{"_id":"69152c1a29bfc0e497020178","slug":"big-news-related-to-anandpal-encounter-jodhpur-news-c-1-1-noi1400-3623573-2025-11-13","type":"story","status":"publish","title_hn":"Rajasthan News: आनंदपाल एनकाउंटर केस में जोधपुर कोर्ट ने पुलिस को दी राहत, हत्या के आरोप हुए रद्द","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Rajasthan News: आनंदपाल एनकाउंटर केस में जोधपुर कोर्ट ने पुलिस को दी राहत, हत्या के आरोप हुए रद्द
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोधपुर
Published by: जोधपुर ब्यूरो
Updated Thu, 13 Nov 2025 08:05 AM IST
सार
जोधपुर जिला एवं सत्र न्यायालय ने बहुचर्चित गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस में एसीजेएम (सीबीआई प्रकरण) के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें सात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने का निर्देश दिया गया था।
विज्ञापन
(प्रतीकात्मक फोटो)
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
बहुचर्चित गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस में जोधपुर जिला एवं सत्र न्यायालय से पुलिस अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय शर्मा ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाते हुए एसीजेएम (सीबीआई प्रकरण) जोधपुर महानगर के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें एनकाउंटर में शामिल सात पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाने के निर्देश दिए गए थे।
इस फैसले से तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहठ, सीओ कुचामन सिटी विद्या प्रकाश, और एसओजी इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह राठौड़ सहित सभी सात पुलिस अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है। यह फैसला उन पुलिस अधिकारियों की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर आया है, जिसमें उन्होंने 24 जुलाई 2024 को एसीजेएम (सीबीआई प्रकरण) के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए अदालत ने धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 सहपठित 149 आईपीसी के तहत पुलिस अधिकारियों के खिलाफ संज्ञान लिया था।
मामला क्या था
यह पूरा मामला 25 जून 2017 को चुरू जिले के मालासर गांव में हुई मुठभेड़ से जुड़ा है, जिसमें गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तारी के दौरान आनंदपाल ने अपनी एके-47 राइफल से पुलिस पर फायरिंग की थी, जिसके जवाब में पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की।
ये भी पढ़ें- कृषि विभाग के उपनिदेशक दस हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार, एसीबी ने की कार्रवाई
राजस्थान सरकार ने इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने जांच के बाद मुठभेड़ को वास्तविक मानते हुए क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। हालांकि, आनंदपाल की पत्नी राज कंवर ने इस रिपोर्ट का विरोध करते हुए प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि आनंदपाल ने आत्मसमर्पण किया था, लेकिन पुलिस ने बाद में उसे गोली मार दी। एसीजेएम (सीबीआई प्रकरण) ने यह प्रोटेस्ट पिटीशन स्वीकार करते हुए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने कहा- आत्मरक्षा अपराध नहीं
पुलिस अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत जैन, राहुल चौधरी और उमेशकांत व्यास ने पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि सीबीआई की जांच वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित थी। फॉरेंसिक रिपोर्ट में पाया गया कि 32 गोलियां आनंदपाल की एके-47 से चलीं, और कमांडो सोहन सिंह की पीठ में लगी गोली भी उसी राइफल से चली थी।
डीजे जोधपुर महानगर कोर्ट ने माना कि वैज्ञानिक साक्ष्य यह साबित करते हैं कि मुठभेड़ के दौरान दोनों ओर से फायरिंग हुई थी, और यह स्पष्ट है कि पुलिसकर्मियों ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की थी। कोर्ट ने गवाह रूपेंद्र पाल की गवाही को अविश्वसनीय बताया और कहा कि एसीजेएम का आदेश कानूनी रूप से अस्थिर और तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण था। अंततः सत्र न्यायालय ने एसीजेएम का आदेश निरस्त करते हुए पुलिस अधिकारियों को राहत प्रदान की।
Trending Videos
इस फैसले से तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहठ, सीओ कुचामन सिटी विद्या प्रकाश, और एसओजी इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह राठौड़ सहित सभी सात पुलिस अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है। यह फैसला उन पुलिस अधिकारियों की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर आया है, जिसमें उन्होंने 24 जुलाई 2024 को एसीजेएम (सीबीआई प्रकरण) के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए अदालत ने धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 सहपठित 149 आईपीसी के तहत पुलिस अधिकारियों के खिलाफ संज्ञान लिया था।
विज्ञापन
विज्ञापन
मामला क्या था
यह पूरा मामला 25 जून 2017 को चुरू जिले के मालासर गांव में हुई मुठभेड़ से जुड़ा है, जिसमें गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तारी के दौरान आनंदपाल ने अपनी एके-47 राइफल से पुलिस पर फायरिंग की थी, जिसके जवाब में पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की।
ये भी पढ़ें- कृषि विभाग के उपनिदेशक दस हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार, एसीबी ने की कार्रवाई
राजस्थान सरकार ने इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने जांच के बाद मुठभेड़ को वास्तविक मानते हुए क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। हालांकि, आनंदपाल की पत्नी राज कंवर ने इस रिपोर्ट का विरोध करते हुए प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि आनंदपाल ने आत्मसमर्पण किया था, लेकिन पुलिस ने बाद में उसे गोली मार दी। एसीजेएम (सीबीआई प्रकरण) ने यह प्रोटेस्ट पिटीशन स्वीकार करते हुए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने कहा- आत्मरक्षा अपराध नहीं
पुलिस अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत जैन, राहुल चौधरी और उमेशकांत व्यास ने पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि सीबीआई की जांच वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित थी। फॉरेंसिक रिपोर्ट में पाया गया कि 32 गोलियां आनंदपाल की एके-47 से चलीं, और कमांडो सोहन सिंह की पीठ में लगी गोली भी उसी राइफल से चली थी।
डीजे जोधपुर महानगर कोर्ट ने माना कि वैज्ञानिक साक्ष्य यह साबित करते हैं कि मुठभेड़ के दौरान दोनों ओर से फायरिंग हुई थी, और यह स्पष्ट है कि पुलिसकर्मियों ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की थी। कोर्ट ने गवाह रूपेंद्र पाल की गवाही को अविश्वसनीय बताया और कहा कि एसीजेएम का आदेश कानूनी रूप से अस्थिर और तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण था। अंततः सत्र न्यायालय ने एसीजेएम का आदेश निरस्त करते हुए पुलिस अधिकारियों को राहत प्रदान की।