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Supriya Sathe: गुरुग्राम की सुप्रिया सात्थे, जिन्होंने ऐक्रेलिक पेंटिंग से बनाई दुनिया भर में पहचान
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Mon, 01 Sep 2025 03:28 PM IST
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सार
Supriya Sathe: सुप्रिया सात्थे की कला सिर्फ कैनवस पर रंग भरने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, संवेदनशीलता और स्त्री शक्ति का प्रदर्शन है। उनकी पेंटिंग्स हमें सिखाती हैं कि कला केवल सुंदरता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र सोच की आवाज भी है। आइए जानते हैं सुप्रिया सात्थे के बारे में।

सुप्रिया सात्थे
- फोटो : instagram
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विस्तार
Artist Supriya Suthe: भारतीय महिला कलाकार सुप्रिया सात्थे ने ऐक्रेलिक पेंटिंग्स के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई है। उनके चित्रों में प्रकृति का शांत सौंदर्य और कल्पना की उड़ान एक साथ दिखाई देती है। गहरे रंग, बनावट और सजीव परिदृश्य उनके काम को विशिष्ट बनाते हैं। समुद्र, पर्वत और वन इन प्राकृतिक अनुभवों से उन्हें गहरी प्रेरणा मिलती है। सुप्रिया सात्थे की कला सिर्फ कैनवस पर रंग भरने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, संवेदनशीलता और स्त्री शक्ति का प्रदर्शन है। उनकी पेंटिंग्स हमें सिखाती हैं कि कला केवल सुंदरता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र सोच की आवाज भी है। आइए जानते हैं सुप्रिया सात्थे के बारे में।

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कौन हैं सुप्रिया सात्थे?
सुप्रिया सात्थे का जन्म 1985 में हुआ था। गुरुग्राम की रहने वाली सुप्रिया सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं से यह दिखाया है कि महिलाएं कला के जरिए भी समाज की सोच बदल सकती हैं। उनकी कला यह संदेश देती है कि संवेदनशीलता और कल्पना शक्ति किसी भी स्त्री की सबसे बड़ी ताकत हो सकती है।
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मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
सुप्रिया की कृतियां भारत, ब्रिटेन और अमेरिका की कई प्रतिष्ठित प्रदर्शनियों में प्रदर्शित हो चुकी हैं। ललित कला अकादमी, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, लंदन के नेहरू सेंटर और शिकागो के आर्टेरी फाइन आर्ट्स जैसे मंचों पर उनकी मौजूदगी उनके वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है।
ए ल्युनेटिक इन द वुड्स एक सोलो प्रदर्शनी
उनकी नवीनतम प्रदर्शनी “ए ल्युनेटिक इन द वुड्स” का आयोजन भारत अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की मेन आर्ट गैलरी, कमलादेवी कॉम्प्लेक्स में हुआ था। इस प्रदर्शनी में उनके 48 ऐक्रेलिक चित्र शामिल हैं। इन कृतियों में धरती के जंगल, चांदनी में नहाए वृक्ष, दूरस्थ ग्रह और कल्पनाओं से भरे आकाश एक साथ जीवंत हो उठते हैं। सुप्रिया कहती हैं, 'यह संग्रह वास्तव में देखने के बारे में है। उस अद्भुत शांति और सौंदर्य को देखने के बारे में, जो हमें रोज़मर्रा की दुनिया में ही मिल सकता है, बशर्ते हम रुककर सचमुच देखें।' यह विचार उनके महिला सशक्तिकरण दृष्टिकोण से भी जुड़ा है कि स्त्री को भी समाज में देखने, पहचानने और सराहने की जरूरत है।
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