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30 साल बाद छूटी शिअद की कमान: बगैर बादल बदलेगी अकाली दल की तस्वीर, भरोसेमंदों से कायम होगा राजनीतिक वर्चस्व
विशाल पाठक, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: शाहरुख खान
Updated Sat, 11 Jan 2025 10:11 AM IST
सार
आखिरकार 30 साल बाद शिरोमणि अकाली दल की कमान बादल परिवार के हाथ से छूट गई। शिअद की शुक्रवार को चंडीगढ़ में पार्टी कार्यालय में हुई कार्य समिति की बैठक में सुखबीर बादल द्वारा अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया।
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Punjab Politics
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बादल परिवार के बिना अकाली दल की नई तस्वीर उकेरने की ओर राजनीतिक कदम उठाया गया है। अगर बात सियासी गलियारों की करें तो भरोसेमंदों के सहारे राजनीतिक वर्चस्व कायम रखने का पूरा प्रयास रहेगा।
एक बात तो यह स्पष्ट है कि 1 मार्च को अकाली दल के नए प्रधान के रूप में जो भी चेहरा सामने आएगा, वह बादल परिवार का करीबी ही होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सुखबीर बादल अब जनता के बीच रहकर दोबारा सत्ता तक पहुंचने का मार्ग तलाशेंगे।
हो सकता है कि कुछ ऐसे समीकरण बनें कि कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दे रहे चेहरे के हाथों ही कमान सौंप दी जाए। अपनी सत्ता के समय हुए गुनाहों की सजा भुगत चुके सुखबीर को अगर दोबारा जनता का विश्वास जीतना है, तो उन्हें कुछ समय के लिए कुर्सी से दूर ही रहना होगा। पार्टी के बागी नेताओं की भी यही चाह है।
इन चेहरों पर नजर, हो सकते हैं नए प्रधान
पार्टी में यूं तो कई सीनियर लीडर हैं, लेकिन अगर सियासी गलियारों की बात करें तो कुछ चुनिंदा चेहरे ऐसे हैं, जो पार्टी का नया प्रधान बन सकते हैं। इनमें बादल के करीबी और कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़, परिवार के सदस्य बिक्रमजीत सिंह मजीठिया, विधायक मनप्रीत अयाली, बागी गुट की तरफ से प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा जैसे नाम चर्चा में हैं।
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एक बात तो यह स्पष्ट है कि 1 मार्च को अकाली दल के नए प्रधान के रूप में जो भी चेहरा सामने आएगा, वह बादल परिवार का करीबी ही होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सुखबीर बादल अब जनता के बीच रहकर दोबारा सत्ता तक पहुंचने का मार्ग तलाशेंगे।
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हो सकता है कि कुछ ऐसे समीकरण बनें कि कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दे रहे चेहरे के हाथों ही कमान सौंप दी जाए। अपनी सत्ता के समय हुए गुनाहों की सजा भुगत चुके सुखबीर को अगर दोबारा जनता का विश्वास जीतना है, तो उन्हें कुछ समय के लिए कुर्सी से दूर ही रहना होगा। पार्टी के बागी नेताओं की भी यही चाह है।
इन चेहरों पर नजर, हो सकते हैं नए प्रधान
पार्टी में यूं तो कई सीनियर लीडर हैं, लेकिन अगर सियासी गलियारों की बात करें तो कुछ चुनिंदा चेहरे ऐसे हैं, जो पार्टी का नया प्रधान बन सकते हैं। इनमें बादल के करीबी और कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़, परिवार के सदस्य बिक्रमजीत सिंह मजीठिया, विधायक मनप्रीत अयाली, बागी गुट की तरफ से प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा जैसे नाम चर्चा में हैं।
नए प्रधान के सुखबीर ने दिए संकेत
इस्तीफा मंजूर होने के बाद सुखबीर बादल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बीते पांच साल पहले पार्टी के लीडरों ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी। जब श्री अकाल तख्त साहिब ने उन्हें तनखाहिया करार दिया और सजा सुनाने के लिए बुलाया तो उन्होंने पहले अपने पद से इस्तीफा दिया और वह एक निमाणा सिख के रूप में पेश हुए। सुखबीर ने संकेत देते हुए कहा कि वह पार्टी के हर कार्यकर्ता और लीडर का धन्यवाद करते हैं, पार्टी अब नए चेहरे का चुनाव करेगी, इससे नई लीडरशिप सामने आएगी।
इस्तीफा मंजूर होने के बाद सुखबीर बादल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बीते पांच साल पहले पार्टी के लीडरों ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी। जब श्री अकाल तख्त साहिब ने उन्हें तनखाहिया करार दिया और सजा सुनाने के लिए बुलाया तो उन्होंने पहले अपने पद से इस्तीफा दिया और वह एक निमाणा सिख के रूप में पेश हुए। सुखबीर ने संकेत देते हुए कहा कि वह पार्टी के हर कार्यकर्ता और लीडर का धन्यवाद करते हैं, पार्टी अब नए चेहरे का चुनाव करेगी, इससे नई लीडरशिप सामने आएगी।
आखिरकार सुखबीर बादल का इस्तीफा मंजूर, एक मार्च को प्रधान पद का चुनाव
आखिरकार 30 साल बाद शिरोमणि अकाली दल की कमान बादल परिवार के हाथ से छूट गई। शिअद की शुक्रवार को चंडीगढ़ में पार्टी कार्यालय में हुई कार्य समिति की बैठक में सुखबीर बादल द्वारा अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया। तीन दशकों तक अकाली दल की कमान बादल परिवार के हाथों में रही। सत्ता के समय प्रदेश में हुई बेअदबी की घटनाओं और अन्य गलतियों की वजह से ही बादल परिवार आज इस स्थिति पर पहुंच गया है।
आखिरकार 30 साल बाद शिरोमणि अकाली दल की कमान बादल परिवार के हाथ से छूट गई। शिअद की शुक्रवार को चंडीगढ़ में पार्टी कार्यालय में हुई कार्य समिति की बैठक में सुखबीर बादल द्वारा अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया। तीन दशकों तक अकाली दल की कमान बादल परिवार के हाथों में रही। सत्ता के समय प्रदेश में हुई बेअदबी की घटनाओं और अन्य गलतियों की वजह से ही बादल परिवार आज इस स्थिति पर पहुंच गया है।
अकाली दल की कार्य समिति की बैठक कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ की अध्यक्षता में हुई, जोकि देर शाम 6 बजे तक चली। पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने जानकारी देते हुए बताया कि श्री अकाल तख्त साहिब से सुनाई गई धार्मिक सजा को पूरा करते हुए पूर्व प्रधान सुखबीर बादल के इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया है। इसी के साथ नई कमेटी गठित किए जाने और अकाली दल के नए प्रधान का चुनाव 1 मार्च को कराए जाने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि 16 नवंबर 2024 को सुखबीर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद तनखाइया करार सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब पर धार्मिक सजा सुनाई गई थी। धार्मिक सजा पूरी करने के बाद जब अकाल तख्त के निर्देश यानी सुखबीर के इस्तीफे को मंजूर किए जाने में देरी की जा रही थी, तब बीते दिनों अकाल तख्त ने सख्ती से उनके आदेशों का पालन करने के लिए कहा था, जिसके बाद कार्य समिति की बैठक बुलाई गई।
राणिके मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त
डॉ. चीमा ने कहा कि नए संगठनात्मक गठन के लिए 20 जनवरी से 20 फरवरी तक सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। 25 लाख नए सदस्य बनाए जाएंगे। चीमा ने कहा कि पार्टी के टकसाली नेता व पूर्व मंत्री गुलजार सिंह राणिके को 1 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। कार्यकारी अध्यक्ष भूंदड़ ने डॉ. दलजीत सिंह चीमा को चुनाव प्रक्रिया के कोऑर्डिनेशन के लिए सचिव नियुक्त किया है।
डॉ. चीमा ने कहा कि नए संगठनात्मक गठन के लिए 20 जनवरी से 20 फरवरी तक सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। 25 लाख नए सदस्य बनाए जाएंगे। चीमा ने कहा कि पार्टी के टकसाली नेता व पूर्व मंत्री गुलजार सिंह राणिके को 1 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। कार्यकारी अध्यक्ष भूंदड़ ने डॉ. दलजीत सिंह चीमा को चुनाव प्रक्रिया के कोऑर्डिनेशन के लिए सचिव नियुक्त किया है।
पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल को हटाने के भी हुए थे प्रयास
पार्टी के सीनियर लीडरों की मानें तो पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल को भी पार्टी प्रधान पद से हटाने के प्रयास हुए थे। वर्ष 1999 में तत्कालीन एसजीपीसी प्रधान गुरचरण सिंह टोहड़ा ने उन्हें पार्टी का पद छोड़ने को कहा था। हालांकि पार्टी में उस वक्त प्रकाश सिंह बादल का पूरी तरह से दबदबा था। जिस वजह से बादल तो प्रधान बने रहे, लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां बनीं कि टोहड़ा को एसजीपीसी का प्रधान पद छोड़ना पड़ गया।
पार्टी के सीनियर लीडरों की मानें तो पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल को भी पार्टी प्रधान पद से हटाने के प्रयास हुए थे। वर्ष 1999 में तत्कालीन एसजीपीसी प्रधान गुरचरण सिंह टोहड़ा ने उन्हें पार्टी का पद छोड़ने को कहा था। हालांकि पार्टी में उस वक्त प्रकाश सिंह बादल का पूरी तरह से दबदबा था। जिस वजह से बादल तो प्रधान बने रहे, लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां बनीं कि टोहड़ा को एसजीपीसी का प्रधान पद छोड़ना पड़ गया।
ये नेता इन क्षेत्रों की संभालेंगे जिम्मेदारी
1 मार्च को प्रधान पद के नए चेहरे और उससे पहले सदस्यता अभियान के लिए कार्यकारी अध्यक्ष भूंदड़ ने कई नेताओं को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी है। डॉ. चीमा ने बताया कि एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी को जम्मू-कश्मीर और होशियारपुर, किरपाल सिंह बडुंगर को मालवा क्षेत्र, मनप्रीत सिंह अयाली को राजस्थान, संत सिंह उमैदपुर को हिमाचल प्रदेश, इकबाल सिंह झूंदा को मलेरकोटला, परमजीत सिंह सरना को दिल्ली, मंजीत सिंह जीके को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड और रघुजीत सिंह विर्क को हरियाणा की जिम्मेदारी दी गई है।
1 मार्च को प्रधान पद के नए चेहरे और उससे पहले सदस्यता अभियान के लिए कार्यकारी अध्यक्ष भूंदड़ ने कई नेताओं को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी है। डॉ. चीमा ने बताया कि एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी को जम्मू-कश्मीर और होशियारपुर, किरपाल सिंह बडुंगर को मालवा क्षेत्र, मनप्रीत सिंह अयाली को राजस्थान, संत सिंह उमैदपुर को हिमाचल प्रदेश, इकबाल सिंह झूंदा को मलेरकोटला, परमजीत सिंह सरना को दिल्ली, मंजीत सिंह जीके को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड और रघुजीत सिंह विर्क को हरियाणा की जिम्मेदारी दी गई है।