हिमाचल: फील्ड कर्मी नौकरी से बाहर, अफसर-नेता जाएंगे जर्मनी, जानिए पूरा मामला
परियोजना मार्च 2026 में पूरी होनी है, लेकिन इसी बीच प्रदेश के 15 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों (एमएलए) का एक दल दिसंबर में विदेश प्रशिक्षण और अवलोकन यात्रा पर भेजा जा रहा है।
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जर्मन विकास बैंक (केएफडब्ल्यू) की ओर से वित्तपोषित हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु प्रूफिंग परियोजना अपने अंतिम चरण में है। परियोजना मार्च 2026 में पूरी होनी है, लेकिन इसी बीच प्रदेश के 15 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों (एमएलए) का एक दल दिसंबर में विदेश प्रशिक्षण और अवलोकन यात्रा पर भेजा जा रहा है। परियोजना समाप्ति से कुछ माह पहले विदेश यात्रा का औचित्य समझ से परे है। उधर, परियोजना में फील्ड में काम करने वाले 162 कर्मचारी पिछले अगस्त से ही बेरोजगार कर दिए हैं। परियोजना लगभग खत्म होने वाली है और कर्मचारियों की सेवाएं बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के समाप्त कर दी गईं।
कई कर्मचारी तो पिछले 15 वर्ष से अधिक समय से मिड हिमालयन प्रोजेक्ट और इसके बाद इसी परियोजना के तहत सेवाएं दे रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर किसी भी परियोजना के शुरू होने पर विदेश यात्राएं की जाती हैं ताकि बेहतरीन मॉडल और तकनीक समझकर प्रोजेक्ट को मजबूत बनाया जा सके। परियोजना समाप्ति के समय पर्यटन जैसी विदेश यात्रा ने कर्मचारियों व स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ा दी है। उधर, पीसीसीएफ हॉफ संजय सूद ने कहा कि प्रशिक्षण और अवलोकन यात्रा पर एक टीम विदेश जा रही है, लेकिन इस बारे में मुख्य परियोजना निदेशक अधिक जानकारी प्रदान कर सकती हैं। उधर, मुख्य परियोजना निदेशक उपासना पटियाल से जब इस बारे में पक्ष लेना चाहा तो उन्होंने न तो फोन और न ही व्हाट्सएप मैसेज का जवाब दिया।
यह 15 लोग जा रहे विदेश
विधायकों में सुदर्शन सिंह बबलू, अजय सोलंकी और विवेक शर्मा, अधिकारियों में एसीएस केके पंत, हॉफ संजय सूद, प्रोजेक्ट की सीपीडी उपासना पटियाल, एपीडी कमल भारती, एपीडी डीएस डढवाल, नगर निगम धर्मशाला की ट्री आफिसर तनवी गुप्ता, डीएफओ चंबा कृतज्ञा कुमार, डीएफओ भरमौर एमएन शिवाजी, डीएफओ डलहौजी रजनीश महाजन, डीएफओ चुराह सुशील गुलेरिया, डीएफओ देहरा सन्नी वर्मा और डीएफओ पालमपुर संजीव कुमार।
विपिन सिंह परमार ने ये कहा
जिस परियोजना में धरातल पर कार्य करने वाले निष्ठावान और ईमानदार कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर बेरोजगार कर दिया गया हो, उसी परियोजना के खर्च पर अधिकारियों और नेताओं की विदेश यात्रा समझ से परे है। केएफडब्ल्यू परियोजना मार्च 2026 में अपना कार्यकाल पूरा कर रही है, ऐसे में तीन महीने पहले की जा रही यह विदेश यात्रा किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराई जा सकती। एक ओर प्रदेश सरकार आर्थिक तंगी का रोना रो रही है, तो दूसरी ओर अधिकारी और नेता विदेश यात्राओं पर जा रहे हैं। सरकार की कथनी और करनी के इस अंतर को जनता अच्छी तरह समझ चुकी है। विपिन सिंह परमार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक