Trainee SI Death Case: 45 घंटे बाद हुआ पोस्टमॉर्टम, मुआवजा और नौकरी मिलेगी; राजकीय सम्मान पर बनी सहमति
Dausa Trainee SI Death Case: बुधवार शाम एसडीएम मूलचंद लूणिया और परिजनों के बीच बातचीत सफल रही। इसके बाद पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी की गई। प्रशासन ने 50 लाख रुपये मुआवजा, एक आश्रित को संविदा पर नौकरी और राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार की शर्त मान ली।

विस्तार
दौसा में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा-2021 में चयनित ट्रेनी एसआई राजेंद्र सैनी (30) की मौत के बाद तीन दिन से चल रहा गतिरोध आखिरकार बुधवार देर शाम खत्म हो गया। 45 घंटे तक चले धरने और प्रशासन से टकराव के बाद परिजनों ने शव का पोस्टमॉर्टम कराने पर सहमति दी। समझौते के तहत परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा, एक आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति और राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि कराने का आश्वासन दिया गया है। साथ ही धरना देने वालों के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा।

मौत के बाद भड़का गुस्सा, 45 घंटे तक टला पोस्टमॉर्टम
राजेंद्र सैनी की मौत 15 सितंबर की रात को दौसा रेलवे स्टेशन के पास मालगाड़ी की चपेट में आने से हुई थी। मौत के बाद परिजनों और सैनी समाज ने शव को अस्पताल की मोर्चरी में ही रखवाकर मुआवजा, नौकरी और जमीन की मांग करते हुए धरना शुरू कर दिया। लगभग 45 घंटे तक लगातार बातचीत के बावजूद सहमति नहीं बन पाई और अस्पताल परिसर में भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
परिजनों और ट्रेनी एसआई का आंदोलन
बुधवार को परिजनों के समर्थन में विभिन्न जिलों से आए 2021 बैच के ट्रेनी एसआई भी धरने में शामिल हुए। उन्होंने सरकार पर भर्ती रद्द करने और बेरोजगार युवाओं को अवसाद में धकेलने का आरोप लगाया। परिजनों का कहना था कि जब तक चेक हाथ में नहीं मिलेगा, वे शव नहीं उठाएंगे।
विधायक बैरवा का सरकार पर निशाना
कांग्रेस विधायक दीनदयाल बैरवा बुधवार सुबह धरना स्थल पर पहुंचे और सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतने बड़े घटनाक्रम के बावजूद न तो प्रशासन और न ही सरकार का कोई जिम्मेदार प्रतिनिधि सामने आया। बैरवा का दावा था कि राजेंद्र सैनी ने अवसाद में आत्महत्या की और यह पूरी तरह सरकार की संवेदनहीनता का नतीजा है। उन्होंने कहा कि भर्ती परीक्षा रद्द करने के बाद कोर्ट ने थोड़ी राहत दी, लेकिन सरकार ने युवाओं की सुनवाई बंद कर दी है।
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समझौते के बाद टूटा गतिरोध
बुधवार शाम करीब 5.19 बजे एसडीएम मूलचंद लूणिया और परिजनों के बीच बातचीत सफल रही। इसके बाद पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी की गई। प्रशासन ने 50 लाख रुपये मुआवजा, एक आश्रित को संविदा पर नौकरी और राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार की शर्त मान ली। इसके बाद परिजनों ने शव लिया।
नेताओं और संगठनों का दिखा आक्रोश
घटना को लेकर धरने के दौरान दौसा सांसद मुरारीलाल मीना, विधायक दीनदयाल बैरवा, जिला प्रमुख हीरालाल सैनी, फुले ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीपी सैनी सहित कई नेता पहुंचे। उन्होंने सरकार पर लापरवाही और संवेदनहीन रवैये का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने तो यहां तक कहा कि यह मौत नहीं बल्कि सिस्टम की हत्या है।
आर्थिक रूप से कमजोर था परिवार
फुले ब्रिगेड अध्यक्ष सीपी सैनी ने बताया कि मृतक राजेंद्र सैनी का परिवार बेहद गरीब है। गांव में कच्चा मकान है, छह भाई और दो बहनों के बीच राजेंद्र चौथे नंबर का था। वह पढ़ाई में तेज था और कई परीक्षाओं में सफल हुआ था, लेकिन एसआई की नौकरी को चुना। परिवार उसकी तनख्वाह पर निर्भर था। रिश्तेदारों के अनुसार, परीक्षा रद्द होने के बाद से ही वह डिप्रेशन में था और कहा करता था कि या तो परीक्षा रहेगी या मैं।
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