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जंगल क्वीन की कहानी: नजरून ने वन्यजीवों से प्यार को बनाया पेशा, अब तक 100 से अधिक सांपों का किया रेस्क्यू

मोहम्मद साजिद, संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी Published by: मुकेश कुमार Updated Mon, 15 Dec 2025 03:45 PM IST
सार

लखीमपुर खीरी में नजरून निशा को वन्यजीवों से इस कदर लगाव है कि उन्होंने इसे अपना पेशा बना लिया। नजरून कहती हैं कि जहरीले सांप हों या मगरमच्छ... उनके लिए सब अपने हैं। वह अब तक सौ से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं। पलिया क्षेत्र में नजरून रेस्क्यू गर्ल और जंगल क्वीन के नाम से मशहूर हैं। 

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Jungle Queen Nazrun Nisha story who has so far rescued snakes and crocodiles in lakhimpur kheri
नजरून निशा - फोटो : अमर उजाला

लखीमपुर खीरी जिले में कहीं भी सांप, अजगर या मगरमच्छ दिखाई देता है तो सबसे पहली फोन कॉल नजरून निशा के पास पहुंचती है। गांवों में घुस आए मगरमच्छों को वह सुरक्षित पकड़कर ग्रामीणों की मदद से नदी में छोड़ती हैं। वे अब तक 100 से ज्यादा सांप और 10 मगरमच्छ का रेस्क्यू कर चुकी हैं। 22 वर्षीय नजरून निशा दुधवा फाउंडेशन की सबसे निडर रेस्क्यू गर्ल के रूप में जानी जाती हैं। पलिया क्षेत्र में लोग उन्हें जंगल क्वीन कहने लगे हैं। 

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Jungle Queen Nazrun Nisha story who has so far rescued snakes and crocodiles in lakhimpur kheri
कई सांपों को रेस्क्यू कर चुकी हैं नजरून - फोटो : संवाद

नजरून निशा ने वर्ष 2022 में दुधवा नेशनल पार्क में अभिप्रेरक के पद पर नौकरी शुरू की थी। उनका काम वन्यजीवों से गांव के लोगों को बचाव के लिए जागरूक करना है, लेकिन जानवरों से विशेष लगाव होने की वजह से उन्हें विभाग की तरफ से विभिन्न विशेषज्ञों से वन्यजीवों को पकड़ने का प्रशिक्षण दिलवाया गया। निपुणता के बाद वह यह काम आसानी से करने लगीं।   

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नजरून कुछ ही समय में पकड़ लेती हैं सांप - फोटो : संवाद
नजरून की मौजूदगी से दुधवा के आसपास के 50 गांव के लोगों को ऐसे वन्यजीवों के पकड़वाने की चिंता नहीं रहती। नजरून पलिया की रहने वाली हैं। उनके पिता मैकेनिक हैं। वह स्नातक की पढ़ाई कर चुकी हैं। अभी एमएसडब्ल्यू कर रही हैं।
Jungle Queen Nazrun Nisha story who has so far rescued snakes and crocodiles in lakhimpur kheri
टीम के साथ गांव से मगरमच्छ पकड़कर वाहन में रखती नजरून।
नजरून ने सिर्फ सांप या अजगर ही नहीं, बल्कि फिशिंग कैट, जंगली कैट, मॉनिटर लिजर्ड का भी सफल रेस्क्यू किया है। वह अब तक पांच टाइगर रेस्क्यू अभियानों में सहायक कर्मचारी के रूप में शामिल रह चुकी हैं। 
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नजरून निशा - फोटो : संवाद
जंगल और जीवों से बचपन का प्यार बना पेशा
नजरून ने बताया कि उन्हें बचपन से ही जानवरों से प्यार था। वह उन्हें बचाना चाहती थीं। आर्ट्स की छात्रा होने के बावजूद उनका झुकाव शुरू से ही प्रकृति और वन्यजीवों की ओर था। बारिश के बाद सिर्फ सांप ही नहीं, बल्कि बड़े अजगर भी बस्तियों में आ जाते हैं। उनका कहना है कि सांप छोटे औजारों से पकड़ लिए जाते हैं, लेकिन अजगर छिपने में निपुण होते हैं। उन्हें पकड़ने के लिए अतिरिक्त सावधानी और ताकत चाहिए होती है।
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