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Rajasthan News: मेले में थके पैरों को सहलाने वाले जानें कौन हैं बीकानेर के प्रदीप? लंदन में चल रहा बड़ा बिजनेस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बीकानेर
Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी
Updated Tue, 26 Aug 2025 06:36 PM IST
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सार
Bikaner News : बीकानेर के प्रदीप सूद की सेवा भाव की तारीफ हो रही है। लंदन में उनका खुद का बड़ा बिजनेस चल रहा है, लेकिन दिल आज भी गांव से ही जुड़ा है। रामदेवरा मेले में आने वाले भक्तों के वो पैर सहला रहे हैं। उनकी थकान दूर करने का काम कर रहे हैं। यह क्रम सन 1977 से जारी है। यहां यात्रियों के लिए 24 घंटे चाय, समोसा, कचौरी, जलेबी और रोज़ करीब 2.5 क्विंटल रोटियों का इंतज़ाम होता है।

Bikaner News : सेवा और समर्पण की मिसाल पेश कर रहे प्रदीप।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सेवा सिर्फ शब्द नहीं, जीने का तरीका है। बीकानेर के प्रदीप सूद इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं। लंदन में रहते हैं, बिजनेस करते हैं, लेकिन हर साल बीकानेर लौटकर रामदेवरा जाने वाले पैदल यात्रियों की सेवा में जुट जाते हैं। साल 1977 में जब प्रदीप सूद खुद पैदल रामदेवरा गए, तो उनके मन में ठान लिया कि हर साल यात्रियों की सेवा करेंगे। तब से अब तक वे इस व्रत को निभा रहे हैं। हर साल ‘बाबा मित्र मंडल, रानी बाजार’ के नाम से बीकानेर से 90 किलोमीटर दूर नोखड़ा गांव में सेवा शिविर लगता है। यहां यात्रियों के लिए 24 घंटे चाय, समोसा, कचौरी, जलेबी और रोज़ करीब 2.5 क्विंटल रोटियों का इंतज़ाम होता है।
सिर्फ भोजन नहीं, अपनापन भी
सूद श्रद्धालुओं को सिर्फ खाना ही नहीं परोसते। वे थके हुए यात्रियों के पैर दबाते हैं, फफोले साफ करते हैं और अपनेपन से उनका दर्द बांटते हैं। यही उन्हें अलग बनाता है।
विदेश में कारोबार, दिल अपने गांव से जुड़ा
1980 में सूद लंदन गए और वहां ग्रोसरी शॉप खड़ी की। लेकिन उनकी आत्मा अब भी बीकानेर और रामदेवरा मेले से जुड़ी है। हर साल कारोबार छोड़कर वे सेवा करने आ जाते हैं। इस सेवा शिविर में सूद अकेले नहीं होते। बीकाजी ग्रुप के संचालक शिवरतन अग्रवाल और माइनिंग व्यवसायी जयचंदलाल डागा जैसे दानवीर भी उनका साथ देते हैं। यह सामूहिक प्रयास हर साल हजारों यात्रियों को सुकून देता है।
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सेवा-भाव ही सबसे बड़ा धर्म
प्रदीप सूद की यह कहानी दिखाती है कि सेवा इंसानियत का सबसे पवित्र रूप है। परदेश में रहते हुए भी अगर कोई अपनी मिट्टी और परंपरा से इतना जुड़ा रहे, तो वह समाज के लिए प्रेरणा बन जाता है।
ये भी पढ़ें- Rajasthan News: शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण पर एफआईआर, जानें किस मामले में फंसे बॉलीवुड के स्टार

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सिर्फ भोजन नहीं, अपनापन भी
सूद श्रद्धालुओं को सिर्फ खाना ही नहीं परोसते। वे थके हुए यात्रियों के पैर दबाते हैं, फफोले साफ करते हैं और अपनेपन से उनका दर्द बांटते हैं। यही उन्हें अलग बनाता है।
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विदेश में कारोबार, दिल अपने गांव से जुड़ा
1980 में सूद लंदन गए और वहां ग्रोसरी शॉप खड़ी की। लेकिन उनकी आत्मा अब भी बीकानेर और रामदेवरा मेले से जुड़ी है। हर साल कारोबार छोड़कर वे सेवा करने आ जाते हैं। इस सेवा शिविर में सूद अकेले नहीं होते। बीकाजी ग्रुप के संचालक शिवरतन अग्रवाल और माइनिंग व्यवसायी जयचंदलाल डागा जैसे दानवीर भी उनका साथ देते हैं। यह सामूहिक प्रयास हर साल हजारों यात्रियों को सुकून देता है।
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प्रदीप सूद की यह कहानी दिखाती है कि सेवा इंसानियत का सबसे पवित्र रूप है। परदेश में रहते हुए भी अगर कोई अपनी मिट्टी और परंपरा से इतना जुड़ा रहे, तो वह समाज के लिए प्रेरणा बन जाता है।
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