सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   West Bengal Election 2026: BJP changes strategy for Bengal focuses on booths vote margins and data

West Bengal Election 2026: भाजपा ने बंगाल के लिए बदली रणनीति; बूथ, वोट अंतर और डाटा पर नया दांव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता Published by: लव गौर Updated Mon, 15 Dec 2025 03:45 PM IST
सार

West Bengal Election 2026: पश्चिम बंगाल में भाजपा 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी डाटा आधारित रणनीति के साथ कर रही है, जिसमें हाल के चुनावी नतीजों का निर्वाचन क्षेत्र-वार विश्लेषण किया जा रहा है, जिसका मकसद पिछले वोटों के गणित और अंतर को चुनावी फायदे में बदलना है।

विज्ञापन
West Bengal Election 2026: BJP changes strategy for Bengal focuses on booths vote margins and data
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह (फाइल फोटो) - फोटो : ANI Photos
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीति को नए सिरे से आकार दे रही है। पार्टी इस बार बड़े कार्यक्रमों और हाई-प्रोफाइल राजनीति की जगह डाटा आधारित विश्लेषण, बूथ स्तर की तैयारी और वोट मार्जिन पर फोकस कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक यह रणनीति 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों व 2021 के विधानसभा चुनावों के नतीजों और वोट अंतर (मार्जिन) के गहन अध्ययन पर आधारित है। इसका उद्देश्य उन विधानसभा क्षेत्रों को प्राथमिकता देना है, जहां भाजपा पहले जीत चुकी है या कड़ी टक्कर देती रही है।
Trending Videos


50 सीटों को भाजपा ने रखा गणना से बाहर
पार्टी का मानना है कि राज्य में करीब 50 अल्पसंख्यक बहुल सीटें ऐसी हैं, जो संगठनात्मक और सामाजिक कारणों से 'संरचनात्मक रूप से कठिन' हैं। इन सीटों को पार्टी ने अपनी मुख्य चुनावी गणना से अलग रखा है। ये ऐसी सीटें हैं, जहां बूथ एजेंट तैनात करना, संगठनात्मक उपस्थिति बनाए रखना और स्थानीय नेटवर्क का मुकाबला करना लगातार चुनौतियां पेश करता है। इस वास्तविकता से लड़ने के बजाय, पार्टी ने ऐसी सीटों को अपने मुख्य चुनावी गणित से बाहर रखने का फैसला किया है।
विज्ञापन
विज्ञापन


पहले से मजबूत और नई सीटों पर पार्टी का फोकस
भाजपा का तर्क है कि जब इन 'मुश्किल' सीटों को अलग कर दिया जाता है, तो सत्ता तक पहुंचने का रास्ता छोटा और स्पष्ट हो जाता है। राज्य भाजपा अध्यक्ष सामिक भट्टाचार्य के मुताबिक बंगाल के लोग बदलाव चाहते हैं, क्योंकि वे टीएमसी के कुशासन से तंग आ चुके हैं। हम नई सीटों पर और उन क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे, जहां हम पहले जीत चुके हैं या पिछले कुछ चुनावों में स्थिर वोट शेयर बनाए रखा है, या बढ़त हासिल की है।

अपनी आंतरिक आकलन के अनुसार, पार्टी ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों और 2021 के विधानसभा चुनावों में 60 विधानसभा क्षेत्रों में या तो जीत हासिल की या बढ़त बनाई।अन्य 40 सीटों पर उसने तीन में से दो चुनावों में ऐसा किया। इसके अलावा भाजपा ने इसी अवधि में 60 और क्षेत्रों में कम से कम एक जीत या बढ़त दर्ज की।

ये भी पढ़ें: Bengal SIR: 13 लाख से अधिक मतदाताओं के माता-पिता के नाम एक; कहीं पिता की उम्र 15 वर्ष तो कई युवा बन गए दादा

कुल 294 में से पार्टी की 162 सीटों पर नजर
पार्टी नेता के मुकाबिक कुल मिलाकर, ये 160 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बनते हैं। दो और सीटें - अशोकनगर, जिसे 1999 के उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार बादल भट्टाचार्य ने जीता था, और बसीरहाट दक्षिण, जहां 2014 में समीक भट्टाचार्य ने उपचुनाव जीता था। पार्टी की 'संभावित अधिग्रहण सूची' में शामिल हैं, जिससे यह संख्या 162 हो जाती है, जो 294 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के निशान 148 से चौदह सीटें अधिक हैं।

पिछले 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 77 सीटें जीती थीं और 38 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं का तर्क है कि पार्टी की यह रणनीति पुरानी यादों पर नहीं, बल्कि वोट मार्जिन पर आधारित है। एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “इन सीटों पर पिछले चुनाव चक्र में भाजपा और टीएमसी के बीच कुल वोट अंतर 10 लाख से कम था। प्रति सीट सिर्फ 3,000 से 3,500 वोटों की बढ़त से नतीजे बदल सकते हैं।”

ये भी पढ़ें: Politics: 'तानाशाह की तिलमिलाहट...', BJP ने ममता की हिटलर से की तुलना; सोशल मीडिया पोस्ट से उठा सियासी तूफान

इसी गणित के तहत भाजपा स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एसआईआर) यानी मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर जोर दे रही है। पार्टी का दावा है कि डुप्लीकेट और अयोग्य मतदाताओं के नाम हटने से टीएमसी को नुकसान होगा। 

भौगोलिक रूप से बीजेपी का आत्मविश्वास उत्तर बंगाल और मतुआ-बहुल क्षेत्रों में बना हुआ है। बनगांव और रानाघाट लोकसभा क्षेत्रों के तहत 14 विधानसभा क्षेत्रों में से, बीजेपी ने तीनों चुनावों में से 12 में बढ़त बनाई या जीत हासिल की। धूपगुड़ी, मैनागुड़ी, डबग्राम-फूलबाड़ी, अलीपुरद्वार, मदारीहाट, कालचीनी और फलाकाटा जैसी उत्तर बंगाल की सीटों के साथ-साथ इंग्लिशबाजार, ओल्ड मालदा और हबीबपुर सहित मालदा के क्षेत्रों में बार-बार जीत दर्ज की गई है।

एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा, "ये आकस्मिक जीत नहीं हैं। ये सामाजिक जुड़ाव और राजनीतिक व्यवहार में लगातार बदलाव दिखाते हैं।" बीजेपी 2021 की हार के बावजूद कोलकाता और उसके आसपास के इलाकों को भी नजरअंदाज नहीं कर रही है। जोड़ासांको, श्यामपुकुर, बिधाननगर और हाबरा जैसे विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी ने 2019 और 2024 दोनों लोकसभा चुनावों में बढ़त बनाई, भले ही पार्टी पिछले विधानसभा चुनावों में ये सीटें हार गई थी। भवानीपुर, रासबिहारी, मानिकतला, बारासात, बहरामपुर और जंगीपुर में एक बार की जीत या बढ़त को इस बात के सबूत के तौर पर पेश किया जा रहा है कि ये सीटें "संरचनात्मक रूप से विरोधी" नहीं हैं।

पार्टी नेताओं का कहना है कि 2021 से सबसे बड़ा बदलाव तरीके में है। अब न तो बड़े पैमाने पर दलबदल पर जोर है और न ही केवल रैलियों पर निर्भरता। पार्टी ने 2026 के लिए तीन प्रमुख स्तंभ तय किए हैं, जिनमें 
  • 1. चुनावी पारदर्शिता: केंद्रीय बलों की सख्त तैनाती, कड़ी निगरानी और बूथ स्तर पर दबाव रोकना।
  • 2. वोटों का एकीकरण: वाम और कांग्रेस के वोटों के BJP की ओर आने की उम्मीद।
  • 3. नेतृत्व और संदेश केंद्रीय नेता मुख्य चेहरा रहेंगे, विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी TMC पर हमलावर भूमिका में होंगे, जबकि समिक भट्टाचार्य विकास, निवेश और रोजगार का विजन सामने रखेंगे।
कुल मिलाकर भाजपा 2026 विधानसभा चुनाव के लिए डाटा, संगठन और बूथ मैनेजमेंट के सहारे सत्ता की राह तलाश रही है।

बंगाल भाजपा की रणनीति से जुड़ा अन्य वीडियो

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed