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बागवानी: नाैणी विश्वविद्यालय ने धाैलाकुआं में उगाए ऑस्ट्रेलियन जुजुबे बेर

ललित कश्यप, संवाद न्यूज एजेंसी, सोलन Published by: Krishan Singh Updated Mon, 26 May 2025 12:37 PM IST
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सार

पहला चरण गर्म क्षेत्र धौलाकुआं, मध्यम क्षेत्र नौणी विवि और तीसरा ठंडा क्षेत्र मशोबरा में इस पर काम चल रहा है। सफलता मिलने पर यह गुठलीदार फलों का एक अच्छा विकल्प होगा जोकि कम पानी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से तैयार हो जाएगा।

Horticulture: Nauni University grew Australian Jujube Plum in Dhaula Kuan
धाैलाकुआं में उगाए ऑस्ट्रेलियन जुजुबे बेर - फोटो : संवाद

विस्तार
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नौणी विश्वविद्यालय की ओर किए जा रहे ऑस्ट्रेलियन जुजुबे बेर का प्रारंभिक शोध सफल रहा है। इसमें धौलाकुआं में रूट स्टॉक पर लगाए बेर के पौधे पर फूल के साथ अच्छे फल भी उगे हैं। हालांकि अभी यह शोध पूरा नहीं हुआ। इसमें नौणी के विशेषज्ञ कार्य कर रहे हैं। फल को तीन तरह के मौसम में उगाया जा रहा है। पहला चरण गर्म क्षेत्र धौलाकुआं, मध्यम क्षेत्र नौणी विवि और तीसरा ठंडा क्षेत्र मशोबरा में इस पर काम चल रहा है। सफलता मिलने पर यह गुठलीदार फलों का एक अच्छा विकल्प होगा जोकि कम पानी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से तैयार हो जाएगा।

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ऑस्ट्रेलिया से लाए इस जुजुबे बेर को चाइना फल भी कहते हैं। इसकी शेल्फ लाइफ भी गुठलीदार फलों से बहुत अधिक है। जून माह तक यह तैयार भी हो जाएगा। जबकि ऑस्ट्रेलिया में यह फरवरी, मार्च में फल देना शुरू करता है। सह-निदेशक क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं डॉ. विशाल राणा ने बताया कि जब वे एक्सपोजर दौरे पर ऑस्ट्रेलिया गए थे, वहां पर उन्होंने इसका उत्पादन देखा और उसके बाद इसका इंपोर्ट परमिट एनबीपीजीआर (नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक्स रिसोर्सेज न्यू दिल्ली) से लिया। कुछ पौधे और रूट स्टॉक आयात किए गए और इस पर शोध किया जा रहा है।

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मध्यवर्ती क्षेत्रों के लिए बन सकता है विकल्प
विशेषज्ञों की ओर से तीन चरणों में बेर पर शोध किया जा रहा है। धौलाकुओं में चल रहा शोध अभी तक सफल रहा है। इसमें पौधे पर फूल के साथ अच्छी फल आए हैं। अब इसके पकने का इंतजार हो रहा। मध्यवर्ती क्षेत्रों के किसान-बागवानों के लिए यह एक विकल्प हो सकता है।- डॉ. संजीव चौहान, निदेशक अनुसंधान, नौणी विवि

प्लम के आकार का होता जुजुबे बेर
इस बेर की खासियत ये है कि यह बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में भी इसका उत्पादन हो सकेगा। बेर प्लम के आकार का होता और खाने में बहुत मीठा है। इसमें आयरन और मिनरल की भी भरपूर मात्रा है। ठंडे क्षेत्रों में तैयार होने से यह देश के अन्य राज्यों के बेर से दो माह पहले तैयार होने की भी संभावना जताई जा रही है। इसकी बाजार में भी काफी अधिक मांग रहती है। इससे दाम भी अच्छे मिलने की उम्मीद है।

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