Rajasthan: हरिद्वार से मौत ने किया पीछा! सड़क हादसे में सात लोग मरे फिर नदी में 7 डूबे;रूह कंपाने वाला सिलसिला
Phulia Kala Village Tragedy: भीलवाड़ा जिले के फूलिया कला गांव पर मानो मौत का साया टूट पड़ा है। हरिद्वार से अस्थि विसर्जन कर लौटते समय सड़क हादसे में सात परिजनों को खो चुके इस गांव ने अंतिम संस्कार के अगले ही दिन खारी नदी में सात युवकों को डूबते देखा। दो की मौत हो गई, एक लापता है और चार जिंदगी से जूझ रहे हैं। सात दिन में चार पीढ़ियों के इस अंत ने पूरे गांव को शोक और दहशत में डुबो दिया है।
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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के फूलिया कला गांव पर मानो मौत ने डेरा डाल लिया हो। पिछले सात दिनों में इस गांव ने दो ऐसी दर्दनाक त्रासदियां देखीं, जिन्होंने न केवल गांव बल्कि पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया। पहले जयपुर में हुए सड़क हादसे में गांव के एक ही परिवार के सात लोग असमय काल के गाल में समा गए। ये सभी हरिद्वार से अस्थि विसर्जन कर लौट रहे थे। फिर उसी परिवार के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में शामिल होने गए सात युवक खारी नदी में डूब गए, जिनमें से दो की मौत हो गई, एक अब भी लापता है और चार जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहे हैं।
जयपुर भीषण सड़क हादसे में दो परिवारों के सात सदस्य खत्म
जानकारी के मुताबिक, 14 सितंबर की सुबह जयपुर के शिवदासपुरा थाना क्षेत्र में फुलियाकलां गांव के दो परिवारों पर मौत बनकर कहर टूटा। हरिद्वार से अस्थि विसर्जन कर लौटते समय उनकी कार रिंग रोड पर डिवाइडर से टकराकर 16 फीट नीचे अंडरपास में भरे पानी में जा गिरी। हादसा इतना भीषण था कि कार में सवार सभी सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
मृतकों में फूलिया कला निवासी अशोक वैष्णव उर्फ कालूराम (47), उनकी पत्नी सीमा (45), बेटा रोहित (23) और पोता गजराज (6) शामिल थे। इसके अलावा वाटिका सांगानेर निवासी रामराज वैष्णव (38), उनकी पत्नी मधु (36) और 14 माह का बेटा रुद्र भी इस दुर्घटना का शिकार बने। ये सभी हरिद्वार से अस्थि विसर्जन कर लौटते समय पुष्कर की ओर जा रहे थे।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि अशोक वैष्णव के पिता गोपाल वैष्णव का हाल ही में निधन हुआ था। उनकी अस्थियां विसर्जित करने के बाद परिवार वापसी कर रहा था। लेकिन मौत ने लौटते हुए ही उनका रास्ता रोक लिया।
शव पहुंचे गांव, गम का सागर उमड़ा
रविवार दोपहर जब सातों शव गांव पहुंचे तो हर कोई गमगीन हो उठा। चीख-पुकार से माहौल गूंज उठा और पूरा गांव शोक में डूब गया। सोमवार सुबह फूलिया कला के धनेश्वर रोड स्थित श्मशान घाट पर चार शवों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। लोग इस गम से उबर भी नहीं पाए थे कि उसी दिन दूसरी त्रासदी सामने आ गई।
अंतिम संस्कार के बाद खारी नदी में नई त्रासदी
अंतिम संस्कार के बाद परंपरा के अनुसार परिजन और ग्रामीण खारी नदी के एनिकट पर स्नान करने गए। यहीं पर गांव के सात युवक विजय प्रताप सिंह (30), मुकेश गोस्वामी (25), महेंद्र माली (25), बरदी चंद माली (34), महेश शर्मा (35), राकेश माली (28) और जीवनराज माली (30) नदी में नहाने उतरे।
पलभर में ही सातों गहरे पानी में डूबने लगे। चीख-पुकार मच गई। ग्रामीणों ने किसी तरह चार युवकों को बाहर निकाला और उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। उनकी हालत गंभीर होने पर शाहपुरा जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। महेंद्र माली और बरदी चंद की मौत हो गई, जबकि महेश शर्मा अब भी लापता है।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, सड़क पर जाम
हादसे के तीन घंटे बीत जाने के बाद भी रेस्क्यू टीम मौके पर नहीं पहुंची। इस लापरवाही से गुस्साए ग्रामीणों ने शाहपुरा-जयपुर मार्ग जाम कर दिया। मौके पर जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू, एएसपी राजेश आर्य और डीएसपी ओमप्रकाश बिश्नोई पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को समझाने और महेश शर्मा की तलाश तेज करने का आश्वासन दिया।
सात दिन में चार पीढ़ियां खत्म
यह संयोग नहीं, बल्कि एक भयावह त्रासदी है। महज सात दिनों के भीतर फूलिया कला गांव ने चार पीढ़ियों को खो दिया। पहले गोपाल वैष्णव का निधन हुआ, फिर उनके बेटे अशोक, पोते रोहित और पड़पोते गजराज सड़क हादसे में मारे गए। और जब उनके अंतिम संस्कार का दर्द गांव झेल ही रहा था, तभी नदी में डूबने से दो युवकों की मौत और एक की लापता स्थिति ने गांव को और गहरे शोक में डुबो दिया।
गांव में पसरा मातम और सन्नाटा
गांव के हर घर से रुदन की आवाजें सुनाई दे रही हैं। रोहित का बड़ा भाई पंकज वैष्णव अब परिवार का अकेला सहारा बचा है। उसकी आंखें आंसुओं से भरी हैं। वह खुद तीन बच्चों का पिता है, लेकिन परिवार पर आए इस कहर ने उसे अंदर तक तोड़ दिया है।
गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि उन्होंने कभी ऐसा कालखंड नहीं देखा। पहले अस्थियां विसर्जित कर लौटे तो हादसा हुआ, फिर अंतिम संस्कार करने गए तो नदी ने लील लिया।
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प्रशासन व नेताओं का दौरा
हादसे की जानकारी मिलने के बाद सांसद दामोदर अग्रवाल और विधायक डॉ. लालाराम बैरवा शाहपुरा अस्पताल पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारों को ढांढस बंधाया और बेहतर इलाज की व्यवस्था के निर्देश दिए। जिला कलेक्टर ने पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने और हादसों की जांच के आदेश दिए।
सवालों के घेरे में सुरक्षा और व्यवस्था
एक ही गांव में सात दिनों के भीतर इस तरह की दो बड़ी घटनाओं ने प्रशासन और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सड़क हादसे में तेज रफ्तार और झपकी को कारण माना गया, वहीं नदी हादसे में सुरक्षा इंतजाम और रेस्क्यू की देरी को लेकर गुस्सा है।
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गांव की सामूहिक पीड़ा
फूलिया कला अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि सामूहिक त्रासदी की पहचान बन गया है। यहां की कहानी आज पूरे राजस्थान को झकझोर रही है। हर कोई यही पूछ रहा है कि आखिर कब तक लापरवाही और हादसों की यह कड़ी गांववासियों को यूं ही मौत के हवाले करती रहेगी।