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JLF: 'वो आएं तो सुकून...वो न आएं तो भी सुकून'; आलोचना, आध्यात्म और अनछुए पहलुओं पर जेएलएफ में बोले कैलाश खेर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Sun, 02 Feb 2025 08:28 AM IST
सार

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में मशहूर गायक कैलाश खेर ने आध्यात्मिकता पर बात करते हुए कहा कि भारत को ‘मंत्रों की भूमि’ बताया और कहा कि सुकून यंत्रों से नहीं, बल्कि मंत्रों से मिलता है। 

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Rajasthan JLF: Kailash Kher launched his first book at the Jaipur Literature Festival
कैलाश खेर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मशहूर गायक कैलाश खेर ने अपनी पहली लिखी किताब सबके सामने की। किताब का विमोचन संजॉय रॉय, वैशाली माथुर और कैलाश खेर ने किया। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सिंगर कैलाश खेर अपने जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं पर खुलकर बात की। इस दौरान अपनी लोकप्रियता और आलोचना पर पूछे गए सवाल का जवाब भी उन्होंने अपने निराले अंदाज में दिया। उन्होंने कहा कि  'वो आएं तो सुकून... वो न आएं तो भी सुकून.. अब दर्द में दर्द का अहसान नहीं होता।' अपनी इन पंक्तियों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अब आलोचनाओं से फर्क नहीं पड़ता। 

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उन्होंने कहा कि आलोचनाएं तो तब होती थीं जब कुछ नहीं था और आज भी होती होंगी। खासकर तब जब आप ऊंचाइयों पर हों तो लोग अनायास ही बोलते हैं। आज तो लोगों को अनायास लिखने का एक मंच (सोशल मीडिया)  भी मिल गया है। वहां वाहिआत बात ही होती हैं। कभी कोई गहरी बात लिखी ही नहीं जाती उस मंच पर। इन सबके लिए वक्त ही नहीं मिलता तभी कोई फर्क ही नहीं पड़ता आलोचनाओं का। इन सब बातों को कभी-कभी टीम के लोग ही बता देते हैं। मैं हैरान हूं कि निर्थक बातों में कितना लिप्त है सार्थक जीवन।

यंत्रों से सुकून नहीं मिलता मंत्रों से मिलता है
आध्यात्म पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में आध्यात्म का प्रभाव इतना है कि पूरी धरती को भारत के अलावा कहीं सुकून नहीं दिखता। पूरी धरती यंत्र बना रही है और हमारे यहां मंत्र बनते हैं। इन मंत्रों के उच्चारण से दिमाग को सुकून मिलता है। दुनिया भर के बड़े-बड़े लोगों ने बड़े-बड़े आविष्कार किए लेकिन एक समय आया जब दिमाग ने उनको बेचैन कर दिया तब वो भागकर यहीं आए। कैची धाम इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। उत्तराखंड का छोटा सा गांव वहां न जाने कितने ही बड़े-बड़े लोग सुकून की तलाश में आए। हम विफलताओं की उत्पत्ति हैं। लोग दुखों से हिम्मत हारते हैं, लेकिन मैंने दुखों के एक गाना लिखा। पिता जी की याद में मन में एक बार विचार आया कि 'बिना आपके जीन भी आसान ही, जहां विपदा न हो समझो वहां भगवान नहीं। आसान है तुमको बतलाना हे परमेश्वर पर तेरी दुनिया को बतलाना आसान नहीं'

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