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Nagaur News: डीडवाना में जबरन धर्मांतरण का बड़ा खुलासा, 2017 से चल रहा था लालच और झांसे का नेटवर्क

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नागौर Published by: नागौर ब्यूरो Updated Thu, 18 Dec 2025 11:34 PM IST
सार

आर्थिक लालच, बीमारी के इलाज का झांसा और सामाजिक मजबूरियों का फायदा उठाकर गरीब व दलित समुदाय के लोगों को कथित तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किए जाने का मामला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि यह नेटवर्क साल 2017 से सक्रिय था और अब तक 100 से अधिक लोग इसके शिकार बन चुके हैं।

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Nagaur News: डीडवाना में जबरन धर्मांतरण का बड़ा खुलासा, 2017 से चल रहा था लालच और झांसे का नेटवर्क
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
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विस्तार
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जिले के डीडवाना शहर में जबरन धर्मांतरण का एक गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आर्थिक लालच, बीमारी के इलाज का झांसा और पारिवारिक मजबूरियों का फायदा उठाकर गरीब और दलित समुदाय के लोगों को कथित तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा था। पुलिस जांच में सामने आया है कि यह कोई हालिया घटना नहीं, बल्कि वर्ष 2017 से संचालित एक सुनियोजित नेटवर्क है, जिसमें अब तक 100 से अधिक लोग फंस चुके हैं।

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पुलिस ने मामले में मुख्य आरोपी लालचंद डेविड को हिरासत में लेकर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 तथा राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2025 की धारा 3/5 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
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मामले की शुरुआत साल्ट रोड क्षेत्र से हुई, जहां दलित समुदाय के एक व्यक्ति ने डीडवाना थाने में शिकायत दर्ज कराई। पीड़ित ने बताया कि वह रीढ़ की हड्डी में गंभीर दर्द से पीड़ित था। इलाज की आस में वह आरोपी लालचंद के संपर्क में आया, जिसने उसे प्रार्थना सभाओं में बुलाया।

शिकायत के अनुसार इन सभाओं में बाहरी पास्टर हिंदू देवी-देवताओं और महापुरुषों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करते थे। पीड़ित को यह कहकर प्रलोभन दिया गया कि ईसाई धर्म अपनाने से बीमारी और दुख समाप्त हो जाएंगे। कथित तौर पर पवित्र जल से शुद्धिकरण कराया गया और घर से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हटाने का दबाव बनाया गया। जब पीड़ित को षड्यंत्र का अहसास हुआ, तो उसने पुलिस का सहारा लिया।

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पुलिस जांच में सामने आया कि लालचंद वर्ष 2017 में पहली बार डीडवाना आया था और आदर्श नगर में किराए के मकान में रहने लगा। शुरुआत में उसने मकान मालिक के परिवार को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया। इसके बाद वाल्मीकि समाज और कुछ अन्य कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जाने लगा।

बाद में आरोपी ने साल्ट रोड क्षेत्र में अपना मकान बनवाया, जहां नियमित रूप से प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती थीं। अब तक डीडवाना क्षेत्र में ही 25–30 लोगों के धर्मांतरण की बात सामने आई है, जबकि नेटवर्क सीकर, झुंझुनू, चूरू और जयपुर तक फैला हुआ था। पुलिस को विदेशी फंडिंग से जुड़े कुछ दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।

मुख्य आरोपी लालचंद डेविड मूल रूप से वाल्मीकि समाज से है और नवलगढ़ थाना क्षेत्र का निवासी बताया गया है। जांच में यह भी सामने आया कि लालचंद स्वयं वर्ष 2004-05 में जयपुर में पढ़ाई के दौरान कथित तौर पर इस नेटवर्क के प्रभाव में आया था। उसकी मां की बीमारी के इलाज के नाम पर उसे धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया गया, जिसके बाद वह स्वयं पास्टर बन गया।

जांच में लालचंद के जीजा-साले की भूमिका भी सामने आई है, जो पहले से कन्वर्टेड थे और नेटवर्क को आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहे थे।

पुलिस के अनुसार आरोपियों द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए आर्थिक मदद, नौकरी और शादी का लालच, बीमारियों के इलाज के नाम पर तथाकथित चंगाई, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बातें, शुद्धिकरण की रस्में और घरों से मूर्तियां हटवाने जैसे तरीके अपनाए जाते थे। इन तरीकों से सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को मानसिक और सामाजिक दबाव में लिया जाता था।

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मामले में लालचंद को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। पुलिस अन्य जिलों में फैले नेटवर्क, विदेशी फंडिंग के स्रोत और इसमें शामिल अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करने वाला है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित परिवारों को काउंसलिंग और कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। फिलहाल यह मामला राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी नए कानून के तहत एक अहम परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। मामले में जांच जारी है।

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