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विधानसभा मानसून सत्र: सूखे, भारी बारिश और बर्फबारी से हिमाचल को 1585 करोड़ का नुकसान, 222 की मौत

अमर उजाला नेटवर्क, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Wed, 04 Aug 2021 08:36 PM IST
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सार

नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय मदद के लिए केंद्र को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। विधानसभा में बागवानी, राजस्व और जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने यह जानकारी दी।  

Assembly monsoon session: Himachal lost 1585 crores due to drought, heavy rain and snowfall, 222 killed
बाढ़(फाइल) - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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हिमाचल प्रदेश में सूखे, भारी बारिश और बर्फबारी से करीब 1585 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बागवानी को 300 करोड़, सड़कों और पुलों को 451 करोड़, पेयजल योजनाओं को 187 करोड़, बारिश से फसलों, पशुओं व मकानों को कुल 645 करोड़, सड़कों और पुलों को 451 करोड़ रुपये की क्षति है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा से 222 लोगों की मौत हो गई और 12 लोग लापता हैं। भारी बारिश और बाढ़ से 1152 मकान क्षतिग्रस्त हुए और 442 पशु मारे गए हैं। राज्य सरकार ने वित्तीय मदद के लिए केंद्र को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। विधानसभा में बागवानी, राजस्व और जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने यह जानकारी दी। 

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उन्होंने कहा कि केंद्र के पास नदियों और नालों के चैनलाइजेशन का पांच हजार करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए प्रस्तावित है। सरकार आपदा प्रबंधन कमेटियों में क्षेत्र के विधायकों को भी सदस्य बनाने पर विचार करेगी। सुरक्षा के दृष्टिगत रामपुर से किन्नौर के लिए वैकल्पिक मार्ग जरूरी है, क्योंकि सतलुज के किनारे वर्तमान रास्ता खतरे की जद में है। विधानसभा में नियम 130 के तहत बुधवार को जलवायु परिवर्तन के कारण कभी सूखा और भारी बारिश से नुकसान पर विधायक इंद्र दत्त लखपाल, विशाल नैहरिया, बलबीर वर्मा, जिया लाल और अन्य सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया।
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12 सौ करोड़ से चैनलाइजेशन का और प्रोजेक्ट केंद्र को भेजेंगे।  राज्य की नौ सौ पेयजल स्कीमों पर सूखे की मार पड़ी है। इस बार सरकार ने पेयजल आपूर्ति के लिए एक भी पानी का टेंडर नहीं लगाया। लोगों को पानी देने के लिए बड़ी पेयजल योजनाओं से जोड़ा गया था। विधायक रमेश धवाला का सुझाव अच्छा है कि जल संग्रहण के छोटे टैंकों की रेत नीलाम करके लोगों की जरूरतें भी पूरी होगी और सरकार को आय भी होगी। मंत्री ने कहा कि जनजातीय क्षेत्र लाहौल के लिए सरकार ने 70 करोड़ जारी किए हैं। भेड़-बकरी की मौत पर तीन हजार रुपये प्रति पशु मुआवजा दिया जाता है।

लीज पर भूमि लेने के लिए तीन साल में 525 आवेदन मिले : महेंद्र 

राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ने सदन को अवगत करवाया कि गत तीन साल में प्रदेश के जिलों में जिलाधीशों के पास लीज पर भूमि लेने के लिए 525 आवेदन मिले है। इनमें 30 आवेदकों को लीज पर जमीन उपलब्ध करवाई गई है। 31 जनवरी तक धारा-118 के तहत 234 मामलों को मंजूरी दी गई है। 

 कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने बताया कि प्रदेश में जिन लोगों को धारा 118 के तहत जमीन खरीदने की मंजूरी मिली है और दो साल में काम शुरू नहीं कर पाए हैं, सरकार उन्हें किसी भी तरह की कोई विशेष छूट नहीं देगी। पिछले तीन साल के भीतर प्रदेश में ऐसे 27 आवेदनकर्ता हैं, जिन्होंने दो साल के भीतर काम शुरू नहीं किया है।

आठ चरागाह मार्गों को किया गया डिजिटाइज: पठानिया

 वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि प्रदेश में आठ चरागाह मार्गों को डिजिटाइज किया गया है। दूसरे मार्गों को भी जल्द डिजिटाइज किया जा रहा है। वे बुधवार को चराई सलाहकार पुर्नावलोकन समिति की 47 वीं बैठक की अध्यक्षता की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। बैठक के दौरान वन मंत्री ने चरवाहों के वन विभाग से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की और विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने झुंड के साथ चलने वाले वास्तविक चरवाहों की पहचान करने के निर्देश दिए ताकि उनके पशुधन को चोरी होने से बचाया जा सके।

इनके लिए स्लीपिंग बैग के साथ सोलर मोबाइल चार्जर और कम भार वाले टेंटों का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि चराई परमिट की समय अवधि को तीन वर्ष से बढ़ाकर छ: वर्ष करने के प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने भी विचार रखे। प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन डॉ. सविता ने इस अवसर पर वन मंत्री और अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत किया। बैठक में प्रधान सचिव वन रजनीश, पीसीसीएफ  वन्य जीव अर्चना, पीसीसीएफ  प्रबंधन राजीव कुमार मौजूद रहे। 

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