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Patiala News: इंटरनेशनल वेटलैंड नंगल में प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट, पक्षी प्रेमियों में निराशा
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नंगल। भाखड़ा डैम के शुद्ध पानी से बने नंगल के इंटरनेशनल वेटलैंड में सर्दियों का मौसम आते ही हर साल प्रवासी पक्षियों की भारी आमद होती थी, लेकिन इस बार पक्षी प्रेमियों को निराशा हाथ लगी है। नवंबर माह से ही इस वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी देखी जा रही है।
पक्षी और पर्यावरण प्रेमी गुरप्रीत सिंह ग्रेवाल और योगेश सचदेवा के अनुसार, प्रवासी पक्षियों की कमी के दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। पहला कारण भारत में ठंड का देर से आना है, जिससे पक्षियों को यहां आने में देरी हो रही है। दूसरा कारण हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर के औद्योगिक क्षेत्र ग्वालथाई में स्थित कुछ औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्रदूषित और रसायनयुक्त पानी सतलुज नदी में छोड़ना है, जो नंगल वेटलैंड तक पहुंचता है।
गुरप्रीत और योगेश ने बताया कि रूस, यूक्रेन, मंगोलिया, कजाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में अत्यधिक ठंड और झीलों के जम जाने के कारण प्रवासी पक्षियों को हजारों किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इनमें से नॉर्दर्न टशवलर, कोमन पोचर्डर, रैड क्रेस्टेड पोचार्ड, टफटेड डक, गडवाल, लैग गीज, बार-हेडेड गीज, लिटिल ग्रीब और मार्श हैरियर जैसे पक्षी प्रमुख होते हैं। पिछले साल इन वेटलैंड में लगभग चार हजार प्रवासी पक्षी आए थे, लेकिन इस बार उनकी संख्या घटकर 1200 से 1500 तक रह गई है। पक्षी प्रेमियों को उम्मीद है कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मौसम में नंगल वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या में कितनी वृद्धि होती है और क्या ये पर्यावरणीय समस्याएं इनके आने में रुकावट डाल रही हैं।
प्रवासी पक्षियों की प्रमुख नस्लें:
नॉर्दर्न टशवलर, कोमन पोचर्डर, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, टफटेड डक, गडवाल, लेग गीज, बार-हेडेड गीज, लिटिल ग्रीव, मार्श हैरियर।
प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट, चिंता का विषय
पक्षी प्रेमियों के लिए यह समय चिंताजनक है, क्योंकि नंगल वेटलैंड में इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी, पर्यावरणीय बदलावों और प्रदूषण को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
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पक्षी और पर्यावरण प्रेमी गुरप्रीत सिंह ग्रेवाल और योगेश सचदेवा के अनुसार, प्रवासी पक्षियों की कमी के दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। पहला कारण भारत में ठंड का देर से आना है, जिससे पक्षियों को यहां आने में देरी हो रही है। दूसरा कारण हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर के औद्योगिक क्षेत्र ग्वालथाई में स्थित कुछ औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्रदूषित और रसायनयुक्त पानी सतलुज नदी में छोड़ना है, जो नंगल वेटलैंड तक पहुंचता है।
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गुरप्रीत और योगेश ने बताया कि रूस, यूक्रेन, मंगोलिया, कजाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में अत्यधिक ठंड और झीलों के जम जाने के कारण प्रवासी पक्षियों को हजारों किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इनमें से नॉर्दर्न टशवलर, कोमन पोचर्डर, रैड क्रेस्टेड पोचार्ड, टफटेड डक, गडवाल, लैग गीज, बार-हेडेड गीज, लिटिल ग्रीब और मार्श हैरियर जैसे पक्षी प्रमुख होते हैं। पिछले साल इन वेटलैंड में लगभग चार हजार प्रवासी पक्षी आए थे, लेकिन इस बार उनकी संख्या घटकर 1200 से 1500 तक रह गई है। पक्षी प्रेमियों को उम्मीद है कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मौसम में नंगल वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों की संख्या में कितनी वृद्धि होती है और क्या ये पर्यावरणीय समस्याएं इनके आने में रुकावट डाल रही हैं।
प्रवासी पक्षियों की प्रमुख नस्लें:
नॉर्दर्न टशवलर, कोमन पोचर्डर, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, टफटेड डक, गडवाल, लेग गीज, बार-हेडेड गीज, लिटिल ग्रीव, मार्श हैरियर।
प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट, चिंता का विषय
पक्षी प्रेमियों के लिए यह समय चिंताजनक है, क्योंकि नंगल वेटलैंड में इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी, पर्यावरणीय बदलावों और प्रदूषण को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।