सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Why has CAPF Flag Day Fund not been established in paramilitary forces

CAPF: सेना में 'सशस्त्र झंडा दिवस कोष' की तर्ज पर अर्धसैनिक बलों में क्यों नहीं हो सका 'CAPF Flag day Fund' का

डिजिटल ब्यूरो अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Mon, 15 Dec 2025 03:32 PM IST
विज्ञापन
Why has CAPF Flag Day Fund not been established in paramilitary forces
सीएपीएफ - फोटो : एएनआई
विज्ञापन

सेना में 'सशस्त्र झंडा दिवस कोष' की तर्ज पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों 'सीएपीएफ' में ऐसे कोष का गठन नहीं हो पा रहा है। अलॉइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा इस बाबत कई वर्ष से प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर एसोसिएशन द्वारा यह मांग पहुंचाई गई है, लेकिन अभी तक कोई घोषणा नहीं हो सकी। पूरे देश में 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' सात दिसंबर को मनाया जाता है। एसोसिएशन के चेयरमैन और सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एचआर सिंह का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशानुसार, 'सीआरपीएफ' ने अपने सभी अफसरों व कार्मिकों को 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' कोष में स्वेच्छा से दान करने के निर्देश दिए थे। एचआर सिंह ने सवाल किया है, क्या गृह मंत्रालय 'सीएपीएफ फ्लैग डे फंड' भी स्थापित करेगा, ताकि इन बलों के योग्य कार्मिकों के कल्याण के लिए भी ऐसे ही सभी लोग दान कर सकें। 

Trending Videos


बता दें कि गृह मंत्रालय के निर्देशों पर सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक 'प्रशासन' द्वारा पांच दिसंबर को एक पत्र जारी किया गया था। उसमें कहा गया कि बल के अधिकारी और कर्मचारी, आगे आकर 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' कोष में उत्साहपूर्वक योगदान दें। इसका मकसद, शहीद जवानों के परिवारों, दिव्यांग, पूर्व सैनिकों तथा उनके आश्रितों को सहायता प्रदान करना है। भारत सरकार ने इस बार यह निर्देश भी दिया था कि इस वर्ष अधिकारी व कर्मचारी, अपनी स्वेच्छा से 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' में किसी भी यूपीआई प्लेटफार्म के माध्यम से योगदान कर सकते हैं। इसी साइट से डिजिटल रूप से डिजाइन किए गए टोकन फ्लैग भी डाउनलोड कर सकते हैं। 
विज्ञापन
विज्ञापन


एसोसिएशन के मुताबिक, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कल्याण, पुनर्वास एवं बेहतर शिक्षा स्वास्थ्य के लिए अर्ध-सेना झंडा दिवस कोष की स्थापना करने की मांग के संबंध में तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला के साथ 2 फरवरी 2021 एक अहम बैठक हुई थी। उस बैठक में गृह सचिव द्वारा इस बाबत 21 या 31 अक्टूबर की तिथि निश्चित करने का आश्वासन दिया गया था। इसके बाद वह फाइल आगे ही नहीं बढ़ सकी। 

एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह के मुताबिक, केंद्रीय सुरक्षा बल, जिन्हें पैरामिलिट्री के नाम से पुकारते हैं, वे देश की लम्बी सरहदों के वास्तविक चौकीदार हैं। इतना होने पर भी अर्धसैनिक बलों के लिए कोई झंडा दिवस आयोजित नहीं किया जाता। ये बल सड़क से लेकर संसद तक की पहरेदारी करते हैं। बाढ़, भूकंप या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटना, देश में शांतिपूर्वक एवं निष्पक्ष चुनाव कराना, कश्मीर के आतंकवाद और दूसरे राज्यों में फैले नक्सलवाद का मुक़ाबला, महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों की सुरक्षा व लोगों को वीवीआईपी सुरक्षा मुहैया कराना, जैसे सदायित्वों का इन बलों ने सफल निर्वहन किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस वर्ष भारतीय सेनाओं के गैर पैंशन धारकों, पूर्व सैनिकों, उनके आश्रितों, विधवाओं के बच्चों की शिक्षा से लेकर शादी में दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि में दोगुनी वृद्धि कर उन्हें दिवाली का तोहफा दिया था। इस निर्णय से सरकार पर लगभग 257 करोड़ का खर्च आएगा। यह खर्च 'सशस्त्र झंडा दिवस कोष' से वहन होगा। ये संसोधित दरें 1 नवंबर 2025 से लागू करने की बात कही गई।

दूसरी तरफ पैरामिलिट्री फोर्सेस, यानी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 'झंडा दिवस कोष' की स्थापना ही नहीं हो सकी है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ ने पाकिस्तान के 118 बंकर्स ध्वस्त किए थे। सवाल, उन सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षा बलों के सैंकड़ों जांबाजों का भी है, जिन्होंने कई दशकों 20 वर्षों से चले आ रहे (लाल आतंक) नक्सलवाद का सामना करते के दौरान अपने प्राणों की आहुति देते हुए सर्वोच्च कर्तव्यों का निर्वहन किया। एसोसिएशन की गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय से अर्ध सैनिक झंडा दिवस कोष के गठन को लेकर 5 बार मुलाकातें हुईं, लेकिन मंत्री द्वारा सात दिसंबर 2022 को राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब से लाखों पैरामिलिट्री परिवारों को ठेस पहुंची थी। उन्होंने कहा था कि हर फोर्स का अलग अलग झंडा है। वे अपने तौर पर स्थापना दिवस मनाते हैं। रणबीर सिंह के अनुसार, जहां तक झंडा दिवस कोष स्थापित करने का सवाल था, गृह राज्य मंत्री ने इस महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब नहीं दिया। 

बतौर एचआर सिंह, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए इस प्रकार के कोष का गठन होना चाहिए। सभी फोर्सेस डीजी से राय भी मांगी गई, लेकिन गृह राज्यमंत्री के संसद में दिए गए बयान से सब खत्म हो गया। नए आदेश के तहत 'सेना झंडा दिवस कोष' के माध्यम से सेना ने अपने गैर पेंशन भोगियों, पूर्व सैनिकों उनकी विधवाओं को मिलने वाले गरीबी अनुदान को 4000 से बढ़ाकर 8000 रुपये कर दिया है। यह सुविधा उन वृद्ध सैनिकों के लिए भी लागू होगी, जो पेंशन के पात्र नहीं थे। 

रणबीर सिंह ने कहा, अब उन बीएसएफ जवानों का क्या होगा जो 1996-97 में विभागीय गलती के कारण बीएसएफ रूल 19 के तहत 10 साल सेवा के बाद घर भेज दिए गए। उन्हें यह भरोसा दिया गया कि आप स्वेच्छा से घर जाइए, आप को न्यूनतम पेंशन मिलेगी। साल 2001 तक इन जवानों को 1250 रुपये पेंशन मिली, जो बाद में बंद कर दी गई। इन पीड़ित जवानों की संख्या 697 के आसपास थी। इनमें से कुछ तो पेंशन मिलने की आस लगाए इस दुनिया से भी चले गए। अब उन पर परिवारों की मदद कौन करेगा। 

सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षा बलों के जवान, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई घोषणा, 'नक्सलवाद को 31 मार्च 2026 तक समाप्त कर देंगे', को पूरा करने में लगे हैं। इसके लिए वे दिन-रात ऑपरेशन कर रहे हैं। उनका मकसद, 2026 तक भारत को नक्सल मुक्त बनाना है। एसोसिएशन ने अब एक बार फिर केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष यह मांग रखी है कि पूर्व अर्धसैनिकों, उनकी विधवाओं, गैर पेंशन भोगियों, ऑपरेशन के दौरान दिव्यांग हुए जवानों, पूर्व अर्धसैनिकों की बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, शादियों, पेंशन पुनर्वास में आर्थिक सहायता के लिए अविलंब सेना झंडा दिवस कोष की तर्ज पर अर्ध सैनिक झंडा दिवस "कोष" स्थापित किया जाए। इसके गठन के लिए किसी बजटीय प्रावधान की जरूरत नहीं है। आम भारतीय उपरोक्त कोष में स्वेच्छा से दान करेंगे। 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed