Pawan Khera: 'BJP भारतीयों की जासूस पार्टी', मोदी सरकार का नया मंत्र है- मिनिमम गवर्नेंस, मैक्सिमम सर्विलांस
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, पेगासस जासूसी में फंसने के बाद मोदी सरकार अब देश पर जासूसी के लिए कॉग्नाइट खरीद रही है। पहले मोदी सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका, पेगासस और फिर टीम जॉर्ज के नेतृत्व में इजराइली कॉन्ट्रैक्ट हैकर्स का इस्तेमाल किया। अब बीजेपी भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और लोकतंत्र में दखल देने के लिए नए स्पाईवेयर की तलाश कर रही है।
विस्तार
कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, शायद अपने परम मित्र को बचाने के लिए सरकारी तंत्र और फंड का इस्तेमाल कर विपक्ष पर ताक-झांक करना मोदी सरकार की मजबूरी बन चुकी है। हजार करोड़ रुपये खर्च कर मोदी सरकार लोकतंत्र को कुचलना चाहती है। पेगासस, कैम्ब्रिज एनालिटिका और हाल ही में सामने आई टीम जॉर्ज की तरह क्या मोदी सरकार ने अब लोगों और संस्थानों की जासूसी, निगरानी और ताक-झांक करने के लिए एक नया स्पाईवेयर खरीदा है? इनमें शामिल हैं, विपक्षी दल, एनजीओ, मीडिया हाउस, सिविल सोसाइटी कार्यकर्ता, न्यायपालिका, चुनाव आयोग और लोकतंत्र की किसी भी तरह से रक्षा करने वाली हर दूसरी संस्था।
एक प्रमुख समाचार पत्र द्वारा विश्लेषण किए गए व्यापार डेटा के अनुसार, मोदी सरकार ने पहले ही 'कॉग्नाइट' से स्पाइवेयर उपकरण खरीदे हैं। जो पेगासस का विकल्प है। मोदी सरकार विवादास्पद पेगासस प्रणाली की तुलना में कम प्रोफाइल वाले नए स्पाइवेयर के लिए भी बेताब है, जिसे अधिकांश देशों द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया था। अमेरिकी लॉ फर्म केसलर टोपाज मेल्टजर एंड चेक एलएलपी ने एक बयान में 'कॉग्नाइट' का वर्णन इस प्रकार किया है। कॉग्नाइट ने नियमित रूप से दुनिया भर के पत्रकारों, असंतुष्टों, सत्तावादी शासन के आलोचकों, विपक्ष के परिवारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को उनकी जानकारी के बिना निशाना बनाया और इन लोगों से जानकारी हासिल करने के लिए हेरफेर करके या उनके उपकरणों और खातों से समझौता करके उनके बारे में खुफिया जानकारी एकत्र की है।
मोदी सरकार के रक्षा और खुफिया अधिकारियों ने एनएसओ समूह के कम प्रसिद्ध प्रतिस्पर्धियों से स्पाइवेयर हासिल करने का फैसला किया है, जिसके पास पेगासस स्पाइवेयर का स्वामित्व है और वह नए स्पाइवेयर अनुबंधों के माध्यम से 120 मिलियन यानी 986 करोड़ तक सार्वजनिक धन खर्च करने को तैयार है।
इस संदर्भ में कांग्रेस पार्टी के प्रश्न स्पष्ट हैं...
- क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने रक्षा मंत्रालय के माध्यम से पेगासस विकल्प कॉग्नाइट से कुछ 'संचार उपकरण' खरीदे हैं, जैसा कि व्यापार डेटा दर्शाता है?
- क्या मोदी सरकार नए स्पाइवेयर को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श के अग्रिम चरण में है, ऐसे स्पाइवेयर की जिसकी सार्वजानिक जानकारी कम है और विभिन्न देशों द्वारा ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया है?
- क्या यह सच है कि रक्षा मंत्रालय ने भी इस संबंध में रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) के लिए काम करना शुरू कर दिया है?
- क्या यह सच नहीं है कि 'कॉग्नाइट' अब 'पेगासस' की एवज में लेने वाले स्पाईवेयर की रेस में सबसे आगे है, जिसे सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले 'वेरिंट' से बाहर कर दिया गया था, और 'मेटा' द्वारा व्यापक दुरुपयोग पाए जाने के बाद नॉर्वे के सॉवरेन वेल्थ फंड द्वारा इसके स्टॉक को डंप कर दिया गया था?
- क्या यह भी सच नहीं है कि 'पेगासस' के बदले एक और मैलवेयर 'क्वाड्रीम' है, जिसे वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब को बेचने की मंजूरी दी गई थी?
- क्या यह सच है कि 'प्रीडेटर' नामक एक स्पाइवेयर एक ग्रीक फर्म ‘इंटेलेलेक्सा’ के ओनरशिप में है, जो कई देशों में जासूसी करने में शामिल है और विभिन्न सरकारों के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की जासूसी में शामिल है। इस तरह के अनुबंध के लिए सबसे आगे हैं?
- सिटीजन लैब और फेसबुक के अनुसार, मिस्र, सऊदी अरब, मेडागास्कर और ओमान सहित मानवाधिकारों के हनन के रिकॉर्ड वाले देशों में 'प्रीडेटर' पहले से ही चालू है।
- क्या यह भी सच है कि भारतीय अधिकारियों ने प्रतिद्वंद्वियों की एक श्रृंखला में भी रुचि दिखाई है, जिनमें से कई इज़राइली कंपनियों द्वारा बनाई गई थीं, जो देश की सेना के मजबूत लिंक वाली सबसे उन्नत स्पाईवेयर कंपनियों का ठिकाना है?
- यह देखते हुए कि पीएम मोदी ने अपने प्रिय मित्र अडानी को कई रक्षा अनुबंध दिए हैं, जिसमें इज़राइल में एक बंदरगाह हाफिया भी शामिल है, यह आश्चर्य की बात नहीं है?
- क्या यह सच नहीं है कि भारत सरकार के माध्यम से मोदी सरकार ने 2017 में दो अरब डॉलर के रक्षा पैकेज के हिस्से के रूप में इज़राइली स्पाईवेयर पेगासस खरीदा था? क्या यह सच नहीं है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारत के संस्थानों मोदी सरकार के अपने मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, राजनीतिक रणनीतिकारों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, धार्मिक नेताओं और भारत के चुनाव आयोग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के प्रमुखों जैसे संस्थानों पर हमला करने के लिए किया गया था? क्या यह तथ्य नहीं है कि सिटीजन लैब रिपोर्ट 2018 के अनुसार पेगासस स्पाइवेयर ने 'नेशनल इंटरनेट बैकबोन' और 'एमटीएनएल' सहित कई टेलीफोन/इंटरनेट प्रदाताओं को संक्रमित किया है?
- क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा, जो कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और अन्य लोगों के अलावा, यहां तक कि भाजपा के अपने मंत्रियों जैसे अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल, साथ ही भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और स्मृति ईरानी के सहयोगियों की भी जासूसी करता था? और अब इसकी जगह ‘प्रीडेटर’ या 'क्वाड्रीम' या ऐसे ही किसी अन्य स्पाईवेयर को खरीदा जा रहा है।
- क्या यह तथ्य नहीं है कि पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली एक समिति होने के बावजूद तत्कालीन मुख्य न्यायधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया? जांच समिति की रिपोर्ट अभी भी "सील" है। क्या यह सच नहीं है कि 66.7 करोड़ लोगों का डेटा चोरी पाया गया, जिससे उनके निजता के मौलिक अधिकार को खतरा पैदा हो गया?
- इससे पहले, 2018 में कांग्रेस पार्टी पहले ही कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) और भाजपा के बीच संदिग्ध संबंध साबित कर चुकी है। CA ने लोकसभा 2014 और पांच अन्य भाजपा राज्यों बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा में भाजपा के लिए कैसे प्रचार किया। भारत ने यह भी देखा कि सीए की मूल कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस लेबोरेटरीज (एससीएल) से संबद्ध ओवलेनो बिजनेस इंटेलिजेंस (ओबीआई) ने 2014 के राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के लिए भाजपा उम्मीदवारों को एक निर्वाचन क्षेत्र-वार डेटाबेस प्रस्तुत किया।
- हाल ही में फरवरी में, इसी मंच पर, हमने उजागर किया कि किस तरह “टीम जॉर्ज” के नाम से इजरायली हैकरों की एक टीम का उपयोग भाजपा के इको-सिस्टम द्वारा भारतीय चुनावों में फेक न्यूज़ और दुष्प्रचार फैलाकर, दखल देने के लिए किया गया था।
एक बार फिर, भाजपा सरकार अवैध जासूसी और असंवैधानिक निगरानी रैकेट में अपनी भूमिका और मिलीभगत के लिए राष्ट्र के सामने बेनकाब हो गई है
- क्या भाजपा सरकार ने 2019 के आम चुनावों में भारतीय संसद के लिए पेगासस के माध्यम से अपने नागरिकों और राजनीतिक नेताओं की जासूसी नहीं की थी, और अब क्या 2024 के आम चुनावों के लिए एक और स्पाइवेयर का उपयोग करके उसी को दोहराने का इरादा नहीं रखती है?
- भारत सरकार में किसने इजराइली कंपनी NSO से अवैध स्पाईवेयर 'पेगासस' खरीदा और तैनात किया और भारत सरकार में किसने इस नए स्पाईवेयर के लिए विचार-विमर्श शुरू किया है?
- अवैध स्पाईवेयर 'पेगासस' की खरीद को अधिकृत किया और अब 'कॉग्नाइट' या 'प्रीडेटर' या 'क्वाड्रीम' या इसके प्रतिस्थापन की खरीद को कौन मंज़ूरी दे रहा है? अवैध स्पाइवेयर खरीदने और लगाने के दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? क्या मोदी सरकार, अपने मंत्रियों और अधिकारियों सहित, टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 24, 25 और 26 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के संदर्भ में आपराधिक रूप से दोषी और उत्तरदायी नहीं है?
- अगर मोदी जी संस्थानों की जासूसी और निगरानी या उनका दुरपयोग करने के लिए मैलवेयर और स्पाईवेयर पर इतना खर्च कर रहे हैं तो वे देश को यह क्यों नहीं बता सकते कि अडानी की शेल कंपनियों में 20,000 करोड़ किसके हैं?, शायद उन्हें इस स्पाईवेयर से पता लग जाए।