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IIAS Shimla: ऐतिहासिक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान परिसर में दरारें, धंस रही जमीन, केंद्र को लिखा पत्र

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Fri, 18 Aug 2023 08:05 PM IST
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सार

मुख्य भवन के ठीक सामने बने लॉन और विजिटर एंट्री गेट से लेकर करीब 40 मीटर से अधिक भूमि करीब एक से डेढ़ मीटर तक धंस चुकी है। इसे बचाने के लिए संस्थान ने अपने स्तर पर ईंट और सीमेंट की रोक लगा दी है लेकिन दरारें भरने की यह लीपापोती नाकाफी है। 

Cracks in historic Indian Institute of Higher Studies campus, land sinking, letter written to Union Ministry
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान परिसर में भूस्खलन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारी बारिश और समरहिल में हुए भूस्खलन से शिमला की करीब डेढ़ सौ साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान परिसर को खतरा पैदा हो गया है। परिसर में चारों ओर बने लॉन में जगह-जगह दरारें आ चुकी हैं और संस्थान को जोड़ने वाली सड़क पर भी भूस्खलन हो रहा है। अगर परिसर में भूस्खलन जैसी घटना होती है तो भवन को भी खतरा पैदा हो सकता है। मुख्य भवन के ठीक सामने बने लॉन और विजिटर एंट्री गेट से लेकर करीब 40 मीटर से अधिक भूमि करीब एक से डेढ़ मीटर तक धंस चुकी है। इसे बचाने के लिए संस्थान ने अपने स्तर पर ईंट और सीमेंट की रोक लगा दी है लेकिन दरारें भरने की यह लीपापोती नाकाफी है।

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नीचे की ओर डंगा फूलना शुरू हो गया है। संस्थान ने परिसर में हुए नुकसान को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भी पत्र लिखकर सुरक्षा के प्रबंध करने की मांग की है। इसके अलावा स्थानीय जिला प्रशासन, नगर निगम, वन विभाग को भी पत्र लिखा है। संस्थान के आग्रह पर शुक्रवार को उपमंडलाधिकारी शिमला भानू गुप्ता ने दौरा किया। कहा कि भारी बारिश से भवन के परिसर में दो-तीन जगह दरारें आई हैं, लॉन के सामने के हिस्सा धंस रहा है। इसमें पेड़ हैं। जिन्हें कटवाने के संस्थान की ओर से आए आग्रह पर वन विभाग को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि टैंक से रिसाव जैसी बात फिलहाल नहीं लग रही है। मेयर नगर निगम शिमला सुरेंद्र चौहान, आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने अधिकारियों के साथ दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी भी मौके पहुंचे।
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प्रधान सचिव राजस्व, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम कर चुकी है दौरा
धंस रही जमीन का जायजा लेने के लिए प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव राजस्व ओंकार शर्मा, और विशेष सचिव आपदा प्रबंधन(राजस्व )डीसी राणा भी जायजा ले चुके हैं। संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक ने कहा कि सचिव मेहर चंद नेगी की ओर से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए पत्र लिखा है।

छह साल पूर्व एएसआई ने करवाया था परिसर में सुरक्षा दीवार का निर्माण
संस्थान के अगले भाग के हिस्से के धंसने पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भवन के आगे लॉन की दीवार का निर्माण करवाया था। अब फिर से इस लॉन के मुख्य गेट की ओर धंसने से लॉन को खतरा हो गया है। जमीन धंसती रही और भूस्खलन हुआ तो लॉन ढहना शुरू हो जाएगा। बैक लॉन के क्षतिग्रस्त हुए भाग को देखते हुए पर्यटकों के उस ओर जाने पर रोक लगा दी गई है।

बैक लॉन में भूस्खलन वाले स्थान पर ढही है दीवार , यहीं से शुरू हुई थी शिव बावड़ी की तबाही
संस्थान का बैक लॉन जहां भूस्खलन हुआ है। वहां करीब 40 से 50 मीटर तक चारदिवारी ढह चुकी है। भूस्खलन वाले स्थान पर को पूरी तरह से तिरपाल लगाकर ढंका गया है।

ऐतिहासिक भवन से चलती थी गर्मियों में ब्रिटिश सरकार
 इसी ऐतिहासिक इमारत से गर्मियों में अंग्रेजी हुकूमत चलती थी। 1884 से 1888 में इस भवन को बनाया गया। यहां पर 13 वॉयसराय रहे। 1947 से 1965 तक यहां आजाद भारत के राष्ट्रपति का निवास रहा। 1965 में इस भवन में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान स्थापित किया गया। इस ऐतिहासिक भवन में भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति को लेकर बैठकें हुई। आजाद भारत का शासन चलाने के लिए इसी भवन में शिमला कॉन्फ्रेंस हुई। भारत से अलग कर पाकिस्तान बनाने को लेकर भी यहां 1947 में बैठक कर वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा हुई।

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के पानी के टैंक सुरक्षित, लीकेज से इंकार

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान परिसर से शुरू हुआ भूस्खलन समरहिल शिव बावड़ी में भारी तबाही मचा गया। अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। हादसे की सही वजह अब तक सामने नहीं आ पाई है। हालांकि, बादल फटने का अंदेशा बताया जा रहा है। संस्थान परिसर में बने पानी के टैंकों से लीकेज की बात भी की जा रही। यहां पानी के दो टैंक हैं। एक टैंक लॉन के ठीक नीचे है। जिसकी क्षमता करीब एक लाख लीटर पानी की है, दूसरे टैंक की क्षमता 30 से 40 हजार लीटर पानी की बताई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि जिस जगह से भूस्खलन हुआ, वहां से एक टैंक की दूरी करीब 50 मीटर है और यह छोटा टैंक है।

टैंक में मौजूद पानी इतनी तबाही नहीं कर सकता, ऐसा प्रशासन का मानना है। इन सब चर्चाओं के बीच शुक्रवार शाम पांच बजे उपायुक्त मौके पर पहुंचे और उन्होंने दोनों टैंकों और घटनास्थल की दूरी का मुआयना किया। उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया कि किसी भी टैंक से कोई लीकेज नहीं हुई है। टैंकों में मौजूद पानी इतनी बड़ी तबाही मचा सकता है। टैंकों की दूरी घटनास्थल से करीब पचास मीटर दूर है। यह घटना बादल फटने से ही संभव है। उपायुक्त आदित्य नेगी ने कहा कि दोनों पानी के टैंक सुरक्षित हैं। जांच में पाया गया है कि वहां से कोई लीकेज नहीं हुई है।

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