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India Valve 2025 Jaipur: 6 महीने तक असरदार, साल में सिर्फ दो बार लगेगा कोलेस्ट्रॉल का इंजेक्शन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: सौरभ भट्ट Updated Sat, 13 Sep 2025 03:21 PM IST
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सार

India Valve 2025 Jaipur: राजस्थान के जयपुर में इंडिया वॉल्व 2025 कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने बताया कि अब बिना सर्जरी हार्ट वॉल्व बदला जा सकता है। टावी तकनीक से मरीज को न बेहोश किया जाता है, न चीरा लगता है, और एक दिन में डिस्चार्ज संभव है।

India Valve 2025 Jaipur: Non-Surgical Heart Valve Replacement Now Possible, Say Experts at India Valve 2025
इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस “इंडिया वॉल्व 2025” - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल के वॉल्व से जुड़ी बीमारियों की पहचान और समय पर इलाज न होने पर यह स्थायी नुकसान पहुंचा सकती हैं। एऑर्टिक स्टेनोसिस या माइट्रल रिगर्जिटेशन जैसी स्थितियों में लापरवाही से मरीजों में हार्ट फेल्योर तक का खतरा बन जाता है। ऐसे में मरीजों को बिना सर्जरी वॉल्व बदलने की तकनीक टावी (Transcatheter Aortic Valve Implantation - TAVI) अब राहत दे रही है। गुरुवार से जयपुर में शुरू हुई तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस “इंडिया वॉल्व 2025” में देश-विदेश के 1200 से अधिक विशेषज्ञ जुटे। इस सम्मेलन में डॉ. रविंद्र सिंह राव ने बताया कि अब बिना चीरफाड़ किए, सिर्फ पैर की नस के जरिए वॉल्व को बदला जा सकता है। मरीज को बेहोश भी नहीं किया जाता और एक दिन ICU में रखकर डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

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डॉ. राव ने कहा कि अगर एऑर्टिक स्टेनोसिस का समय पर इलाज नहीं किया गया तो पहले साल में ही 50% और दूसरे साल तक 80% मरीजों की मौत हो सकती है। लक्षणों में थकान, सांस फूलना और बेहोशी जैसे संकेत शामिल हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। 

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नई दवा से 6 महीने तक कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल:
दिल्ली के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि इंक्लीसिरान (Inclisiran) नामक नई दवा अब कोलेस्ट्रॉल तेजी से कम कर सकती है। यह इंजेक्शन साल में सिर्फ दो बार देना होता है और 50% तक कोलेस्ट्रॉल घटा सकता है। उन्होंने बताया- कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने से हार्ट डिजीज का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए अब तक समय लगता था। लेकिन अब इंक्लीसिरान दवा से कोलेस्ट्रॉल को तेजी से कम किया जा सकता है। इससे कुछ ही महीनों में 50 प्रतिशत तक कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है और इसे साल में सिर्फ दो ही बार लेने की आवशयकता होती है।

सम्मेलन के प्रमुख सत्रों में  ये विशेषज्ञ हुए शामिल:

  • डॉ. अयुष खुराना – नाविटर विजन पर अपनी रिसर्च रखी।

  • डॉ. सैबल कर – माइट्राक्लिप पर जानकारी दी।

  • डॉ. विजय अय्यर – रेसिलिया टेक्नोलॉजी के बारे में बताया। 

  • डॉ. निखिल जोशी, डॉ. साहिल खेड़ा – लेटेस्ट वॉल्व तकनीक में आए बदलावों पर जानकारी दी।

  • डॉ. मीहो फुकुई, डॉ. रूसा पारिख – इमेजिंग इन एऑर्टिक स्टेनोसिस के बारे में बताया।

  • डॉ. जॉन वेब (कनाडा) – टावी के लिए मरीज चयन पर रिसर्च पेश की।

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