Jaipur News: किडनी रोग से जूझ रहे बच्चों के लिए फ्री यात्रा नहीं, गरीब परिवार इलाज बीच में छोड़ने को मजबूर
Jaipur News:राजस्थान में CKD से पीड़ित बच्चों को थैलेसीमिया और कैंसर मरीजों की तरह फ्री ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं मिलती। सप्ताह में दो बार जयपुर आने का खर्च गरीब परिवार नहीं उठा पाते, जिससे कई बच्चे डायलिसिस बीच में ही छोड़ देते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों में CKD तेजी से बढ़ रहा है।
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राजस्थान में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज में एक बड़ी असमानता सामने आई है। थैलसीमिया और कैंसर से पीड़ित मरीजों को जहां राज्य सरकार अस्पताल तक आने-जाने के लिए मुफ्त ट्रांसपोर्टेशन सुविधा देती है, वहीं क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीड़ित बच्चों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इससे कई गरीब परिवार इलाज का खर्च वहन न कर पाने के कारण इलाज बीच में ही रोकने को मजबूर हो रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में बच्चों में CKD के मामले तेजी से बढ़े हैं और अधिकांश का पता तब चलता है जब किडनी फेल्योर की स्थिति आ चुकी होती है तथा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही विकल्प बचता है।
किडनी पेशेंट वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सिंह ने बताया कि बच्चों में किडनी रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार की ट्रांसपोर्टेशन योजना इनमें शामिल नहीं है। उनके अनुसार, भले ही सरकार डायलिसिस और ट्रांसप्लांट मुफ्त कर चुकी है, पर अस्पताल तक बार-बार पहुंचने का खर्च गरीब परिवारों पर भारी पड़ता है। जयपुर के JK लोन अस्पताल में ही पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी की सुविधा उपलब्ध होने के कारण प्रदेश के दूर-दराज जिलों से बच्चों को सप्ताह में दो बार जयपुर आना पड़ता है, जिससे प्रति यात्रा करीब 1,000 से 2,000 रुपए तक खर्च आता है।
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हर्षवर्धन सिंह ने बताया कि कई परिवार आर्थिक तंगी के चलते बच्चों का डायलिसिस बीच में ही बंद कर देते हैं, जिससे उनकी जान तक चली जाती है। उन्होंने कहा कि इस समस्या की जानकारी कई बार सरकार तक पहुंचाई गई है, लेकिन अब तक किसी तरह की राहत नहीं मिली है। JK लोन अस्पताल की पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. नेहा के अनुसार, बच्चों में CKD के बढ़ते मामलों के पीछे जंक फूड का अत्यधिक सेवन और बिना जरूरत दवाओं का इस्तेमाल प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि बीमारी की सही समय पर पहचान बेहद कठिन है, क्योंकि अधिकतर बच्चों में CKD का पता तभी चलता है जब किडनी गंभीर रूप से खराब हो चुकी होती है और इलाज डायलिसिस या ट्रांसप्लांट तक सीमित रह जाता है।
इन लक्षणों पर तुरंत जांच करवाएं:
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शरीर या चेहरे पर सूजन
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पेशाब में बदलाव
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भूख कम लगना
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उल्टी, कमजोरी, थकान
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बार-बार पेट दर्द या चिड़चिड़ापन