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Mohali News: दादा ने आसमान में जीते थे मेडल, पोते ने मैदान में, तानीश ने ताइक्वांडो में रचा इतिहास

Chandigarh Bureau चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Thu, 13 Nov 2025 02:42 AM IST
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Grandfather won medals in the sky, grandson on the field, Tanish created history in Taekwondo
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मोहाली। कहते हैं, जीत सिर्फ मैदान में नहीं, सोच में भी होती है। फेज-2 में रहने वाले 15 वर्षीय तानीश त्रिवेश दादा की कहानी ऐसी ही सोच का उदाहरण है। जहां उनके दादा मनमोहन दादा ने पतंग उड़ाकर 40 मेडल जीते, वहीं तानीश ने दो साल के भीतर ताइक्वांडो के मैदान में 26 मेडल जीतकर यह साबित किया कि प्रतिभा और जुनून दोनों उनके खून में हैं। तानीश ने अब तक 21 गोल्ड, 2 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज जीते हैं और सिलसिला अभी भी जारी है।
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पैरागॉन स्कूल, सेक्टर-71 में आठवीं कक्षा के छात्र तानीश अंडर-17 वेट कैटेगरी (78 किग्रा ओवर) में खेलते हैं। ताइक्वांडो की शुरुआत अपने दोस्त दिव्यांश के साथ की थी। आज दोनों साथ-साथ ट्रेनिंग करते हैं। तानीश रोज स्कूल के बाद शाम को फेज-2 गुरुद्वारा साहिब में कोच धीरज नेगी के निर्देशन में ट्रेनिंग करते हैं। उनके कोच धीरज नेगी कहते हैं कि तानीश बेहद फोकस्ड और मेहनती खिलाड़ी हैं। उसमें एक अलग किस्म की फाइटिंग स्पिरिट है। चाहे हार जाए, अगले दिन डबल मेहनत करता है।
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जलंधर में चीटिंग हुई, लेकिन मैंने हार नहीं मानी
तानीश के खेल सफर में सब कुछ आसान नहीं था। वे बताते हैं कि जलंधर में एक बार चीटिंग हुई थी। रैफरी ने पॉइंट्स ही नहीं दिए और अपने शहर के बच्चे को जिता दिया गया। लेकिन मैंने ठान लिया कि अब हर मुकाबला ऐसा खेलूंगा कि कोई मुझे रोक न सके। यह हौसला ही था जिसने बाद में बार-बार विजेता बनाया।
पहला मेडल उन्हें इंडो-नेपाल चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज के रूप में मिला। इसके बाद सीबीएसई नॉर्थ जोन (सोनीपत) में गोल्ड और सीबीएसई नेशनल में ब्रॉन्ज जीता। हाल ही में 3 से 8 सितंबर 2025 तक उत्तर प्रदेश के इटावा में हुए नेशनल टूर्नामेंट में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता।

आखिरी मिनट में जीता मुकाबला
दिल्ली में हुए सिग गेम्स के दौरान आखिरी मिनट तक मैच टाई था। लेकिन तानीश ने जबरदस्त वापसी करते हुए विरोधी को नॉक आउट कर गोल्ड अपने नाम किया। वह मुस्कुराते हुए कहते हैं कि वो दिन मैं कभी नहीं भूल सकता। जीतने के बाद लगा कि मेहनत रंग लाई। मुकाबला काफी टक्कर का था शुरुआत में डर भी लग रहा था, लेकिन डर पर काबू पाकर अपना शत प्रतिशत झोंक दिया।

एशियन गेम्स का सपना
तानीश ने कहा कि उनका लक्ष्य है एशियन गेम्स में भारत के लिए मेडल जीतना। उनके पिता रजनीश दादा कहते हैं कि हम उसे हर सपोर्ट दे रहे हैं। उसे बस एक चीज सिखाई है मेहनत कभी धोखा नहीं देती। दादा मनमोहन दादा अब अपने पोते को खेलते देख गर्व महसूस करते हैं। वे मुस्कुराते हुए कहते हैं कि हमारा तानीश अब मोहाली ही नहीं, देश का नाम रोशन करेगा।
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