{"_id":"691e9a060a7e1cbabc013942","slug":"centre-preparing-to-export-organic-flour-decision-could-change-fortunes-of-punjab-farmers-2025-11-20","type":"story","status":"publish","title_hn":"Punjab: केंद्र की जैविक आटे के निर्यात की तैयारी, फैसला बदल सकता है पंजाब के किसानों की किस्मत","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Punjab: केंद्र की जैविक आटे के निर्यात की तैयारी, फैसला बदल सकता है पंजाब के किसानों की किस्मत
सुरिंदर पाल, अमर उजाला, जालंधर (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Thu, 20 Nov 2025 02:59 PM IST
सार
पंजाब में इस समय जैविक खेती की बहुत जरूरत है और सूबे के कदम जैविक खेती की तरफ बढ़ते जा रहे हैं। वैश्विक व्यापार वार्ता में भारत मजबूत स्थिति में है। जब भारत निर्यात खोल रहा है उसी समय अमेरिका के साथ व्यापार समझौता अंतिम चरण में है।
विज्ञापन
Wheat Flour
- फोटो : AdobeStock
विज्ञापन
विस्तार
भारत सरकार तीन साल बाद गेहूं और इसके आधारित उत्पादों के निर्यात पर बड़ी ढील देने जा रही है जिससे पंजाब के किसानों में खासा उत्साह है।
किसान गेहूं की बुआई कर रहे हैं और जिस तरह से पंजाब में मौसम करवट ले रहा है उससे किसानों को उम्मीद है कि राज्य में गेहूं की फसल उत्तम क्वालिटी की होगी और निर्यात में पंजाब के गेहूं का आटा विश्व में बल्ले-बल्ले करवा सकता है।
केंद्र सरकार 5 लाख मीट्रिक टन जैविक गेहूं आटा निर्यात करने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। यह कदम गेहूं उत्पादों पर लगे 2022 के प्रतिबंध के बाद पहली बड़ी राहत माना जा रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार स्थिर महंगाई 0.3 फीसदी, रिकॉर्ड बफर स्टॉक और बेहतर गेहूं खरीद ने सरकार को निर्यात नियंत्रणों में धीरे-धीरे ढील देने का अवसर दिया है।
2022 में गेहूं निर्यात इसलिए रोका गया था क्योंकि उत्पादन में गिरावट, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल, घरेलू बाजार में उपलब्धता की चिंता थी और उस वर्ष भारत के गेहूं निर्यात ने रिकॉर्ड 2.12 अरब डॉलर का आंकड़ा छुआ था। अब जैविक गेहूं आटे का निर्यात फिर से शुरू होने से भारत धीरे-धीरे अपने गेहूं आधारित उत्पादों के वैश्विक व्यापार को पुनर्जीवित करेगा।
किसान नेता बलवंत सिंह का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय मांग को भरोसा मिलेगा। एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे गेहूं-आधारित उत्पादों के आयातक देशों को भारत से स्थिर सप्लाई मिलने लगेगी। व्यापारी नेता रविंदर धीर का कहना है कि मिल मालिकों और प्रोसेसरों के लिए बड़ा मौका होगा। दुनिया भर में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारतीय मिलों को उच्च मूल्य वाले निर्यात का रास्ता मिलेगा।
पंजाब में इस समय जैविक खेती की बहुत जरूरत है और सूबे के कदम जैविक खेती की तरफ बढ़ते जा रहे हैं। वैश्विक व्यापार वार्ता में भारत मजबूत स्थिति में है। जब भारत निर्यात खोल रहा है उसी समय अमेरिका के साथ व्यापार समझौता अंतिम चरण में है। किसी समय भी भारतीय उत्पादों पर अमेरिका टैरिफ कम कर सकता है। भारत के साथ व्यापार समझौता काफी करीब है। इसी बीच भारत निर्यात में ढील देकर दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक संकेत भेज रहा है। पंजाब में पारंपरिक गेहूं की औसत उपज 2023-24 में लगभग 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (लगभग 19.5 क्विंटल प्रति एकड़) थी। 2025-26 में यह 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (लगभग 23.5 क्विंटल प्रति एकड़) से अधिक हो सकती है।
Trending Videos
किसान गेहूं की बुआई कर रहे हैं और जिस तरह से पंजाब में मौसम करवट ले रहा है उससे किसानों को उम्मीद है कि राज्य में गेहूं की फसल उत्तम क्वालिटी की होगी और निर्यात में पंजाब के गेहूं का आटा विश्व में बल्ले-बल्ले करवा सकता है।
केंद्र सरकार 5 लाख मीट्रिक टन जैविक गेहूं आटा निर्यात करने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। यह कदम गेहूं उत्पादों पर लगे 2022 के प्रतिबंध के बाद पहली बड़ी राहत माना जा रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार स्थिर महंगाई 0.3 फीसदी, रिकॉर्ड बफर स्टॉक और बेहतर गेहूं खरीद ने सरकार को निर्यात नियंत्रणों में धीरे-धीरे ढील देने का अवसर दिया है।
विज्ञापन
विज्ञापन
117.5 एमएमटी गेहूं उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय पहले ही 117.5 एमएमटी गेहूं उत्पादन का अनुमान जारी कर चुका है। यह अब तक का रिकॉर्ड है। इन अनुमानों से यह स्पष्ट है कि घरेलू उपलब्धता को लेकर कोई चिंता नहीं है जिससे निर्यात की ओर कदम बढ़ाना संभव हो पाया है।2022 में गेहूं निर्यात इसलिए रोका गया था क्योंकि उत्पादन में गिरावट, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल, घरेलू बाजार में उपलब्धता की चिंता थी और उस वर्ष भारत के गेहूं निर्यात ने रिकॉर्ड 2.12 अरब डॉलर का आंकड़ा छुआ था। अब जैविक गेहूं आटे का निर्यात फिर से शुरू होने से भारत धीरे-धीरे अपने गेहूं आधारित उत्पादों के वैश्विक व्यापार को पुनर्जीवित करेगा।
किसान नेता बलवंत सिंह का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय मांग को भरोसा मिलेगा। एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे गेहूं-आधारित उत्पादों के आयातक देशों को भारत से स्थिर सप्लाई मिलने लगेगी। व्यापारी नेता रविंदर धीर का कहना है कि मिल मालिकों और प्रोसेसरों के लिए बड़ा मौका होगा। दुनिया भर में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारतीय मिलों को उच्च मूल्य वाले निर्यात का रास्ता मिलेगा।
पंजाब में इस समय जैविक खेती की बहुत जरूरत है और सूबे के कदम जैविक खेती की तरफ बढ़ते जा रहे हैं। वैश्विक व्यापार वार्ता में भारत मजबूत स्थिति में है। जब भारत निर्यात खोल रहा है उसी समय अमेरिका के साथ व्यापार समझौता अंतिम चरण में है। किसी समय भी भारतीय उत्पादों पर अमेरिका टैरिफ कम कर सकता है। भारत के साथ व्यापार समझौता काफी करीब है। इसी बीच भारत निर्यात में ढील देकर दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक संकेत भेज रहा है। पंजाब में पारंपरिक गेहूं की औसत उपज 2023-24 में लगभग 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (लगभग 19.5 क्विंटल प्रति एकड़) थी। 2025-26 में यह 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (लगभग 23.5 क्विंटल प्रति एकड़) से अधिक हो सकती है।