Rajasthan Weather: नागौर में कड़ाके की सर्दी का प्रकोप, न्यूनतम तापमान 5.3 डिग्री; शीतलहर का रेड अलर्ट जारी
Nagaur Weather Update: नागौर में न्यूनतम तापमान 5.3 डिग्री तक पहुंचने से ठंड का पहला प्रकोप दिखने लगा है। शीतलहर के अलर्ट के बीच जनजीवन प्रभावित हो रहा है। स्वास्थ्य जोखिम, फसलों पर असर और स्कूल समय बदलने की मांग जैसी चुनौतियां सामने आ रही हैं।
विस्तार
पश्चिमी राजस्थान के मैदानी इलाकों में मौसम ने अचानक करवट ले ली है। नागौर में रविवार को न्यूनतम तापमान 5.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस क्षेत्र में सबसे कम रहा। यह सामान्य से 7 से 10 डिग्री नीचे है, जिसके कारण रातें बेहद ठिठुरन भरी हो चुकी हैं। सुबह-शाम धुंध छाने से दृश्यता प्रभावित हो रही है और वाहन चालकों को धीमी रफ्तार में चलना पड़ रहा है।
उत्तर-पश्चिमी हवाओं और पहाड़ी बर्फबारी का असर, शीतलहर का यलो अलर्ट
मौसम विभाग के अनुसार, हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और उत्तर-पश्चिमी हवाओं की गति के कारण तापमान तेजी से गिर रहा है। न्यूनतम तापमान पिछले कुछ दिनों से लगातार सिंगल डिजिट में बना हुआ है। विभाग ने आगामी दो दिनों के लिए शीतलहर का यलो अलर्ट जारी किया है। दिन का तापमान फिलहाल 29 डिग्री के आसपास है, लेकिन रात होते ही ठंड तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने आने वाले दिनों में दिन के तापमान में भी गिरावट की संभावना जताई है।
ठंड से आम जनजीवन प्रभावित, अलाव का सहारा और गर्म कपड़ों की मांग बढ़ी
कड़ाके की सर्दी का असर दैनिक जीवन पर स्पष्ट दिख रहा है। सुबह स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे कांपते नजर आ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग अलाव तापकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं। मजदूर वर्ग को सुबह जल्दी काम पर निकलना मुश्किल हो रहा है। बाजारों में गर्म कपड़ों, शॉल, कंबल और हीटर की मांग बढ़ गई है, जिसके चलते बिक्री में तेजी आई है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी, बुजुर्ग और बच्चे रहें सतर्क
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी ठंड में सांस संबंधी बीमारियां, जोड़ों का दर्द और हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। अस्पतालों में सर्दी से प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। बुजुर्गों और बच्चों को विशेष सावधानी बरतने और शरीर को गर्म बनाए रखने की सलाह दी जा रही है। प्रशासन से स्कूल समय परिवर्तन की मांग भी उठने लगी है।
किसान भी चिंतित, फसलों पर पड़ेगा प्रभाव
तेजी से गिरते तापमान और ओस जमने से फसलें प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। सब्जियों पर ठंड का असर पड़ सकता है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि दिसंबर में ठंड और कड़ी हो सकती है तथा पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश भी बढ़ सकती है।
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