Banswara: इंदिरा के एक बटन दबाने से बदली 'कालापानी' की तस्वीर, 42 साल पहले आज के दिन बहा था माही बांध से पानी
Banswara News: 1 नवंबर 1983 को इंदिरा गांधी द्वारा माही नहरों में जलप्रवाह शुरू होने के बाद बांसवाड़ा ने विकास की नई कहानी लिखी। कालापानी कहे जाने वाला यह इलाका आज हराभरा और आत्मनिर्भर बन चुका है, जहां कृषि, ऊर्जा और रोजगार के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया।
विस्तार
1 नवंबर 1983, यह वह ऐतिहासिक दिन था जब राजस्थान के दक्षिणी सिरे पर बसे जनजाति बहुल बांसवाड़ा जिले की तकदीर बदलनी शुरू हुई। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कागदी पिकअप वियर पर बटन दबाकर माही बांध की नहरों में जलप्रवाह शुरू किया, जिसने इस क्षेत्र के जीवन, भूमि और विकास की दिशा ही बदल दी। उस पल के साथ ही बांसवाड़ा का नाम ‘कालापानी’ से निकलकर ‘हराभरा जनपद’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
कभी कालापानी कहा जाता था बांसवाड़ा को
आजादी के बाद राजस्थान का दक्षिण क्षेत्र विशेष रूप से बांसवाड़ा और डूंगरपुर आर्थिक, शैक्षिक और विकास की दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा माना जाता था। 1960–70 के दशक में यहां की खेती पूरी तरह बरसाती पानी पर निर्भर थी। जब मेघ मेहरबान होते तो खेतों में जीवन लौट आता और जब बारिश साथ छोड़ देती तो अकाल और भूख का दौर शुरू हो जाता। इस बदहाल स्थिति के कारण प्रशासनिक हलकों में बांसवाड़ा को ‘कालापानी’ कहा जाने लगा था, जहां अधिकारी तक आने से कतराते थे।
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कागदी वियर पर हुआ था ऐतिहासिक जलप्रवाह समारोह
पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत हरिदेव जोशी के प्रयासों से 10 जनवरी 1966 को गुजरात के साथ जल बंटवारे का समझौता हुआ, जिसके बाद बांसवाड़ा के बोरखेड़ा गांव में माही बांध का निर्माण आरंभ हुआ। 1971 में योजना आयोग ने 32 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी। लगभग बारह वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद 1 नवंबर 1983 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कागदी पिकअप वियर पर बने मंच से बटन दबाया और माही की दायीं-बायीं नहरों में जल प्रवाहित हुआ। उस ऐतिहासिक कार्यक्रम में दिवंगत हरिदेव जोशी, शिवचरण माथुर, जल संसाधन विभाग के अधिकारी, कांग्रेस नेता और हजारों ग्रामीण मौजूद थे। भीड़ के उत्साह को देखकर इंदिरा गांधी स्वयं खुली जीप में सवार होकर लोगों से मिलीं।
चार दशकों में विकास का नया अध्याय
माही बांध की नहरों से अब 80 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सिंचित होता है। पहले केवल खरीफ में मक्का बोई जाती थी, लेकिन अब पूरे वर्ष फसलें लहलहाती हैं। पनबिजलीघरों की स्थापना से जिले में बिजली उत्पादन शुरू हुआ और कपड़ा व धागा मिलों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े। इसी माही परियोजना के पानी की बदौलत लगभग 45 हजार करोड़ रुपये की लागत से माही परमाणु बिजलीघर का शिलान्यास हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। जिले से गुजर रहे दो राष्ट्रीय राजमार्ग और आगामी रेलवे कनेक्टिविटी बांसवाड़ा को राजस्थान के विकास मानचित्र में प्रमुख स्थान दिला रहे हैं।
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