सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Punjab ›   Chandigarh-Punjab News ›   High Court refuses CBI inquiry into Navjot Kaur Sidhu's statement.

Highcourt: नवजोत कौर सिद्धू के बयान पर सीबीआई जांच से इन्कार, HC ने कहा-सड़क पर कोई कुछ भी कह सकता है

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो Updated Thu, 18 Dec 2025 08:17 PM IST
सार

मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को बोलने की स्वतंत्रता है और सड़क पर कोई भी व्यक्ति कुछ भी कह सकता है, भले ही वह लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत ही क्यों न हो। लेकिन इसका अर्थ नहीं कि ऐसे हर बयान को अदालत जनहित का मामला मानकर सुनवाई के लिए स्वीकार कर ले।

विज्ञापन
High Court refuses CBI inquiry into Navjot Kaur Sidhu's statement.
नवजोत सिद्धू और नवजाेत काैर - फोटो : X @sherryontopp
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

500 करोड़ रुपये का सूटकेस देकर मुख्यमंत्री बनने के डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के कथित बयान को आधार बनाकर सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। 

Trending Videos


अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल मीडिया बयानों के आधार पर न तो जनहित याचिका स्वीकार की जा सकती है और न ही जांच के आदेश दिए जा सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को बोलने की स्वतंत्रता है और सड़क पर कोई भी व्यक्ति कुछ भी कह सकता है, भले ही वह लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत ही क्यों न हो। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि ऐसे हर बयान को अदालत जनहित का मामला मानकर सुनवाई के लिए स्वीकार कर ले।
विज्ञापन
विज्ञापन


कोर्ट ने कहा कि मीडिया में दिए गए बयान सत्य, असत्य या अर्धसत्य हो सकते हैं। जब तक ऐसे बयान के आधार पर कोई ठोस आपराधिक कृत्य सामने न आए और संबंधित व्यक्ति द्वारा विधिवत लिखित शिकायत दर्ज न कराई जाए, तब तक अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस या सार्वजनिक मंच से दिए गए बयान को आधार बनाकर जांच एजेंसियों को सक्रिय करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

मामले में वास्तविक जनहित क्या है

याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन से अदालत ने पूछा कि इस मामले में वास्तविक जनहित क्या है। कोर्ट ने कहा कि केवल यह कह देना कि किसी पद की नीलामी हो रही है, अपने आप में नीलामी या भ्रष्टाचार का ठोस मामला नहीं बन जाता। यदि हर ऐसे बयान को जनहित मान लिया जाए, तो इसकी कोई सीमा तय नहीं की जा सकेगी। खंडपीठ ने आगे कहा कि यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से इतने गंभीर आरोप लगाने का साहस रखता है, तो उसे कानून के तहत लिखित शिकायत दर्ज कराने का भी साहस दिखाना चाहिए। अदालत ने पूर्व मामलों का हवाला देते हुए कहा कि जब किसी कथित घोटाले या अपराध को लेकर विधिवत शिकायत दर्ज कराई गई तभी सीबीआई जैसी एजेंसियां जांच में उतरीं। मौजूदा मामले में ऐसा कोई आधार मौजूद नहीं है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed