Budget 2024: बजट में राजस्थान को रेलवे के लिए 10 हजार करोड़, रेल मंत्री पुराने व नए प्रोजेक्ट पर करेंगे प्रयोग
Budget 2024: केंद्र के बजट से राजस्थान को रेलवे से 10 हजार करोड़ रुपए मिले हैं। यह जानकारी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। इसके लिए बुधवार को जयपुर स्थित उत्तर पश्चिम रेलवे के ऑफिस में ब्रीफिंग रखी गई थी।
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देश में वंदे मेट्रो और वंदे स्लीपर दोनों टेस्टिंग फेज पर है। इसकी सुविधा भी राजस्थान को जल्द मिल सकती है। यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में दी। यह ब्रीफिंग राजस्थान को मिले रेलवे बजट को लेकर रखी गई थी। वैष्णव ने कहा कि केंद्र के बजट से राजस्थान को रेलवे के 10 हजार करोड़ रुपए मिले हैं, जिससे संरक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, आधुनिकीकरण तथा यात्री सुविधाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बजट में रेलवे के लिए 2,62,200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है जो अभी तक का सर्वाधिक है।
रेलवे में संरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए इस बजट में 108 हजार करोड़ करोड़ रूपए का आंवटन किया गया है। वैष्णव ने कहा कि राजस्थान राज्य बहुत बड़ा प्रदेश है और सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण राज्य है। वर्ष 2009-14 तक राजस्थान को औसत बजट मात्र 682 करोड़ रूपए प्रतिवर्ष मिलता था, जिसे इस बजट में लगभग 10 हजार करोड़ रूपए (9782 करोड़ रूपए) किया गया है।
अभी तक का सर्वाधिक बजट आवंटन है। वैष्णव ने बताया कि राजस्थान में रेल कार्य बहुत तेजी से हो रहे हैं। राजस्थान राज्य में वर्तमान में 51,814 करोड़ रूपए के कार्य प्रगति पर है। राजस्थान में स्थित 85 रेलवे स्टेशनों को अमृत स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है इसके साथ ही विगत 10 वर्षों में राजस्थान में रेलवे ट्रैक पर 1475 फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण किया गया है।
3 हजार किमी तक कवच प्रणाली का काम पूरा
संरक्षा के बारे में बताते हुए रेलमंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे पर कवच प्रणाली से संबंधित कार्यों को पूरा कर लिया गया है और आरडीएसओ द्वारा कवच 4.0 वर्जन को अंतिम रूप दिया गया है, अब इस अत्यानुधिक कवच प्रणाली को विभिन्न रेलमार्गों पर लगाए जाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
उन्होंने बताया कि कवच प्रणाली को स्थापित करने में आप्टिकल फाइबर केबल बिछाने, टावर लगाने, डेटा सेन्टर स्थापित करने और आरएफआईडी डिवाइस लगाने जैसे कार्य किए जाते है, जिससे इसमें समय लगता है। भारतीय रेलवे पर लगभग 3000 किलोमीटर रेलमार्ग पर कवच प्रणाली लगाई जा चुकी है।