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Rajasthan Bypoll: विधानसभा में भजनलाल सरकार के लिए 7 सीटों की चुनौती, लोकसभा में 11 का नुकसान; जानें समीकरण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: शबाहत हुसैन Updated Sun, 15 Sep 2024 11:30 AM IST
सार

Rajasthan Bypoll 202: राजस्थान में एक तरफ भजनलाल सरकार निवेश समिट ‘राइजिंग राजस्थान’ की तैयारियों में जुटी है तो दूसरी तरफ इसी अवधि में यहां उपचुनाव भी होने हैं। चुनौती इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि जो 7 सीटें उपचुनाव के लिए खाली हुई हैं, उनमें सलूंबर को छोड़कर बीजेपी की स्थति अच्छी नहीं है। लोकसभा चुनावों में पहले ही यहां बीजेपी को 11 सीटों का बड़ा झटका लग चुका है। 

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Rajasthan Vidhan Sabha Bypolls 2024 Bhajan Lal Sharma Government Seven Key Seats Political Equation
राजस्थान उपचुनाव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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प्रदेश की भजनलाल सरकार इन दिनों निवेश समिट राइजिंग राजस्थान को लेकर व्यस्त है। यह निवेश समिट दिसंबर में होनी है। लेकिन इसी बीच प्रदेश में उपचुनाव भी होने हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कह चुके हैं कि समिट को लेकर अगले दो महीनों तक कई जगह रोड शो आयोजित किए जाएंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है समिट और उपचुनावों में से सरकार किसे प्राथमिकता देगी।

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उपचुनाव में बीजेपी को जीतने के लिए कांग्रेस के किलों में सेंध लगानी होगी। जिन 7 सीटों पर उपचुनाव है उनमें से 6 सीटों पर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों की पकड़ बेहद मजबूत है। सिर्फ सलूंबर सीट बीजेपी के पास थी। लेकिन वहां भी क्षेत्रीय पार्टी बीएपी का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। दूसरी तरफ यहां सरकार, संगठन और अफसरशाही तीनों मोर्चों पर तालमेल की जबरदस्त कमी नजर आ रही है।
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सरकार की स्थिति
पूरा मानसून सीजन आपदा में गुजर गया लेकिन आपदा राहत मंत्री किरोड़ी लाल मीणा सरकार में हैं या नहीं यही स्पष्ट नहीं हो पाया। किरोड़ी बयान दे रहे हैं कि उनकी स्थिति शिखंडी की तरह हो गई है।

संगठन की हालत
प्रदेश के नए प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने आते ही विवादित बयान दिए। इसके बाद प्रदेश भर में उनका विरोध शुरू हो गया। नए प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने सब कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही जिलों को खत्म करने का बयान दे डाला। विवाद हुआ तो बयान से पलट गए। जापान से लौटने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के स्वागत समारोह में पार्टी दफ्तर की कुर्सियां तक खाली पड़ी रहीं। तैयारी हजारों की भीड़ जैसी की गई और स्थिति यह रही कि 400 लोग भी नहीं जुट पाए। 

ब्यूरोक्रेसी बेकाबू 
राजस्थान में अफसरशाही के रवैये को लेकर बीजेपी के लोग ज्यादा नाराज नजर आ रहे हैं। विधानसभा सत्र के दौरान आधे-अधूरे जवाब और कमजोर तैयारी ने यह साबित कर दिया कि ब्यूरोक्रेसी पर मंत्रियों की कोई पकड़ नहीं। विपक्ष लगातार हमले करता रहा और सरकार की तरफ से कोई भी प्रभावी काउंटर नहीं हो पाया।

ये है सात  विधानसभा सीट, जहां होंगे उपचुनाव
1- देवली उनियारा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं। यहां पिछले दो विधानसभा चुनावों में  बीजेपी हार चुकी है। 

2- दौसा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा अब सांसद बन चुके हैं।  पिछले 2 विधानसभा चुनाव भी यहां से मुरारी लाल ही जीते हैं।

3- झुंझुनूं विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला अब सांसद बन चुके हैं। यह कांग्रेस का मजबूज किला है। बीजेपी पिछले 4 विधानसभा चुनाव यहां से हारी है- इस बार झुंझुनू लोकसभा सीट भी हार गई। 

4-चौरासी विधानसभा सीट, BAP विधायक राजकुमार रोत अब सांसद बन चुके हैं। चौरासी सीट सहित उदयपुर के पूरे आदिवासी बेल्ट पर भारत आदिवासी पार्टी का प्रभाव जिस तेजी से बढ़ रहा उसने तो कांग्रेस को भी चिंता में डाल दिया है। चौरासी में बीते 2 विधानसभा चुनाव राजकुमार रोत बड़े अंतर से जीत रहे हैं।

5-खींवसर विधानसभा सीट, RLP  विधायक हनुमान बेनीवाल अब सांसद बन चुके हैं। पिछले 3 विधानसभा चुनावों से यह सीट हनुमान बेनीवाल के पास है। हालांकि 2008 में हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी के टिकट पर यहां चुनाव जीता था। लेकिन अब उन्होंने अपना अलग दल बना लिया है।

6-रामगढ़ विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन हो चुका है। अलवर की रामगढ़ सीट पर दूसरी बार होगा उपचुनाव- रामगढ़ सीट पर पिछले चुनावों में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही वहीं 2018 के विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस जीती थी।    

7-सलूंबर विधानसभा सीट, बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो चुका है। इन सात सीटों में से यही एक सीट है जिसे बीजेपी की मजबूत सीट कहा जा सकता है। लेकिन अब यहां भारत आदिवासी पार्टी बीजेपी के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है।

पूरा मानसून सीजन आपदा में गुजर गया लेकिन आपदा राहत मंत्री सरकार में हैं या नहीं यही स्पष्ट नहीं हो पाया। विधानसभा सत्र के दौरान आधे-अधूरे जवाब और कमजोर तैयारी ने यह साबित कर दिया कि ब्यूरोक्रेसी पर मंत्रियों की कोई पकड़ नहीं। विपक्ष लगातार हमले करता रहा और सरकार की तरफ से कोई भी प्रभावी काउंटर नहीं हो पाया। संगठन से तालमेल की स्थित यह है कि जापान से लौटने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के स्वागत समारोह में पार्टी दफ्तर की कुर्सियां तक खाली पड़ी रहीं। तैयारी हजारों की भीड़ जैसी की गई और स्थिति यह रही कि 400 लोग भी नहीं जुट पाए।

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