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Rajasthan News : बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने का खर्च लगभग 40 करोड़, 16 किलोमीटर बनाने में लगे थे 167 करोड़
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Fri, 10 Jan 2025 10:59 AM IST
सार
सुविधा से ज्यादा परेशानी बन चुके BRTs कॉरिडोर को बनाने में 167 करोड़ रुपए खर्च किए गए अब इसे हटाने में लगभग 40 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। मौजूदा सरकार के सत्ता संभालते ही जेडीए ने इसे लेकर एक रिपोर्ट सीएमओ को भेज दी थी।
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राजस्थान
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बीआरटीएस कॉरिडोर (BRTs) को खत्म करने के लिए लगभग 40 करोड़ रुपए खर्च होंगे। जवाहरलाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत सीकर रोड व न्यू सांगानेर रोड पर बने इस 16 किमी कॉरिडोर के निर्माण पर करीब 170 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। जानकारी के अनुसार दिल्ली में भी BRTs कॉरिडोर को हटाने के लिए 10 करोड़ रुपए की लागत आई थी।
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साल 2006-07 में इस कॉरिडोर का निर्माण हुआ था लेकिन आज तक यह अपने उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पाया। स्थानीय लोग भी इसे हटाने की मांग कर रहे हैं। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट ने यहां एक सैंपल सर्वे करवाया था। इसमें कॉरिडार वन के लिए लगभग 70 प्रतिशत तथा कॉरिडोर टू के लिए 73 प्रतिशत लोगों ने हटाने की मांग की थी।
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बिना कॉरिडोर के ट्रैफिक बेहतर
जेडीए की रिपोर्ट के मुताबिक यदि बीआरटीएस कॉरिडोर फुल ऑपरेशनल रहता है तो ट्रैफिक वोल्यूम 2601 पैसेंजर कार प्रति घंटा का रहता है और कुल क्षमता 5100 पैसेंजर कार प्रति घंटा की रहती है। यानी वॉल्यूम ऑफ ट्रैफिक का रेशो 0.51 % रहता है। जबकि BRTs पूरी तरह हटाया जाए तो वॉल्यूम ऑफ ट्रैफिक का रेशो में सुधार होकर यह 0.42 % हो जाता है।
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती सरकार में तत्कालीन परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कॉरिडोर को मौत का कुआं बताया था क्योंकि कॉरिडोर में 11 एक्सीडेंटल प्वाइंट्स चिन्हित किए गए थे। खाचरियावास ने इसे हटाने का प्रस्ताव दिया था लेकिन तब के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने इसे यह कहकर मना कर दिया कि यह प्रोजेक्ट जेएनएनयूआरएम के तहत बनाया गया है, जिसमें सेंट्रल से फंड मिला है ऐसे में इसे हटाने में काफी पेंच आएगा।
प्लान 46.8 किमी का, बना 16 किमी
कॉरिडोर का प्लान 46.8 किमी का था। इसमें से 39 किमी सेंक्शन हो गया था और काम 16 किमी का हुआ। कॉरिडोर अधूरा ही बना और जेसीटीएसएल ने इसमें संचालन के लिए पर्याप्त बसें ही नहीं चलाईं। लिहाजा कॉरिडोर का 25 प्रतिशत हिस्से पर सिर्फ 1 प्रतिशत ट्रैफिक ही चल पाया, इससे बाकी बची लेन पर ट्रैफिक लोड बढ़ गया।