विवादित खनन परियोजना: 'अगर पता होता सरकार... तो हम इसे वोट नहीं देते', व्यथा सुनाते हुए रोते रहे सैकड़ों लोग
Controversial Mining Project: सिरोही जिले के वाटेरा गांव में प्रस्तावित खनन परियोजना के विरोध में ग्रामीणों ने आधी रात पुतला शव यात्रा निकाली। 800 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खनन को लेकर गांवों में आक्रोश है। ग्रामीणों ने सरकार को आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
विस्तार
सिरोही जिले के पिंडवाड़ा क्षेत्र के वाटेरा गांव में मंगलवार रात एक दर्दनाक और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। गांव की गलियां शोक और गुस्से से भरी हुई थीं। महिलाएं और बुजुर्ग रोते हुए विलाप कर रहे थे, वहीं युवा खनन कंपनी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पुतला लेकर शव यात्रा निकाल रहे थे। यह विरोध मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित खनन परियोजना के खिलाफ था, जो करीब 800.9935 हेक्टेयर भूमि पर की जानी है। ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना उनके जल, जंगल और जमीन तीनों को नष्ट कर देगी और उनके जीवन-यापन पर सीधा असर डालेगी।
दो महीने से जारी है विरोध की लहर
पिछले दो महीनों से चार ग्राम पंचायतों के एक दर्जन से अधिक गांवों में इस खनन परियोजना को लेकर जबरदस्त विरोध जारी है। हर गांव में रोजाना बैठकें, जनसभाएं और रणनीतिक चर्चाएं हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे अब केवल ज्ञापन या धरनों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि अगर सरकार ने समय रहते इस खनन परियोजना से जुड़ा एमओयू निरस्त नहीं किया, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे। अब ग्रामीणों में यह भावना स्पष्ट दिख रही है कि यह केवल पर्यावरण का नहीं बल्कि अस्तित्व और आजीविका की लड़ाई है।
‘अब रोने के अलावा कुछ नहीं बचा’
मंगलवार रात वाटेरा गांव का माहौल किसी शोकसभा जैसा था। कई महिलाएं फूट-फूट कर रो रही थीं और पुरुषों की आंखों में आंसू थे। एक बुजुर्ग महिला ने सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर पता होता कि सरकार हमारी जमीन और पानी छीन लेगी, तो हम इसे वोट नहीं देते। युवाओं ने कहा कि अब उनके घरों में चैन नहीं है, हर दिन डर लगता है कि कहीं हमारी जमीन सरकार को न दे दी जाए। हमारी पुकार सरकार के कानों तक नहीं पहुंच रही।
यह भी पढ़ें- Kota News: कार चलाते समय पूर्व सरपंच को आया हार्ट अटैक, डिवाइडर पर चढ़ी गाड़ी तो लगा नशे में है ड्राइवर, मौत
नेताओं और सरकार पर भड़का गुस्सा
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों का आक्रोश केवल कंपनी तक सीमित नहीं रहा। लोगों ने सत्ताधारी दल के नेताओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आबू-पिंडवाड़ा के विधायक समाराम गरासिया पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। ग्रामीणों का कहना था कि भाजपा के स्थानीय नेता मुख्यमंत्री से मुलाकात के नाम पर जनता को सिर्फ बेवकूफ बना रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान ‘जनता एकजुट है’ और ‘खनन परियोजना वापस लो’ जैसे नारों से गांव की गलियां गूंज उठीं।
‘जनविरोधी फैसले का परिणाम भुगतेगी सरकार’
वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा सहित दर्जनभर गांवों में अब आंदोलन ने संगठित रूप ले लिया है। ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द इस परियोजना को निरस्त नहीं किया, तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा। लोगों का कहना है कि उन्होंने शांतिपूर्वक धरने, ज्ञापन और मुलाकातों के माध्यम से अपनी बात रखी, लेकिन अब संघर्ष ही अंतिम रास्ता है। ग्रामीणों का कहना था कि सरकार चाहे जनता के आंसू देख ले या फिर चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहे।
यह भी पढ़ें- Balotra News: सरकारी स्कूल में शिक्षा की दुर्दशा, 100 से अधिक छात्र सिर्फ एक शिक्षिका के भरोसे
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.