस गए अपने परिजनों को वापस लाने के लिए महीनों से धक्के खा रहे हैं। सरबजीत ने बताया कि साल 2024 में उनके साथ 18 भारतीय युवाओं को भारतीय एजेंटों ने रूसी एजेंटों को सौंपा था। उनसे कहा गया था कि उन्हें रूस में कूरियर कंपनी में काम दिलवाया जाएगा। रूस पहुंचने के बाद चार दिन तो उन्हें एक कमरे में रखा और विभिन्न शहरों की सैर करवाई। बाद में उन्हें रूसी सेना के हवाले कर दिया गया। बड़ी मुश्किल वह जिंदा वापस लौटा। उसके कई साथी भी मर चुके हैं।
बुजुर्गों को भी युद्ध में धकेला
सरबजीत ने बताया कि एजेंटों द्वारा हरियाणा व पंजाब के युवाओं को इस काम के लिए ज्यादा फंसाया जा रहा है। रूस में बताया जाता है कि इन दोनों राज्यों के युवक युद्ध के मामलों में न पीछे हटते हैं न ही डरते हैं। 60 साल के बुजुर्गों और दिव्यांगों को भी जबरन युद्ध में धकेला जा रहा है। विधायक परगट सिंह कहते हैं कि पीड़ितों की मदद के लिए वे केंद्र सरकार से बात करेंगे।
जालंधर के गोराया निवासी जगदीप ने बताया कि करीब डेढ़ साल से अपनी मिसिंग भाई मनदीप सिंह की तलाश में भटक रहा है। रूस से भी धक्के खाकर आ गया हूं और फिर जाने की तैयारी है। भाई दिव्यांग था, उसके बावजूद उसे युद्ध में उतार दिया गया। वे रूसी सेना में भर्ती कई युवाओं के संपर्क में हैं, जो वीडियो कॉल के दौरान भारत वापस लाने के लिए गिड़गिड़ाते हैं। भारत सरकार इन युवाओं की मदद कर इन्हें वापस सुरक्षित लाना चाहिए।