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एअर इंडिया हादसा: अहमदाबाद में क्रैश के छह माह बाद भी नहीं भरे जख्म, घर के बाहर रातें गुजार रहीं ये बेबस मां
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: अमन तिवारी
Updated Mon, 15 Dec 2025 02:46 PM IST
सार
अहमदाबाद में एअर इंडिया फ्लाइट 171 हादसे को छह महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन 14 वर्षीय आकाश पाटनी का परिवार आज भी उन दुखों से उबर नहीं पाया है। अपने इकलौते बेटे को खो चुके माता-पिता आज भी उस सदमे से बाहर नहीं निकल पाए हैं। अब वे शहर छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
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रोते बिलखते आकाश के परिजन
- फोटो : PTI
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विस्तार
12 जून को अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान 171 के दुखद हादसे को छह महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन इस घटना में जान गंवाने वाले 14 वर्षीय आकाश पाटनी के परिवार के लिए समय जैसे थम सा गया है।
बता दें कि 12 जून को आकाश अपनी मां को दोपहर का खाना देने के लिए मेघानीनगर में बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पास परिवार की छोटी चाय की दुकान पर गया था। इस दौरान एअर इंडिया फ्लाइट 171 हादसे का शिकार हो गई थी। हादसे में कुल 260 लोगों मारे गए थे। मारे जाने वालों में प्लेन में सवार 241 लोग शामिल थे, जबकि 19 लोग जमीन पर मारे गए, जहां विमान गिरा था। इसमें आकाश भी शामिल था।
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बता दें कि 12 जून को आकाश अपनी मां को दोपहर का खाना देने के लिए मेघानीनगर में बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पास परिवार की छोटी चाय की दुकान पर गया था। इस दौरान एअर इंडिया फ्लाइट 171 हादसे का शिकार हो गई थी। हादसे में कुल 260 लोगों मारे गए थे। मारे जाने वालों में प्लेन में सवार 241 लोग शामिल थे, जबकि 19 लोग जमीन पर मारे गए, जहां विमान गिरा था। इसमें आकाश भी शामिल था।
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आकाश की पार्थिव शव यात्रा
- फोटो : PTI
पीटीआई से बात करते हुए आकाश के पिता सुरेशभाई पाटनी बताते हैं कि, 'इस दुखद घटना को सिर्फ छह महीने हुए हैं, लेकिन हमारे लिए ऐसा लगता है जैसे छह साल बीत गए हों।' वो बताते हैं कि वह अब अपने परिवार की चाय की दुकान नहीं चलाते है। उनकी पत्नी अभी क्रैश में आई चोटों से उबर रही हैं। उनके लिए इस हादसे के बाद से जिंदगी आगे नहीं बढ़ी है। अब वो अहमदाबाद से कहीं और जाने का प्लान बना रहे हैं।
रोते बिलखते आकाश के परिजन
- फोटो : PTI
आकाश तीन बहनों का इकलौता भाई था। वे सभी उससे बड़ी हैं। इस हादसे के दौरान आकाश की मां सीताबेन भी घायल हुईं थीं। उन्होंने भावुक होते हुए भारी रुंधे गले से कहा 'मैंने अपने बच्चे को बचाने की कोशिश की, लेकिन वह गंभीर रूप से जलने की चोटों के कारण मर गया।' घर में छाई खालीपन से जूझते हुए, सीताबेन ज्यादातर रातें घर के पास पार्किंग एरिया में रखे एक पुराने बिस्तर पर बैठकर बिताती हैं। वह कहती है 'मैं अब घर के अंदर सो नहीं सकती। मेरा बच्चा वहां नहीं है।'
आकाश का परिवार एयरपोर्ट से सिर्फ पांच किलोमीटर दूर घोड़ा कैंप इलाके में लक्ष्मीनगर बस्ती में रहता है। बातचीत के दौरान जब एक हवाई जहाज ऊपर से गुजरा, तो सीताबेन ने दूसरी तरफ देखा और कहा, 'मैं अब ऊपर से गुजरने वाले हवाई जहाजों को नहीं देखती। मुझे अब उनसे नफरत है।'
आकाश का परिवार एयरपोर्ट से सिर्फ पांच किलोमीटर दूर घोड़ा कैंप इलाके में लक्ष्मीनगर बस्ती में रहता है। बातचीत के दौरान जब एक हवाई जहाज ऊपर से गुजरा, तो सीताबेन ने दूसरी तरफ देखा और कहा, 'मैं अब ऊपर से गुजरने वाले हवाई जहाजों को नहीं देखती। मुझे अब उनसे नफरत है।'
रोते बिलखते आकाश के परिजन
- फोटो : PTI
सुरेशभाई पाटनी ने कहा कि परिवार अहमदाबाद छोड़ने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हम अब यहां और नहीं रह सकते। हम पाटन शिफ्ट होने की योजना बना रहे हैं, इस एयरपोर्ट और शहर से दूर जिसने हमारे बच्चे को हमसे छीन लिया।' मुआवजे के बारे में पूछे जाने पर, सुरेशभाई ने कहा कि एअर इंडिया और टाटा ग्रुप ने वादा किया हुआ पैसा दे दिया है। उन्होंने कहा, 'लेकिन जो हमने खोया है, उसे कुछ भी वापस नहीं ला सकता।'