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Samwad: अमर उजाला संवाद में शिरकत करेंगे सेवानिवृत्त जनरल नरवणे, जानें NDA कैडेट से थलसेना प्रमुख तक का सफर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: राहुल कुमार Updated Mon, 15 Dec 2025 03:58 PM IST
सार

Amar Ujala Samwad 2025: 'अमर उजाला संवाद' का मंच इस बार हरियाणा में सजने जा रहा है।  17 दिसंबर को आयोजित होने जा रहे अमर उजाला संवाद में सिनेमा, खेल और रचनात्मक जगत की जानी-मानी हस्तियां शिरकत करेंगी। संवाद में पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (सेवानिवृत्त) भी हिस्सा लेंगे।

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Former Army Chief General Manoj Mukunda Naravane At Amar Ujala Samwad haryana 2025
पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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स्वर्णिम शताब्दी की ओर बढ़ते भारत के भविष्य को आकार देने के उद्देश्य से अमर उजाला समूह की विशेष पहल 'अमर उजाला संवाद हरियाणा' का आयोजन 17 दिसंबर को गुरुग्राम स्थित होटल क्राउन प्लाजा में किया जाएगा। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर  पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (सेवानिवृत्त) भी शिरकत करेंगे। जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने थल सेना की कमान जनरल बिपिन रावत के रिटायर होने के बाद 31 दिसंबर 2019 में संभाली थी। उन्होंने सेना को अपनी सेवाएं अप्रैल 2022 तक दी। इस पद पर पहुंचे से पहले जनरल नरवणे ने सेना में कई पदों पर उत्कृष्ट कार्य किया। 

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सैन्य सेवा के संस्कार विरासत में मिले
पुणे में 22 अप्रैल 1960 को जन्मे जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भारतीय सेना के उन वरिष्ठ अधिकारियों में शुमार हैं, जिन्होंने अनुशासन, पेशेवर दक्षता और जमीनी अनुभव के बल पर शीर्ष नेतृत्व तक का सफर तय किया। वह भारतीय वायु सेना के एक पूर्व अधिकारी के पुत्र हैं, जिससे सैन्य सेवा के संस्कार उन्हें विरासत में मिले। उनकी मां सुधा नरवणे लेखिका और न्यूज ब्रॉडकास्टर थीं। पुणे के ऑल इंडिया रेडियो से वो जुड़ी हुई थीं।
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जनरल नरवणे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) पुणे और इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) देहरादून से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया।उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई से रक्षा अध्ययन में मास्टर डिग्री और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से रक्षा और प्रबंधन में एमफिल की डिग्री हासिल की है।। उनका व्यक्तिगत जीवन भी सेवा और समर्पण से जुड़ा है। उनकी पत्नी वीना नरवणे शिक्षिका हैं और उन्होंने आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएश की प्रमुख के रूप में सैनिक परिवारों के कल्याण के लिए सक्रिय भूमिका निभाई।

सैन्य करियर: मैदान से कमान तक
जून 1980 में जनरल नरवणे को 7वीं बटालियन, द सिख लाइट इन्फैंट्री में कमीशन मिला। अपने चार दशकों से अधिक लंबे करियर में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स की दूसरी बटालियन (सिखली), 106 इन्फैंट्री ब्रिगेड और असम राइफल्स की कमान संभाली। इस दौरान वे कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा रहे, जहां जमीनी स्तर पर नेतृत्व और रणनीतिक समझ का परिचय दिया।

वरिष्ठ नेतृत्व की भूमिका
आर्मी कमांडर ग्रेड में पदोन्नति के बाद जनरल नरवणे ने दिसंबर 2017 से 30 सितंबर 2018 तक आर्मी ट्रेनिंग कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्य किया। इसके बाद अक्टूबर 2018 से 31 अगस्त 2019 तक उन्होंने ईस्टर्न कमांड की कमान संभाली, जहां भारत की पूर्वी सीमाओं से जुड़े रणनीतिक मामलों में उनकी भूमिका अहम रही।

31 अगस्त 2019 को लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबु के सेवानिवृत्त होने के बाद जनरल नरवणे को वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ नियुक्त किया गया। इस पद पर वे तत्कालीन थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बाद सबसे वरिष्ठ सेवारत जनरल बने।

16 दिसंबर 2019 को उन्हें आधिकारिक तौर पर जनरल बिपिन रावत का उत्तराधिकारी घोषित किया गया।31 दिसंबर 2019 से उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली। दिल्ली आने से पहले नरवणे कोलकाता में पूर्वी कमान के प्रमुख थे। पूर्वी कमान, भारत की चीन के साथ लगभग चार हजार किलोमीटर की सीमा की देखभाल करती है। 

जिम्मेदारी, सम्मान और नेतृत्व की मिसाल
जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भारतीय सेना के वरिष्ठतम अधिकारियों में गिने जाते हैं और वह देश के 27वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ रहे। थलसेना प्रमुख बनने से पहले जनरल नरवणे ने कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं। वह 40वें वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ रहे, इसके अलावा उन्होंने ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ और आर्मी ट्रेनिंग कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में भी सेवा दी। 

नरवाणे  श्रीलंका में शांति मिशन दल का भी हिस्सा रह चुके हैं। वह म्यामांर में भारतीय दूतावास में तीन साल तक भारत के रक्षा अताशे रहे हैं। नरवाणे साल 2017 में गणतंत्र दिवस परेड के कमांडर भी थे। उनके पास कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशंस का काफी अनुभव है। उन्हें जम्मू कश्मीर में अपनी बटालियन की कमान प्रभावी तरीके से संभालने को लेकर सेना पदक मिल चुका है।

उनकी लंबी और समर्पित सैन्य सेवा को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। उन्हें वर्ष 2019 में परम विशिष्ट सेवा मेडल, 2017 में अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल, 2015 में विशिष्ट सेवा मेडल और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार उनके पेशेवर कौशल के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा को भी दर्शाते हैं।
 

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