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Dausa News: 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर बरसों से बह रहा मीठा-ठंडा पानी, लोगों की आस्था के केंद्र है ये चमत्कारी कुई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दौसा Published by: प्रिया वर्मा Updated Fri, 05 Sep 2025 08:44 AM IST
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सार

जिले में जहां 500 फीट नीचे तक पानी नहीं मिलता, वहीं भाकरी की पहाड़ी पर बनी छोटी सी कुई आज भी अथाह पानी दे रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी की मिठास मिनरल वाटर से भी बेहतर है।

Dausa News: Sweet and cold water flowing for centuries on 300-ft hill, miraculous well is a center of faith
भाकरी की पहाड़ी पर स्थित कुई - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जिले में पानी की समस्या जगजाहिर है। यहां दशकों से चुनावों में नेता पानी का मुद्दा उठाते आए हैं लेकिन हालात ऐसे हैं कि जमीन में 500 फीट नीचे तक भी पानी नहीं मिलता। ऐसे में अगर जमीन से 300 फीट ऊंची अरावली की पहाड़ी पर महज 5 फीट गहरी कुई (बेरी) से सदियों से ठंडा और मीठा पानी निकल रहा हो, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

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जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर दूर भाकरी की पहाड़ी पर बालाजी मंदिर और डेढ़ क्विंटल के शिवलिंग के पास यह बेरी स्थित है। ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी की मिठास मिनरल वाटर से भी बेहतर है और गर्मियों में इसका ठंडापन फ्रिज से कम नहीं होता।

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पंडित नृसिंह प्रसाद गंगावत बताते हैं कि मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों में आने वाले हजारों लोगों की प्यास इसी बेरी के पानी से बुझाई जाती है। स्थानीय लोग इसे छोटी गंगा या गुप्त गंगा भी कहते हैं। मान्यता है कि एक बार भयंकर अकाल के दौरान पूरे गांव का पानी सूख गया था, तब इसी कुई ने ग्रामीणों की प्यास बुझाई थी।


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ग्रामीणों के अनुसार चाहे कितना भी पानी निकाला जाए, यह बेरी कभी सूखती नहीं। इसकी मिठास और ठंडापन हमेशा एक जैसा रहता है। मंदिर के महंत राजू महाराज और अन्य बुजुर्गों का कहना है कि उनके दादा-परदादा भी इस चमत्कारी पानी की कहानी सुनाते थे। आज भी धार्मिक आयोजनों, अनुष्ठानों और मंदिर निर्माण कार्यों में इसी पानी का उपयोग होता है।

बेरी से लगभग 200 मीटर दूर स्थित हनुमान मंदिर भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हनुमानजी उनके दुख-दर्द दूर करते हैं।

झरनों से बढ़ती पहाड़ी की सुंदरता
बरसात के दिनों में यह 300 फीट ऊंची पहाड़ी झरनों से लबालब हो उठती है। इन झरनों को देखने के लिए राहगीरों की भीड़ सड़क पर रुक जाती है। पहाड़ी के नीचे मानस गंगा नामक जलाशय है, जिसमें हजारों मछलियां हैं। लोग इन्हें आटे की गोलियां खिलाते हैं और इसे आस्था से जोड़कर देखते हैं। स्थानीय लोगों का दुख यह है कि मानस गंगा में लाखों मछलियां होने के बावजूद गर्मियों में इन्हें बचाने के लिए घाट और चारदीवारी जैसी व्यवस्थाओं पर प्रशासन कोई ध्यान नहीं देता।

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