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पंजाब में राशन कार्ड पर रार: केंद्र पर मान सरकार के आरोप के बाद गरमाई राजनीति... जानें क्या है पूरा मामला

नितिन उपमन्यु, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Mon, 25 Aug 2025 09:54 AM IST
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सार

पंजाब में विधानसभा चुनाव को अभी करीब डेढ़ साल बाकी है लेकिन यहां धीरे-धीरे सियासी माहौल बनने लगा है। केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार के बीच आए दिन कोई न कोई विवाद छिड़ जा रहा है। पहले आम आदमी क्लीनिक, ग्रामीण विकास फंड, भाखड़ा बांध में केंद्रीय बलों की तैनाती, केंद्रीय योजनाओं के लाभ के लिए भाजपा के कैंप और अब राशन कार्ड के मुद्दे ने केंद्र और पंजाब सरकार के बीच रार बढ़ा दी है।

Political uproar in Punjab over allegations against Centre of cutting eight lakh ration cards
भगवंत मान - फोटो : ANI
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विस्तार
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पंजाब में राशन कार्ड पर राजनीति नई नहीं है। 2022 में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तो खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने नीले कार्ड धारकों की जांच के आदेश दिए थे। तीन करोड़ की आबादी में 1.50 करोड़ से ज्यादा लाभार्थी होने पर मंत्री ने कहा था कई संपन्न लोगों ने नीले कार्ड (राशन कार्ड) बनवा रखे हैं और वे केंद्र सरकार की ओर दी जा रही दो रुपये किलो गेहूं और 20 रुपये किलो दाल खरीद रहे हैं।
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अब एक बार फिर राशन कार्ड राजनीति के केंद्र में आ गए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान का आरोप है कि केंद्र सरकार ने पंजाब में आठ लाख से ज्यादा राशन कार्ड काटने की साजिश रची है। इससे प्रदेश में 32 लाख लोगों को राशन नहीं मिल पाएगा। पहले भी 23 लाख लोगों को वंचित किया जा चुका है। कुल 55 लाख लोग इस सुविधा से महरूम हो जाएंगे। मान का कहना है कि केंद्र के राशन कार्ड काटने के मानदंड गलत हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में 1.53 करोड़ लाभार्थी हैं, जिन्हें राशन कार्ड से सस्ता अनाज मिलता है। केंद्र ने इनकी पड़ताल करने को कहा है। सीएम के अनुसार 1.29 करोड़ लाभार्थियों की वेरिफिकेशन की जा चुकी है। 

केंद्र ने आरोपों को किया खारिज

मुख्यमंत्री भगवंत मान के आरोपों को केंद्र सरकार ने पूरी तरह खारिज किया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को कहा कि सीएम मान को सही तथ्य पेश करने चाहिए। केंद्र ने सिर्फ अयोग्य लाभार्थियों की पहचान करने के लिए कहा है। पंजाब सरकार अपना काम नहीं कर रही। जोशी के अनुसार लाभार्थियों की अनिवार्य ई केवाईसी का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। केंद्र सरकार केवल राज्यों को इसे लागू करने के लिए कह रही है। पंजाब में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 1.41 करोड़ लाभार्थी हैं। इस अधिनियम के अनुसार पात्र लाभार्थियों की पहचान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने मंजूर किए गए 1.41 करोड़ लाभार्थियों में से किसी को भी नहीं हटाया है।

वोट बैंक की कहानी

इस सारे विवाद के पीछे असली कहानी वोट बैंक की है। हर राशन कार्ड पर चार से पांच लोग जुड़े हुए हैं। डेढ़ करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों की नाराजगी मोल लेने का मतलब है- चुनाव में सीधी मात। इसलिए केंद्र सरकार ने भी मान के आरोपों का जवाब देने में जरा भी देर नहीं की। वहीं, मान का कहना है कि भाजपा के लोग अब वोट चोरी के साथ-साथ राशन चोरी भी करने लगे हैं। पंजाब पूरे देश का पेट भरता है। पूरे देश को अधिकतर गेहूं की आपूर्ति हम करते हैं लिहाजा हमारे राशन कार्ड काटकर कोई भी पंजाबियों को भूखे मारने की सोच न रखे। 

विवाद को बढ़ता देख आम आदमी पार्टी ने एक और दांव खेला है। सभी जिलों में विधायकों की ड्यूटी लगाई है कि वे केंद्र की मंशा को लोगों तक पहुंचाएं। इसी कड़ी में स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर 8 लाख लोगों के राशन कार्ड काटने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह लड़ाई लड़ेंगे और किसी भी हालत में केंद्र की साजिश कामयाब नहीं होने देंगे। इसलिए सड़क पर उतरना पड़े तो जरूर उतरेंगे। कानून का सहारा भी लेंगे। स्पष्ट है कि आने वाले समय में यह विवाद और बढ़ने वाला है। 

मर्सिडीज कार से आटा-दाल लेने पहुंचा था व्यक्ति

2022 में होशियारपुर में एक व्यक्ति मर्सिडीज कार से आटा-दाल लेने पहुंच गया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। इससे पंजाब सरकार का काफी मजाक उड़ा था। तब सरकार ने कहा था कि ऐसे सभी संपन्न परिवारों के नाम कटेंगे जिन्होंने यह नीले कार्ड बनवा रखे हैं। हालांकि डिपो होल्डरों के हाई कोर्ट में जाने से पंजाब सरकार की यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी।  

शिअद और कांग्रेस दोनों रहे निशाने पर 

शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान द्वारा शुरू की गई नीले कार्ड की योजना शुरू से ही राजनीति का केंद्र रही है। विपक्ष हमेशा आरोप लगता रहा है कि शिअद ने अपने कार्यकाल में वोट बैंक के कारण अपने लोगों को इसका लाभ दिया। 2017 में भी कांग्रेस की सरकार आने के बाद नीले कार्ड धारकों की जांच हुई थी। चुनावी वर्ष में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने जमकर नीले कार्ड बनाए थे। अब आप सरकार ने इसे रिव्यू करने का फैसला किया है। 

बहाल किए गए लाखों नीले कार्ड

इसी वर्ष जुलाई में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि जब हमारी सरकार बनी थी कुछ लोगों ने गड़बड़ करके लाखों नीले कार्ड कटवा दिए थे लेकिन अब सभी नीले कार्ड दोबारा जोड़ दिए गए हैं। जिन लोगों के कार्ड जुड़े हैं, उनके घर सरकार की ओर से एक चिट्ठी भेजी जाएगी और उसके बाद वो राशन ले सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। 

आप सरकार करवाएगी जांच: मान

मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि हम अपने विभाग से इन कार्डों की जांच करवाएंगे जिससे पता चल सके कि कोई ऐसा व्यक्ति तो नहीं है जिसका राशन कार्ड न बन सकता हो और बन गया हो। केंद्र सरकार कह रही है कि जिन लोगों के नाम काटे जा रहे हैं उनके पास कार, सरकारी नौकरी है, 25 लाख रुपये का टर्नओवर है। 2.5 एकड़ से ज्यादा जमीन है। अगर दो भाइयों का परिवार हो जिसमें एक भाई के नाम पर राशन कार्ड हो जो सरकारी नौकरी में हो लेकिन दूसरे भाई के पास आय का कोई स्रोत न हो तो क्या होगा? क्या उसका परिवार बिना खाने के रहेगा। यह हमारा राशन चुराने जैसा है।

राशन कार्ड काटने की बात सही नहीं: जाखड़ 

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ का कहना है कि राशन कार्ड बनवाने व राशन बांटने का काम राज्य सरकार का होता है। केंद्र सरकार सिर्फ राशन जारी करती है। 2023 में आप सरकार ने खुद एक सर्वे का हवाला देकर 10.50 लाख लाभार्थियों के राशन कार्ड काटने का फैसला लिया था लेकिन लोकसभा चुनाव पास आते ही इस फैसले को वापस ले लिया। 

यहां भी केंद्र-पंजाब आमने-सामने

पंजाब की आप सरकार ने आरोप लगाया है कि भाजपा पंजाब में विशेष शिविर के नाम पर लोगों का डाटा चोरी कर रही है। यह भी एक बड़ी साजिश है, जिसके जरिये बाद में पंजाब के वोट काटे जाएंगे। हमें कई जिलों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं और हम कार्रवाई भी कर रहे हैं। भाजपा यह बताए इस बात की जिम्मेदारी कौन लेगा कि एकत्रित किए जा रहे डाटा का कोई दुरुपयोग नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि पंजाब पुलिस ने शिविर लगाने जा रहे 50 से अधिक भाजपा नेताओं को हिरासत में ले लिया था जिसके विरोध में भाजपा ने पंजाब भर में प्रदर्शन भी किया था।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि पंजाब सरकार के विरोध के बावजूद बीबीएमबी ने बांधों पर सीआईएसएफ की सुरक्षा लगा दी है। मैं खुद केंद्र सरकार के पास इस पर अपना विरोध जताऊंगा।
 
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