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Himachal: बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन के पीछे मानवीय गलती भी जिम्मेदार, विशेषज्ञों ने जताई चिंता

संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू। Published by: Krishan Singh Updated Thu, 11 Sep 2025 10:22 AM IST
सार

प्राकृतिक आपदा के पीछे कहीं न कहीं मानवीय भूल भी जिम्मेदार है। इस कारण बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं हो रही हैं और जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है। 

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Human error is also responsible for cloudburst, floods and landslides, experts expressed concern
जीबी पंत संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञ। - फोटो : संवाद
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विस्तार
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हिमाचल में प्राकृतिक आपदा के पीछे कहीं न कहीं मानवीय भूल भी जिम्मेदार है। इस कारण बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं हो रही हैं और जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है। मौहल स्थिल जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान में बुधवार को 12वें हिमालयी व्याख्यान और सालाना कार्यक्रम विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई। इस दौरान पूर्व पीसीसीएफ डॉ. गुरिंदरजीत सिंह गोराया ने कहा है कि हिमालयी क्षेत्र में हो रही प्राकृतिक आपदाएं जैसे बादल फटना, बाढ़ आना और भूस्खलन की घटनाएं मानवीय गलती से हो रही हैं। जिसे हम सभी प्राकृतिक आपदा बता रहे हैं। गोराया ने प्राकृतिक आपदाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति घर बना रहा है तो पहले उसके आगे लगे पेड़ को काटा जा रहा है और हम पर्यावरण बचाने की बात करते हैं। इस हालत में हमें पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए पेड़ को बचाना चाहिए और घर को दूसरी जगह बनाना चाहिए। हमें वाटरशेड और वन संरक्षण के लिए एकीकृत तौर पर काम करने की जरूरत है।

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कार्यक्रम के मुख्यातिथि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य सचिव शाम सिंह कपूर ने लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में पर्यावरणीय पहलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने कार्यकाल के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिक बहाली में सामुदायिक भागीदारी, सरकार व विभागों को मिलकर काम करने की जरूरत है। पूर्व पीसीसीएफ सीएस सिंह ने बेमौसम बारिश और भूस्खलन को लेकर कहा कि कुल्लू घाटी में जलवायु पैटर्न में आए बदलाव, प्राकृतिक और मानव-प्रेरित गतिविधियां इसके लिए जिम्मेदार हैं।

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जलवायु से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति जरूरी : संदीप
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के निदेशक संदीप शर्मा ने कहा कि जलवायु से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियों के रूप में प्रकृति-आधारित समाधान किया जाना चाहिए। संस्थान के प्रभारी राकेश कुमार सिंह ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संस्थान की ओर से किए जा रहे है कार्यों के बारे में बताया। संस्थान के शोधार्थियों ने हिमालयी विरासत पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। इस दौरान दो प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सरला शाशनी व डा केसर चंद भी मौजूद रहे।

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