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VB G RAM G Bill: मनरेगा का नाम बदलने पर भड़की कांग्रेस, प्रियंका ने पूछा- क्यों हटा रहे महात्मा गांधी का नाम?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Mon, 15 Dec 2025 02:01 PM IST
सार

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) का नाम बदलने के फैसले को लेकर सरकार कटघरे में है। केंद्र सरकार संसद में विधेयक पेश कर इस योजना का नाम बदलने की तैयारी में है। अब सियासी आलोचकों की दलील है कि नई योजना का नाम ऐसा रखा गया है कि संक्षेप में इसे 'विकसित भारत जी राम जी (Viksit Bharat G Ram G) पढ़ा जा रहा है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सरकार से तीखे सवाल किए हैं। जानिए पूरा मामला

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Congress vs BJP on MGNREGA to pollution Priyanka Gandhi Jairam Ramesh GRAP Rules Delhi AQI hindi news updates
मनरेगा के नए नाम पर सियासी घमासान - फोटो : मनरेगा के नाम पर सियासी घमासान
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विस्तार
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कांग्रेस ने सरकार को MGNREGA का नाम बदलने से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति तक पर घेरा है। केरल से निर्वाचित पार्टी सांसद प्रियंका गांधी ने सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर मनरेगा का नाम बदलने संबंधी विधेयक पारित कराते समय सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। सरकार का तर्क है कि यह बदलाव 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य के तहत है। मनरेगा का नाम बदलने के निर्णय को लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए प्रियंका गांधी ने सवाल किया कि योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने के पीछे सरकार की नीयत क्या है? तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। मनरेगा के अलावा कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपाय- GRAP को लेकर सरकार का घेराव किया है।
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महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है?
प्रियंका ने संसद परिसर में पत्रकारों के एक सवाल पर कहा, जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो कार्यालयों, स्टेशनरी आदि में बड़े पैमाने पर बदलाव करने पड़ते हैं। ऐसी गतिविधियों पर सरकार का बहुत पैसे खर्च करती है। उन्होंने सवाल किया कि नाम बदलने का फायदा क्या है? यह सब क्यों किया जा रहा है? महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है?
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समय बर्बाद हो रहा है, पैसा बर्बाद हो रहा है...
कांग्रेस सांसद प्रियंका ने कहा, 'महात्मा गांधी को न केवल देश में बल्कि विश्व में सबसे महान नेता माना जाता है; इसलिए उनका नाम हटाने के पीछे का उद्देश्य मेरी समझ से परे है। उनका इरादा क्या है? केरल की वायनाड लोकसभा सीट से निर्वाचित सांसद ने लोकसभा की कार्यवाही के दौरान समय के सदुपयोग का जिक्र करते हुए कहा, 'जब हम बहस करते हैं, तब भी वह अन्य मुद्दों पर होती है, न कि जनता के वास्तविक मुद्दों पर। समय बर्बाद हो रहा है, पैसा बर्बाद हो रहा है, वे खुद को ही परेशान कर रहे हैं।'

ये भी पढ़ें- MGNREGA का बदलेगा नाम: नया कानून लाने की तैयारी, लोकसभा में पेश होगा ‘विकसित भारत रोजगार गारंटी’ बिल

मनरेगा का नाम बदलने पर तृणमूल कांग्रेस ने भी घेरा

ग्रामीण रोजगार के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना- मनरेगा पर एक अन्य विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। तृणमूल के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार का यह कदम 'महात्मा गांधी का अपमान' है। उन्होंने कहा, 'ये वही लोग हैं जिन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे की पूजा की थी। वे महात्मा गांधी का अपमान करना चाहते हैं और उन्हें इतिहास से मिटा देना चाहते हैं।

वाम दल ने भी किया विरोध
सीपीआईएम महासचिव एमए बेबी ने इसे तथ्य को छिपाने का प्रयास बताया। उन्होंने दावा किया, मनरेगा के पूर्ण पुनर्गठन को लेकर केंद्र सरकार दिखावा कर रही है। तथ्य को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। जिस बुनियादी अधिकार-आधारित ढांचे के तहत मनरेगा की योजना संचालित होती थी, उसे खत्म किया जा रहा है। केंद्र सरकार फंड में भी कटौती कर रही है। जिम्मेदारी राज्यों पर डाली जा रही है। केंद्र अब विपक्षी दलों की सरकारों वाले राज्यों को मिलने वाले फंड में कटौती कर उन्हें दंडित कर सकता है। बेबी ने दावा किया कि इससे 'ग्रामीण संकट और बढ़ जाएगा। हम संसद के अंदर से लेकर बाहर तक सरकार के इस विनाशकारी कदम के खिलाफ जमकर विरोध करेंगे।

ये भी पढ़ें- MGNREGA: योजना का नाम बदलने पर कांग्रेस हमलावर, जयराम बोले- 'मोदी सरकार री-ब्रांडिंग में मास्टर'

विकसित भारत 'जी राम जी' योजना, क्या बदलाव होंगे?

दरअसल, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार ने साल 2005 में इस योजना की शुरुआत की थी। मनरेगा को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बड़े बदलाव की तरह देखा गया। अब प्रस्तावित नए नाम- 'विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' को संक्षेप में 'विकसित भारत जी राम जी' (VB-G RAM G) लिखा जा रहा है। सरकार ने इस योजना के ढांचे में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नई योजना के तहत गारंटीयुक्त काम के दिनों की संख्या संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है। नई योजना के प्रस्ताव में काम पूरा होने के 7 से 15 दिनों के भीतर मजदूरी का भुगतान अनिवार्य होगा। देरी होने पर बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान है। प्रस्ताव के अनुसार कार्यों को चार प्रमुख वर्गों में बांटा जाएगा- जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका अवसंरचना और आपदा प्रबंधन।

MGNREGA में बदलाव पर सरकार की दलील
गौरतलब है कि केंद्र प्रायोजित इस योजना के तहत प्रत्येक राज्य सरकार को कानून लागू होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर विधेयक के तहत प्रस्तावित गारंटी को प्रभावी बनाने के लिए योजना बनानी होगी। सरकार प्रत्येक राज्य के लिए कुछ मापदंडों के आधार पर अनुमानित आवंटन करेगी। स्वीकृत राशि से अधिक खर्च की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। बदलावों के संबंध में ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मनरेगा के तहत पिछले 20 वर्षों में ग्रामीण परिवारों को गारंटीकृत मजदूरी और रोजगार मिले हैं। उन्होंने कहा, बीते कुछ समय में ग्रामीण परिदृश्य में महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हुए हैं। इसे देखते हुए योजना का सुदृढ़ीकरण जरूरी हो गया है।


वायु प्रदूषण के मुद्दे पर जयराम रमेश ने GRAP को नाकाफी बताया
मनरेगा के अलावा कांग्रेस ने सरकार को प्रदूषण के मुद्दे पर भी कटघरे में खड़ा किया। दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर वर्गीकृत प्रतिक्रिया कार्य योजना (GRAP) को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नाकाफी बताया। उन्होंने कहा, स्वच्छ हवा के लिए केवल ग्रैप के मुद्दे पर ही काम करना काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के तहत संकट प्रबंधन पर जोर दिया जाता है, न कि संकट से बचाव पर। 

कांग्रेस बोली- सरकार का जवाब असंवेदनशील
संसद में एक सवाल पर सरकार के जवाब का जिक्र करते हुए रमेश ने कहा, '9 दिसंबर, 2025 को मोदी सरकार ने राज्यसभा में घोषणा की थी कि देश में ऐसा कोई निर्णायक डाटा उपलब्ध नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि मृत्यु/बीमारी का सीधा संबंध वायु प्रदूषण से है।' कांग्रेस महासचिव के मुताबिक सरकार ने दूसरी बार चौंकाने वाली असंवेदनशीलता दिखाई है। इससे पहले 29 जुलाई 2024 को भी राज्यसभा में यही दावा किया था। 

समय से पहले हो रहीं मौतें
उन्होंने आंकड़ों का उल्लेख करते हुए सरकार को घेरा और कहा, लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि भारत में होने वाली सभी मौतों में से 7.2% वायु प्रदूषण से संबंधित हैं। केवल 10 शहरों में प्रति वर्ष लगभग 34,000 मौतें हो रही हैं। अगस्त 2024 में मुंबई स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज ने सरकारी आंकड़ों का अध्ययन कर बताया था कि देश के जिन जिलों में वायु प्रदूषण राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएओएस) से अधिक है, वहां वयस्कों की समय से पहले मौत हो रही है। इन जिलों में समय से पहले मृत्यु दर में 13% और बच्चों में मृत्यु दर में लगभग 100% तक की वृद्धि दर्ज की गई है। बकौल जयराम रमेश, 2017 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू होने के बावजूद, पीएम 2.5 का स्तर लगातार बढ़ रहा है। हर भारतीय ऐसे क्षेत्रों में रहता है जहां पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों से कहीं अधिक हैं।

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