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Rajasthan News:अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने आंदोलन वापस लिया, डोटासरा बोले-न्याय की जीत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: सौरभ भट्ट Updated Mon, 29 Dec 2025 04:22 PM IST
सार

अरावली को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के बाद कांग्रेस ने राजस्थान में सेव अरावली आंदोलन स्थगित कर दिया है। जानिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस पर क्या कहा...

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Congress Halts Rajasthan Protests After SC Verdicts
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा - फोटो : अमर उजाला
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अरावली और उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसलों के बाद राजस्थान में कांग्रेस ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा की है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बताया कि अरावली पर्वतमाला के संरक्षण और उन्नाव रेप केस में आरोपी कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगाने के फैसलों के बाद पार्टी अब आंदोलन स्थगित कर रही है।

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डोटासरा ने कहा कि अरावली को बचाने के लिए पूरे प्रदेश में पार्टी और जनता के साथ आंदोलन किया गया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार के फैसले पर रोक लगाकर अरावली संरक्षण में जनता की आवाज को माना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जनवरी में आने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी अरावली पर्वतमाला की सुरक्षा और जनता की भावनाओं के अनुरूप होगा।
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इसके साथ ही उन्नाव रेप केस के आरोपी की जमानत पर रोक लगाने के फैसले के बारे में डोटासरा ने कहा कि इस निर्णय से आम जनता में न्याय के प्रति विश्वास बढ़ा है। कांग्रेस पार्टी न्याय दिलाने के लिए आंदोलन कर रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बाद अब आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है। डोटासरा ने जनता से अपील की कि सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखें। उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में जनभावनाओं के खिलाफ कोई फैसला आता है, तो आंदोलन संविधान के अनुसार जारी रखने का अधिकार पार्टी सुरक्षित रखती है। सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों से कांग्रेस ने कहा कि न्याय की जीत हुई है और जनता की आवाज को सुना गया। पार्टी उम्मीद करती है कि आने वाला निर्णय अरावली पर्वतमाला और पर्यावरण संरक्षण के लिए सकारात्मक रहेगा।

गहलोत बोले- फैसला स्वागत योग्य
अरावली की परिभाषा को लेकर 20 नवंबर के फैसले पर रोक लगाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है।  वर्तमान पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए यह बेहद आवश्यक है कि अरावली को लेकर अगली शताब्दी तक की स्थिति को सोचकर काम किया जाए।  पर्यावरण मंत्री को भी अब पर्यावरण के हित में काम करने की सोच रखनी चाहिए। सरिस्का सहित पूरे अरावली में खनन बढ़ाने की सोच भविष्य के लिए ख़तरनाक है।


जूली बोले- अरावली का सौदा बर्दाश्त नहीं
राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अरावली पर्वतमाला की परिभाषा से जुड़े मुद्दे पर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक का पुरजोर स्वागत किया। जूली ने इसे जनता के सामूहिक संघर्ष और पर्यावरण की बड़ी जीत करार दिया। जूली ने कहा कि  "अरावली राजस्थान के मस्तक का तिलक है, यह हमारी अस्मिता और सुरक्षा का कवच है। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि भाजपा सरकार की नाक के नीचे खनन माफिया इस तिलक को मिटाकर इसे अपने पैरों की धूल बनाने पर आमादा है।"
उन्होंने कहा कि शनिवार को अलवर में 'अरावली बचाओ जन-जागरण अभियान' के तहत  पैदल मार्च और संघर्ष अलवर की सड़कों पर शुरू हुआ था, वहीं प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी कांग्रेस समेत सभी जागरूक लोग अपने - अपने स्तर पर आक्रोश व्यक्त कर रहे थे, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने अपने पिछले फैसले पर स्टे देकर उस पर मुहर लगा दी है।
टीकाराम जूली ने चेतावनी देते हुए कहा कि अरावली हमारे लिए केवल पहाड़ नहीं, बल्कि मां के समान है। "अरावली मां का सौदा करने वालों को अलवर और राजस्थान की जनता कभी माफ नहीं करेगी।“
उन्होंने आगे कहा कि हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक अरावली पूर्णतः सुरक्षित और संरक्षित नहीं हो जाती। हमें पूर्ण विश्वास है कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में एक ऐतिहासिक और अंतिम निर्णय आएगा।  जूली ने यह भी कहा कि सरिस्का को हर कीमत पर बचाया जाएगा एवं इसका सौदा करने वालों के खिलाफ लोहा लिया जाएगा। सरिस्का अलवर का ताज है और इसे किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं होने देंगे।


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