Punjab: किसानों का दालों की खेती से मोहभंग, उत्पादन में आई 28 फीसदी कमी; गेहूं और चावल का रूझान बढ़ा
पंजाब में कपास का उत्पादन भी लगातार कम होता जा रहा है। इस बार बाढ़ के कारण भी कपास की काफी फसल खराब हो गई जिस कारण सरकार का उत्पादन बढ़ाने लक्ष्य भी अधूरा रह गया।
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पंजाब सरकार कृषि विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है बावजूद इसके अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे हैं। किसानों का दालों की खेती से मोहभंग होता जा रहा है जिस कारण इसके उत्पादन में 28 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। दूसरी तरफ चावल व गेहूं के उत्पादन में वृद्धि होती जा रही है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार मूंग के उत्पादन में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वर्ष 2021-22 में 1238 किलोग्राम हेक्टेयर उत्पादन के बाद वर्ष 2023-24 में कम होकर 914 किलोग्राम हेक्टेयर रह गया है। इसी तरह वर्ष 2024-25 में भी इसमें गिरावट जारी रही और मूंग का उत्पादन घटकर 890 किलोग्राम हेक्टेयर रह गया है। इस तरह चार साल में उत्पादन में 28 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
वहीं उड़द की दाल का वर्ष 2019-20 में 578 किलोग्राम हेक्टेयर उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2024-25 में कम होकर 580 किलोग्राम हेक्टेयर हो गया है। दालों की फसल को अधिक देखभाल की जरूरत होती है बावजूद इसके किसानों को इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। यह भी एक कारण है कि किसान इनकी खेती के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।
इसके अलावा प्रदेश में कपास का उत्पादन भी लगातार कम होता जा रहा है। इस बार बाढ़ के कारण भी कपास की काफी फसल खराब हो गई जिस कारण सरकार का उत्पादन बढ़ाने लक्ष्य भी अधूरा रह गया। गन्ने की भी यही स्थिति है और वर्ष 2024-25 में 82,050 किलोग्राम हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन हुआ है।
चावल के साथ गेहूं की अधिक खेती
रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में लगातार धान व गेहूं की खेती में बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2019-20 में गेहूं का 5003 किलोग्राम हेक्टेयर का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 5045 किलोग्राम हेक्टेयर हो गया है। वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 5123 किलोग्राम हेक्टेयर हो गया है। चावल के उत्पादन में भी पिछले कुछ साल से बढ़ोतरी होती जा रही है। वर्ष 2024-25 में भी 4428 किलोग्राम हेक्टेयर का उत्पादन हुआ है।
बाकी दालों का भी कम होता जा रहा उत्पादन
इसी तरह बाकी दालों का भी उत्पादन कम होता जा रहा है। चना दाल का उत्पादन भी वर्ष 2024-25 में सिर्फ 1188 किलोग्राम हेक्टेयर रह गया है। इसी तरह तुअर दाल का उत्पादन भी सिर्फ 1261 किलोग्राम हेक्टेयर ही दर्ज किया गया है। धान के लगातार बढ़ रहे रकबे के कारण प्रदेश में भूजल के स्तर में भी लगातार गिरावट आ रही है। राज्य में 30 हजार टन से ज्यादा दालों की जरूरत है जिसके लिए दूसरे देशों से इनका आयात किया जाता है।
दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए पहले की तरह ही किसानों का विश्वास जीतना होगा। किसानों को जब तक फसल का सही रूप से लाभ नहीं मिलेगा तब तक किसान फसल उगाने के लिए राजी नहीं होंगे। इसी तरह सरसों के कटाई के समय और बाद में संभाल बहुत जरूरी होती है। फसल का नुकसान अधिक रहता है। साथ ही नमी के कारण भी फसल खराब होने का डर बना रहता है जिस कारण इसके उत्पादन में कमी आ रही है। - हर्ष नायर, प्रोफेसर, पंजाब विश्वविद्यालय
पंजाब सरकार फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। किसानों को विशेष सब्सिडी दी जा रही है। हाल ही में गन्ने के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गई है। साथ ही किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। - गुरमीत सिंह खुड्डियां, कृषि मंत्री, पंजाब