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Mission Shakti: घर संभालने वाली सुशीला बनीं उद्यमी, गांव की महिलाओं के लिए बनीं मिसाल

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Sat, 13 Dec 2025 04:41 PM IST
सार

Mission Shakti: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के सहयोग से अब सुशीला की आय बढ़कर 15,000 रुपए हो गई। उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को भी रोजगार दिया। कुछ ही महीनों में सुशीला का आत्मविश्वास बढ़ता गया।

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Mission Shakti Mirzapur Woman Entrepreneur Sushila Devi Success Story in hindi
jewellery - फोटो : Adobe stock
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विस्तार
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मिर्जापुर जिले के पिपरवा गांव की 28 वर्षीय सुशीला देवी का जीवन कुछ साल पहले तक घरेलू जिम्मेदारियों और तंगी के बीच उलझा था। किसान परिवार में जन्मी सुशीला ने मुश्किलों के बावजूद इंटर तक पढ़ाई तो कर ली थी, लेकिन आगे बढ़ने का रास्ता नहीं दिखता था। पति की निजी नौकरी से मिलने वाली सीमित कमाई में घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई और बेहतर भविष्य, सब कुछ एक ही आय पर टिका था। लेकिन हालात तब बदले, जब सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चल रहे कार्यक्रमों की जानकारी सुशीला तक पहुंची। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स संस्था की टीम उनके गांव तक पहुंची और महिलाओं को बताया कि वे भी अपना व्यवसाय खड़ा कर सकती हैं। उनके भीतर क्षमता है। बस जरूरत है सही मार्गदर्शन की।

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धीरे-धीरे हाथों की बनाई ज्वेलरी आसपास के बाजार में पसंद की जाने लगी

एक सामूहिक बैठक में जब ज्वेलरी बनाने के प्रशिक्षण की बात चली, तो सुशीला ने झिझकते हुए शुरुआत की। परिवार की जिम्मेदारियों, कम संसाधनों और गांव में उनके भीतर कुछ नया सीखने की चाह हमेशा से थी। उन्होंने कस्टम ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण लिया। फिर स्वयं सहायता समूह से 15,000 का ऋण लेकर छोटा सा उद्यम शुरू किया। धीरे-धीरे उनके हाथों की बनाई ज्वेलरी आसपास के बाजार में पसंद की जाने लगी। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और संस्था की टीम ने उन्हें खरीदारों से जोड़कर मार्केट लिंकिंग की कमी भी दूर कर दी।
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घर का खर्च संभालने में पति की बराबर की सहभागी बनीं, बच्चों का अच्छे स्कूल में दाखिला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के सहयोग से अब सुशीला की आय बढ़कर 15,000 रुपए हो गई। उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को भी रोजगार दिया। कुछ ही महीनों में सुशीला का आत्मविश्वास बढ़ता गया। पहले जहां उनकी स्वयं की कोई आय नहीं थी, वहीं अब उनकी मासिक आमदनी 15,000 तक पहुंच चुकी है। आज गांव की अन्य महिलाएं उनके साथ काम कर रही हैं, जिससे उनके भी घरों का खर्च आसानी से चल रहा है। अपनी बढ़ती कमाई से ही सुशीला ने अपने बच्चों का अच्छे स्कूल में दाखिला करवाया। अब वे घर का खर्च संभालने में पति की बराबर की सहभागी बन गई हैं।

सही मार्गदर्शन मिले तो हम भी अपना भविष्य खुद गढ़ सकते हैं : सुशीला

सुशीला कहती हैं, “पहले लगता था कि गांव की महिलाएं बस घर तक सीमित रहती हैं, लेकिन आज समझ आया कि सही मार्गदर्शन मिले तो हम भी अपना भविष्य खुद गढ़ सकते हैं।” उनकी यह मुस्कान और हौसला गांव की कई और महिलाओं के सपनों को नया आकार दे रहा है।

छोटे छोटे गांवों से स्वाभिमान और सफलता की कहानी गढ़ रहीं महिलाएं : दीपा रंजन

ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक दीपा रंजन ने बताया कि सुशीला और अन्य महिलाओं की कहानी उस बदलाव की गवाही है, जो सीएम योगी की महिला-केंद्रित विकास नीतियों ने ग्रामीण जीवन में लाया है।सुशीला आज गांव की महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी हैं। ग्रामीण महिलाओं ने साबित कर दिया है कि एक छोटे से गांव से भी स्वाभिमान और सफलता की नई कहानी लिखी जा सकती है।

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