{"_id":"68ae65782d37597ffd0fa8c2","slug":"ranthambore-tiger-reserve-big-cats-in-ranthambore-have-retreated-to-hills-and-rocky-shelters-due-to-rainfall-2025-08-27","type":"story","status":"publish","title_hn":"Ranthambore Tiger Reserve: भारी बरसात से रणथंभौर में बाघों ने ठिकाना बदला, सफारी जोन में सन्नाटा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Ranthambore Tiger Reserve: भारी बरसात से रणथंभौर में बाघों ने ठिकाना बदला, सफारी जोन में सन्नाटा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सवाई माधोपुर
Published by: सौरभ भट्ट
Updated Wed, 27 Aug 2025 08:26 AM IST
सार
Ranthambore Tiger Reserve: सवाई माधोपुर में भारी बारिश ने इंसानी बस्तियों के साथ-साथ रणथंभौर टाइगर रिजर्व को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। तीन दिन की मूसलधार बारिश से रिजर्व के तालाब-नाले भर गए, जिससे बाघ पहाड़ी इलाकों की ओर चले गए हैं।
विज्ञापन
Ranthambore Tiger Reserve
- फोटो : amar ujala
विज्ञापन
विस्तार
Ranthambore Tiger Reserve: भारी बारिश ने सवाई माधोपुर में इंसानी बस्तियां ही नहीं जंगल में बाघों को भी अपना ठिकाना बदलने पर मजबूर कर दिया है। पिछले तीन दिन की मूसलधार बारिश से रिजर्व में तालाब-नाले लबालब हो गए। जिसके चलते अब बाघ आस-पास की पहाड़ियों की ओर चले गए हैं। वहीं बाघ देखने की आस में रणथम्भौर सफारी पर आए पर्यटक अब निराश लौट रहे हैं। गौरतलब है कि 21 अगस्त से शुरू हुई लगातार बारिश ने सवाई माधोपुर जिले में भारी बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए। बाढ का पानी न सिर्फ शहर और गांवों में घुसा बल्की यहां टाइगर रिजर्व पर भी इसका बड़ा असर देाने को मिला है। बारिश ने ना सिर्फ रणथंभौर के सफारी ट्रेक को जगह जगह से छतिग्रस्त कर दिया ,बल्कि कई जगहों पर ट्रेक पूरी तरह से कट गया और जगह जगह पानी भर गया ।
ये भी पढें- Landslide: जम्मू में लैंडस्लाइड, पानी में बहे राजस्थान के पांच युवक, दो ने ऐसे बचाई जान; तीन की तलाश जारी
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बारिश ने रिजर्व के शिकार-शिकारी के समीकरण को बदल दिया है। उन्होंने कहा, “बरसात में पहाड़ियों की घास हरी-भरी और रसीली हो जाती है, जो हिरणों को आकर्षित करती है। स्वाभाविक रूप से बाघ भी उनके पीछे-पीछे चले आते हैं। इस मौसम में अधिकांश बाघ पहाड़ी इलाकों को ही पसंद करते हैं। यह बाघों के प्रजनन का भी प्रमुख समय होता है।”
अधिकारी ने यह भी बताया कि रिजर्व में महज दो से तीन दिनों में ही महीने भर की बराबर बारिश हो गई। “जमीन को पानी सोखने का पर्याप्त समय नहीं मिला, जिससे तालाब और नाले लबालब होकर बह निकले हैं।
रणथंभौर में वर्तमान में तकरीबन 72 बाघ- बाघिन है। वही 400 से अधिक पैंथर ओर 150 से अधिक भालू हैं। हालांकि मानसून सत्र के चलते रणथंभौर में जॉन एक से पांच में पर्यटन गतिविधिया पूरी तरह से बंद है। वहीं बाहरी जोन 6 से 10 में भी बारिश के दौरान रास्ते खराब होने से सफारी बंद करनी पड़ी है। जंगल मे बारिश होने से जलभराव ओर कीचड़ की वजह से बाघों की ट्रेकिंग करना भी मुश्किल हो गया है ,बाघों के पगमार्ग बनते ही बिगड़ जाते है ऐसे में वनकर्मियों को ट्रेकिंग में भी समस्या हो रही है । शिकार की तलाश में तेंदुए और भालू जैसे अन्य जानवर भी ऊंचे इलाकों की ओर रुख कर चुके हैं।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बारिश ने रिजर्व के शिकार-शिकारी के समीकरण को बदल दिया है।
Trending Videos
ये भी पढें- Landslide: जम्मू में लैंडस्लाइड, पानी में बहे राजस्थान के पांच युवक, दो ने ऐसे बचाई जान; तीन की तलाश जारी
विज्ञापन
विज्ञापन
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बारिश ने रिजर्व के शिकार-शिकारी के समीकरण को बदल दिया है। उन्होंने कहा, “बरसात में पहाड़ियों की घास हरी-भरी और रसीली हो जाती है, जो हिरणों को आकर्षित करती है। स्वाभाविक रूप से बाघ भी उनके पीछे-पीछे चले आते हैं। इस मौसम में अधिकांश बाघ पहाड़ी इलाकों को ही पसंद करते हैं। यह बाघों के प्रजनन का भी प्रमुख समय होता है।”
अधिकारी ने यह भी बताया कि रिजर्व में महज दो से तीन दिनों में ही महीने भर की बराबर बारिश हो गई। “जमीन को पानी सोखने का पर्याप्त समय नहीं मिला, जिससे तालाब और नाले लबालब होकर बह निकले हैं।
रणथंभौर में वर्तमान में तकरीबन 72 बाघ- बाघिन है। वही 400 से अधिक पैंथर ओर 150 से अधिक भालू हैं। हालांकि मानसून सत्र के चलते रणथंभौर में जॉन एक से पांच में पर्यटन गतिविधिया पूरी तरह से बंद है। वहीं बाहरी जोन 6 से 10 में भी बारिश के दौरान रास्ते खराब होने से सफारी बंद करनी पड़ी है। जंगल मे बारिश होने से जलभराव ओर कीचड़ की वजह से बाघों की ट्रेकिंग करना भी मुश्किल हो गया है ,बाघों के पगमार्ग बनते ही बिगड़ जाते है ऐसे में वनकर्मियों को ट्रेकिंग में भी समस्या हो रही है । शिकार की तलाश में तेंदुए और भालू जैसे अन्य जानवर भी ऊंचे इलाकों की ओर रुख कर चुके हैं।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बारिश ने रिजर्व के शिकार-शिकारी के समीकरण को बदल दिया है।