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Rajasthan: भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण की सिल्वर जुबली आज, एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में हुआ था परीक्षण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जैसलमेर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Thu, 11 May 2023 10:34 AM IST
सार
जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में हुए परमाणु परीक्षण को आज पूरे 25 साल हो गए हैं। इससे पहले इंदिरा गांधी की सरकार में 1974 को पहला परमाणु परीक्षण किया गया था, जिसका कोड नेम "बुद्धा स्माइलिंग" दिया गया था।
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एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में हुआ था परीक्षण
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जैसलमेर जिले में पोकरण कस्बे के पास खेतोलाई गांव के समीप समय करीब दोपहर के दो से तीन बजे, आज से 25 साल पहले अचानक आर्मी आई और पूरे गांव में फैल गई। गांव के घरों में बैठे लोगों को बाहर आने का कहकर उन्हें पेड़ों के नीचे जाने को कहा। गांव के लोगों को समझ ही नहीं आया कि ऐसा क्या हो गया? न किसी को भनक भी थी कि क्या होने वाला हैं?
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कुछ देर बाद ही खेतोलाई से पांच किमी दूर फायरिंग रेंज में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में वैज्ञानिकों और सैन्य अफसरों की मौजूदगी में हुए एक बाद एक तीन धमाकों से पूरा इलाका गूंज उठा। ऐसा लगा कि मानों भूकंप आ गया है। कुछ सेकेंड तक इलाका थर्राता रहा। अचानक लोगों की नजरें आसमान की तरफ गई तो बादल का गुबार दिखा। करीब दो से तीन घंटे बाद पूरे पोकरण इलाके में यह पता चल गया कि इस धरती ने भारत को परमाणु ताकतों वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया है।
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आज भी लोगों के जहन में हैं खुशी और गर्व...
भारत के परमाणु शक्ति बनने की खुशी और गर्व का पल पोकरण क्षेत्र के लोगों के जेहन में आज 25 साल बाद भी वैसा ही है। 11 मई 1998 को पोकरण क्षेत्र में खेतोलाई गांव के पास स्थित फायरिंग रेंज में भारत ने ऑपरेशन शक्ति के तहत सफल परमाणु परीक्षण किया था। उसके बाद 13 मई को न्यूक्लियर टेस्ट किए गए। इन परीक्षणों का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई 1999 में 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे घोषित किया था।
पोकरण को चुनने की थी खास वजह...
परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों को सिर्फ डेढ़ साल का समय मिला था। गोपनीयता रखना सर्वोच्च प्राथमिकता थी। वैज्ञानिकों ने केवल रात के दौरान परीक्षण स्थलों पर काम किया, वो भी उस वक्त जब अमेरिका और अन्य देशों की सैटेलाइट की अनुपस्थिति के कारण स्पष्ट छवियों को कैप्चर करने में असमर्थ होते थे। जैसे-जैसे सुबह होती थी। सब कुछ वैसा ही रख दिया जाता था पोकरण को इसलिए चुना गया था। क्योंकि यहां से आबादी बहुत दूरी पर थी। पोकरण उस समय कस्बा था। फायरिंग रेंज में धोरों में बड़े कुएं नुमा गड्ढे खोदकर इन कुओं पर वापस रेत के पहाड़ नुमा धोरे बना दिए गए थे।
भारत ने मई 1974 में किया पहला परमाणु परीक्षण, कोड नेम दिया था 'बुद्धा स्माइलिंग'...
भारत ने पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन में किया था। इस परमाणु परीक्षण का कोडनेम था 'स्माइलिंग बुद्धा'। 11 मई, 1998 में एक विशाल गड़गड़ाहट की आवाज हुई और पूरा पोकरण इलाका चौंक गया था। विस्फोट की जगह पर एक बहुत बड़ा गड्ढा भी हो गया था।
कलाम ने प्रधानमंत्री को फोन कर कहा था बुद्धा स्माइलिंग अगेन...
साल 1998 के परमाणु परीक्षण का नेतृत्व कर रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अलट बिहारी वाजपेयी को फोन किया और कहा था कि 'बुद्धा स्माइलिंग अगेन'। उस वक्त वाजपेयी के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ एपीजे अब्दुल कलाम थे।