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Mohali News: 35 लाख का ऑक्सीजन प्लांट पांच साल से बंद, मरीजों को हो रही दिक्कत
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जीरकपुर। कोरोना काल में मरीजों की जान बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट अब सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है। ढकोली स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में करीब 35 लाख रुपये की लागत से लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट पिछले पांच साल से बंद पड़ा है। अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं, लेकिन डॉक्टरों को अब भी ऑक्सीजन सिलेंडरों के भरोसे ही काम चलाना पड़ रहा है।
वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार ने सीएचसी ढकोली में यह ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया था ताकि आपात स्थिति में मरीजों को तुरंत ऑक्सीजन दी जा सके। लेकिन 35 लाख की लागत से लगा यह प्लांट एक भी दिन नहीं चला। तकनीकी खामी की वजह से यह आज तक बंद पड़ा है।
सीएचसी में कार्यरत डॉक्टरों ने बताया कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऑक्सीजन पाइपलाइन और मशीनें अब जंग खा रही हैं। प्लांट के रखरखाव की जिम्मेदारी जिस कंपनी को दी गई थी, उसने भी अब तक इसकी मरम्मत नहीं की।
डॉक्टरों का कहना है कि गंभीर मरीजों को सिलेंडरों से ऑक्सीजन दी जाती है, लेकिन सिलेंडर बदलने में समय लगता है। अगर प्लांट चालू हो जाए, तो मरीजों को तुरंत ऑक्सीजन मिल सकती है।
अस्पताल में उपचार करने के लिए आए ढकोली निवासी सुखविंदर ने स्वास्थ्य विभाग से नाराजगी जताते हुए कहा कि करोड़ों की योजनाएं तो कागजों पर बन जाती हैं, लेकिन धरातल पर हालात जस के तस रहते हैं। उनमें कोई सुधार व विकास नहीं होता है। पांच साल से बंद यह प्लांट सरकारी व्यवस्था की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विभाग को तत्काल प्रभाव से ऑक्सीजन प्लांट की मरम्मत करानी चाहिए, जिससे कि यह सुचारू रूप से चालू हो और मरीजों को किसी आपात स्थिति में परेशानी का सामना न करना पड़े।
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वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार ने सीएचसी ढकोली में यह ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया था ताकि आपात स्थिति में मरीजों को तुरंत ऑक्सीजन दी जा सके। लेकिन 35 लाख की लागत से लगा यह प्लांट एक भी दिन नहीं चला। तकनीकी खामी की वजह से यह आज तक बंद पड़ा है।
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सीएचसी में कार्यरत डॉक्टरों ने बताया कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऑक्सीजन पाइपलाइन और मशीनें अब जंग खा रही हैं। प्लांट के रखरखाव की जिम्मेदारी जिस कंपनी को दी गई थी, उसने भी अब तक इसकी मरम्मत नहीं की।
डॉक्टरों का कहना है कि गंभीर मरीजों को सिलेंडरों से ऑक्सीजन दी जाती है, लेकिन सिलेंडर बदलने में समय लगता है। अगर प्लांट चालू हो जाए, तो मरीजों को तुरंत ऑक्सीजन मिल सकती है।
अस्पताल में उपचार करने के लिए आए ढकोली निवासी सुखविंदर ने स्वास्थ्य विभाग से नाराजगी जताते हुए कहा कि करोड़ों की योजनाएं तो कागजों पर बन जाती हैं, लेकिन धरातल पर हालात जस के तस रहते हैं। उनमें कोई सुधार व विकास नहीं होता है। पांच साल से बंद यह प्लांट सरकारी व्यवस्था की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विभाग को तत्काल प्रभाव से ऑक्सीजन प्लांट की मरम्मत करानी चाहिए, जिससे कि यह सुचारू रूप से चालू हो और मरीजों को किसी आपात स्थिति में परेशानी का सामना न करना पड़े।