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Rajasthan: पीएम मोदी के साथ वसुंधरा राजे की मुलाकात, तस्वीरें की साझा…दोनों के मिलने के क्या है मायने; जानें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: शबाहत हुसैन Updated Sat, 21 Dec 2024 10:31 AM IST
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सार

Rajasthan: राजस्थान की राजनीति की एक अहम तस्वीर कल दिल्ली से निकल कर आई। बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अपने सोशल मीडिया पर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की एक तस्वीर साझा की।  

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पीएम मोदी के साथ वसुंधरा राजे - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान में सियासत की एक अहम तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। यह तस्वीर वसुंधरा राजे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में हुई मुलाकात की है। राजे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर इस तस्वीर को साझा करते हुए बीजेपी राजस्थान को भी टैग किया है। राजे ने इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताया। लेकिन राजस्थान की राजनीति के लिए यह तस्वीर अहम सियासी संदेश देने वाली है। लंबे अरसे बात मोदी और राजे की वन-टू-वन मुलाकात हुई है। हालांकि इससे पहले कुछ मौकों पर राजे और मोदी आमने-सामने आए हैं लेकिन वे कार्यक्रम सार्वजनिक मौकों पर थे।

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प्रदेश में बीते 2 दशकों तक बीजेपी का एक छत्र चेहरा रही राजे को बीजेपी ने नई पीढ़ी से रिप्लेस कर दिया। उनकी जगह पहली बार के विधायक भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने साफ संदेश दिया कि राजस्थान में अब ‘राजे युग’ बीती बात हो गई। वसुंधरा राजे न लोकसभा चुनाव और न ही विधानसभा उपचुनावों में सक्रिय नजर आईं। रुतबा कम हुआ तो उनके बंगले 8 सिविल लाइंस पर परिक्रमा करने वाले नेताओं की संख्या भी धीरे-धीरे घटने लगी। हालांकि बीच-बीच में राजे कुछ मुखर जरूर हुई। सिक्किम के राज्यपाल बनने के बाद जब ओम माथुर का अभिनंदन समारोह हो रहा था तब राजे का एक बयान काफी चर्चाओं में आया। जिसमें उन्होंने कहा…कई लोगों को पीतल की लोंग क्या मिल जाती है वे खुद को सर्राफ समझ बैठते हैं।

हालांकि यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चाओं में जरूर रहा लेकिन इस पर कोई राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं आई। ऐसा माना जाने लगा कि राजे का सियासी करियर का अब पटाक्षेप हो चुका है और वे बीजेपी के अघोषित मार्गदर्शक मंडल की सदस्य हो चुकी हैं। लेकिन बीते दिनों जयपुर की ददिया में हुई सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर उनकी मौजूदगी और फिर मोदी के भाषण में वसुंधरा राजे के जिक्र ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया कि दिल्ली और राजे के बीच दूरियां घट गई हैं।



भैरोंसिंह शेखावत की राह पर राजे
वसुंधरा राजे से पहले राजस्थान की बीजेपी में भैरोंसिंह शेखावत की तूती बोलती थी। वे तीन बार राजस्थान के सीएम रहे। लेकिन वसुंधरा राजे के आने के बाद बीजेपी ने शेखावत को राजस्थान से दूर कर दिया और उन्हें देश का उपराष्ट्रपति बना दिया गया। अब भजनलाल राजस्थान के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे अब शेखावत की राह पर आगे बढ़ रही हैं। ददिया में मोदी के भाषण में वसुंधरा की तरीफ तो थी लेकिन साथ ही यह भी कहा कि राजे की धरोहर को भजनलाल की सरकार और समृद्ध करने में जुटी है। यानी राजस्थान की सक्रिय राजनीति में अब राजे एक सिंबोलिक चेहरा ही होंगी। उन्हें दिल्ली में ही एडजेस्ट किया जाएगा।  अगस्त 2027 में जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल पूरा भी हो जाएगा। वसुंधरा राजे इस पद के लिए योग्य दावेदार भी हैं।

पुत्र दुष्यंत का करियर भी 
वसुंधरा राजे को सिर्फ अपने सियासी करियर की ही चिंता नहीं है बल्कि अपने बेटे दुष्यंत के करियर को भी बचाना है। दुष्यंत झालावाड़-बारां सीट से चौथी बार के सांसद हैं। वे केंद्र में मंत्री पद के दावेदार भी थे। लेकिन राजे और दिल्ली के बीच तल्ख रिश्तों का असर उन पर भी पड़ा। अब जब दिल्ली और राजे के बीच दुरियां घटती दिख रही हैं तो दुष्यंत को भी केंद्र में कोई जगह मिलने की उम्मीद की जा सकती है।

 

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