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Punjab: कपास की पैदावार बढ़ाने के प्रयासों पर बाढ़ ने फेरा पानी, 1.80 लाख गांठों तक ही सिमटा उत्पादन
राजिंद्र शर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Thu, 20 Nov 2025 01:50 PM IST
सार
वर्ष 2024-25 में पंजाब में 1.50 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था जो इस बार कपास की खेती का क्षेत्र बढ़ने के बावजूद 1.80 गांठों तक ही पहुंच पाया। 30 हजार एकड़ एरिया में कपास की फसल खराब हो गई थी।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
बाढ़ ने पंजाब सरकार के कपास की पैदावार बढ़ाने के प्रयासों पर पानी फेर दिया है। सूबे में कपास की पैदावार 1.80 लाख गांठों तक सिमट गई है। हरियाणा की पैदावार भी कम हुई है। बावजूद इसके उसकी स्थिति पंजाब से थोड़ी बेहतर है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में कपास की खेती का क्षेत्र 1 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 1.19 लाख हेक्टेयर किया गया था। इससे उत्पादन में कुछ खास सुधार नहीं हुआ क्योंकि 30 हजार एकड़ एरिया में कपास की फसल खराब हो गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार बाढ़ व भारी बारिश के कारण कपास की पैदावार पर खासा असर पड़ा है। उसकी गुणवत्ता में भी गिरावट आई है।
वर्ष 2024-25 में पंजाब में 1.50 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था जो इस बार कपास की खेती का क्षेत्र बढ़ने के बावजूद 1.80 गांठों तक ही पहुंच पाया। वर्ष 2023-24 के दौरान सूबे में कपास की अच्छी फसल हुई थी तब 2.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 6.09 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था। मालवा क्षेत्र को कपास उत्पादन के लिए जाना जाता है जहां किसान अब धान और गेहूं जैसी अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। गुलाबी सुंडी के प्रकोप, गुणवत्तापूर्ण बीजों और कीटनाशकों की कमी के कारण किसान कपास की खेती छोड़ रहे हैं।
राज्य सरकार ने अब केंद्र से बीजी3 बीज उपलब्ध कराने की मांग की है। फिलहाल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की टीम विशेषज्ञों के साथ बीजी3 बीजों का ट्रायल कर रही है। अगर एक साल बाद इसके अच्छे नतीजे मिलते है तो केंद्र की तरफ से इसे मंजूरी दी जा सकती है। यह बीज गुलाबी सुंडी के प्रकोप को कम करने में मदद कर सकते हैं। पंजाब में कपास की खरीद 1 अक्तूबर से शुरू हुई थी लेकिन एरिया कम होने के कारण इस बार भी खरीद का काम जल्दी ही पूरा हो गया है। सरकार ने अगले साल के लिए कपास की खेती के क्षेत्र का लक्ष्य बढ़ाकर 1.50 लाख हेक्टेयर तक कर दिया है।
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रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में कपास की खेती का क्षेत्र 1 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 1.19 लाख हेक्टेयर किया गया था। इससे उत्पादन में कुछ खास सुधार नहीं हुआ क्योंकि 30 हजार एकड़ एरिया में कपास की फसल खराब हो गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार बाढ़ व भारी बारिश के कारण कपास की पैदावार पर खासा असर पड़ा है। उसकी गुणवत्ता में भी गिरावट आई है।
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वर्ष 2024-25 में पंजाब में 1.50 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था जो इस बार कपास की खेती का क्षेत्र बढ़ने के बावजूद 1.80 गांठों तक ही पहुंच पाया। वर्ष 2023-24 के दौरान सूबे में कपास की अच्छी फसल हुई थी तब 2.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 6.09 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था। मालवा क्षेत्र को कपास उत्पादन के लिए जाना जाता है जहां किसान अब धान और गेहूं जैसी अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। गुलाबी सुंडी के प्रकोप, गुणवत्तापूर्ण बीजों और कीटनाशकों की कमी के कारण किसान कपास की खेती छोड़ रहे हैं।
राज्य सरकार ने अब केंद्र से बीजी3 बीज उपलब्ध कराने की मांग की है। फिलहाल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की टीम विशेषज्ञों के साथ बीजी3 बीजों का ट्रायल कर रही है। अगर एक साल बाद इसके अच्छे नतीजे मिलते है तो केंद्र की तरफ से इसे मंजूरी दी जा सकती है। यह बीज गुलाबी सुंडी के प्रकोप को कम करने में मदद कर सकते हैं। पंजाब में कपास की खरीद 1 अक्तूबर से शुरू हुई थी लेकिन एरिया कम होने के कारण इस बार भी खरीद का काम जल्दी ही पूरा हो गया है। सरकार ने अगले साल के लिए कपास की खेती के क्षेत्र का लक्ष्य बढ़ाकर 1.50 लाख हेक्टेयर तक कर दिया है।