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Jodhpur: हाईकोर्ट की सरकार को फटकार- हाईवे से हटाएं शराब ठेके, राजस्व के लिए सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोधपुर Published by: जोधपुर ब्यूरो Updated Wed, 26 Nov 2025 11:11 PM IST
सार

हाईवे पर स्थित शराब दुकानों पर सख्त निर्णय लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि राजस्व के लिए हाईवे को शराब फ्रेंडली कॉरिडोर बनाना न्यायसंगत नहीं है।

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Jodhpur News: Rajasthan HC Slams Govt, Orders Removal of Liquor Shops from Highways, Says Safety First
राजस्थान हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान हाईकोर्ट ने नेशनल तथा स्टेट हाईवे पर संचालित शराब ठेकों को लेकर कठोर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि हाईवे की मध्य रेखा से 500 मीटर की परिधि में स्थित सभी शराब दुकानों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी एवं न्यायमूर्ति संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने आदेश दिया कि सरकार इन 1102 दुकानों को अधिकतम दो माह की अवधि में हटाकर अनुपालना रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
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मामले में राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष यह तर्क रखा था कि उक्त दुकानें नगर एवं नगर पालिका सीमा में स्थित हैं, जिससे राज्य को लगभग 2221.78 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित होता है। खंडपीठ ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि म्युनिसिपल एरिया के वर्गीकरण का दुरुपयोग कर हाईवे को शराब-फ्रेंडली कॉरिडोर बनाना न्यायसंगत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के के. बालू प्रकरण के आदेशों की अवहेलना किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी।
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अदालत ने हाल में हरमाड़ा (जयपुर) एवं फलौदी में हुए घातक सड़क हादसों का जिक्र करते हुए कहा कि महज दो दिनों में 28 लोगों की मृत्यु होना गंभीर चिंता का विषय है। ड्रंक एंड ड्राइव तथा ओवर स्पीडिंग को इन दुर्घटनाओं की प्रमुख वजह बताते हुए अदालत ने टिप्पणी की कि वर्ष 2025 में मद्यपान कर वाहन चलाने के मामलों में लगभग 8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है।

खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि हाईवे से दृष्टिगोचर होने वाले शराब के सभी विज्ञापन, होर्डिंग तथा साइन बोर्ड पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगे।

अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार सर्वोपरि है तथा राजस्व अर्जित करने की मंशा से जनसुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।

मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एम.एम. ढेरा ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद आबकारी विभाग ने नियमों को मोड़कर ठेकों का आवंटन किया, जिससे दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है। इस संबंध में अनुपालना शपथ पत्र 26 जनवरी तक प्रस्तुत किया जाएगा।

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